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पहली बार स्कैल्प और मीटियोर मिसाइल से लैस दिखा लड़ाकू राफेल

👤 Veer Arjun | Updated on:5 Oct 2021 4:22 AM GMT

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नई दिल्ली । भारत के लिए आसमानी ताकत बना फाइटर जेट राफेल पहली बार स्कैल्प और मीटियोर मिसाइल से फायरिंग करते हुए दिखाई दिया है। राफेल विमान हवा में 500 किलोमीटर की दूरी तक हमला कर सकता है, इसीलिए इसे युद्ध के आसमान में 'गेम चेंजर' का खिताब दिया जाता है। राफेल में तीन तरह की मिसाइलें लगाई जा सकती हैं, जिसमें मीटियोर, स्कैल्प और हैमर मिसाइल शामिल हैं। इन तीनों मिसाइलों के साथ लैस होने की वजह से ही राफेल ने चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा रखी है। वायुसेना ने पहली बार मीटियोर और स्कैल्प मिसाइलों के साथ राफेल की फोटो मीडिया के साथ साझा की हैं।

राफेल की ऊंचाई पर जाने की क्षमता 300 मीटर प्रति सेकंड है, जो चीन-पाकिस्तान के विमानों को भी मात देती है। यानी राफेल उड़ान भरते ही एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है। एक बार आसमान में पहुंचने के बाद इस पर नजर रखना मुश्किल होता है, इसीलिए ये दुश्मन के राडार को पलक झपकते ही चकमा दे सकता है। फ्रांस के साथ जब 36 राफेल का सौदा हुआ था तो पैकेज में स्क्लैप और मीटियोर मिसाइल को शामिल किया गया था। इसीलिए भारतीय वायुसेना को पहले बैच में 29 जुलाई, 2020 को मिले पांच राफेल लड़ाकू विमानों में मीटियोर और स्कैल्प मिसाइल लगाकर ऑपरेशनल करके कई मोर्चों पर तैनात किया गया है। यह दोनों ही मिसाइलें सीरिया, लीबिया जैसी जगहों में इस्तेमाल हो चुकी हैं।

फ्रांस से 36 राफेल विमानों का सौदा होते समय भारत ने बजट के अभाव में फ्रांस से महंगे हैमर सिस्टम्स लेने के बजाय इजरायली स्पाइस-2000 बम से ही काम चलाने का निर्णय लिया था। दरअसल, किसी भी हथियार की कीमत उसके साथ लिए जाने वाले सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की वजह से घटती-बढ़ती है, इसीलिए अपने बजट के अन्दर रहकर यह डील 59 हजार करोड़ में फाइनल की गई थी। चूंकि इसमें तीन मिसाइलें लगाई जा सकती हैं, इसलिए पहली खेप में पांच राफेल की आपूर्ति के समय आनन-फानन में हैमर सिस्टम्स लेने के लिए फ्रांस को ऑर्डर किया गया था। बाद में हैमर मिसाइल से लैस होकर राफेल और खतरनाक हो गया है। अब आइए जानते हैं कि इन तीनों मिसाइलों की क्या खासियत है जिससे लैस होने के बाद राफेल ने चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा रखी है।

राफेल को स्कैल्प मिसाइल से 4 हजार मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ी इलाकों में अटैक करने के लिहाज से अपग्रेड किया गया है। 300 किलोमीटर की रेंज तक हवा से सतह पर मार करने वाली गाइडेड मिसाइल स्कैल्प 450 किलोग्राम के वारहेड ले जा सकती है। इसका इस्तेमाल कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, एयर बेस, पोर्ट, पावर स्टेशन, गोला बारूद स्टोरेज डिपो, सरफेस शिप, सबमरीन और अन्य रणनीतिक हाई-वैल्यू टारगेट को टारगेट करने के लिए किया जाता है। इस मिसाइल की खासियत है कि एक बार फाइटर से लॉन्च करने के बाद दुश्मन के राडार और जैमिंग सिस्टम से बचने के लिए जमीन से 100 से 130 फीट के बीच में आ जाती है। इसके बाद लक्ष्य के करीब पहुंचने से पहले मिसाइल फिर से 6,000 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक जाती है और फिर सीधा लक्ष्य पर गिरती है।

इसके अलावा मीटियोर मिसाइल का एयर-टू-एयर निशाना अचूक है। मीटियोर मिसाइल से विज़ुअल रेंज के बाहर होने पर भी दुश्मन के लड़ाकू विमान को गिराया जा सकता है। राफेल मीटियोर मिसाइल से जमीन पर 150 किमी. तक अचानक हमला करने की भी ताकत रखता है। भारतीय राफेल जेट की क्षमता हैमर मिसाइल लगने के बाद और बढ़ गई है क्योंकि हाइली एजाइल एंड मैनोवरेबल म्यूनिशन एक्टेंडेड रेंज (हैमर) हवा से जमीन पर मार करने वाले रॉकेट के जरिए चलने वाली मिसाइल किट है। हैमर मिसाइल हवा से जमीन पर 60 से 70 किलोमीटर तक दुश्मन को निशाना बना सकती है। राफेल में लगने वाली हैमर मिसाइल काफी खतरनाक है, जिसे जीपीएस के बिना भी 70 किलोमीटर की रेंज से लॉन्च किया जा सकता है। एजेंसी/हिस

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