नवाज शरीफ को जेल भेजने वाले जज की छुट्टी
नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सजा सुनाकर जेल भेजने वाले स्पेशल कोर्ट के जस्टिस अरशद मलिक को लाहौर हाईकोर्ट ने उनको उनके पद से हटाए जाने का फैसला सुनाया है। इसके पहले उन्हें निलंबित किया गया था।
जस्टिस अरशद ने अल अजिजिया मामले में नवाज शरीफ को पिछले साल दोषी ठहराया था और उन्हें सात साल की सजा सुनाई थी। लेकिन उनके इस फैसले पर तब विवाद उठ खड़ा हुआ था जब नवाज की बेटी मरियम नवाज ने उनका एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्हें यह कहते देखा गया था कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री को दोषी करार देने का उन पर जबर्दस्त दबाव था। उनका इशारा इमरान खान की सरकार की ओर था। आज लाहौर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अमीर भट्टी , जस्टिस अहमद खान, जस्टिस आयशा मलिक, जस्टिस शाहिद वइद और जस्टिस अली बकीर समेत सात जजों की कमेटी ने यह फैसला सुनाया।
जस्टिस अरशद मलिक को उनके पद से हटाए जाने के हाईकोर्ट के इस फैसले से पाकिस्तान की राजनीति में एक नया मोड़ आ जाएगा, क्योंकि इलाज के बहाने लंदन गए नवाज शरीफ की पाकिस्तान जल्द वापसी हो सकती है और जिस तरह से पाकिस्तान मुस्लिम लीग और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी इमरान खान की सरकार के खिलाफ साथ मिलकर लड़ रहीं हैं उसमें एक नई जान आ सकती है।
हालांकि जस्टिस अरशद मलिक ने अपने बचाव में यह दलील दी कि, मुस्लिम लीग नून के नेताओं ने उन्हें ब्लैक मेल कर यह बात कहलावाई थी कि नवाज शरीफ को जेल भेजने के लिए सत्ता पक्ष की ओर से उन पर जर्बदस्त दबाव है। लेकिन उन्होंने खुद ही फेडरल इनवेस्टिगेशन एजेंसी के सामने यह माना था कि वे अकेले नवाज और उनके परिवार के सदस्यों से मिले थे। लाहौर हाईकोर्ट के इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए नवाज के छोटे भाई और इस समय मुस्लिम लीग के सर्वेसर्वा शहबाज शरीफ ने अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए मांग की कि नवाज शरीफ के खिलाफ दर्ज मामले को फौरन समाप्त किया जाए और उन्हें इस केस से पूरी तरह मुक्त किया जाए।