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महात्मा गांधी की दृढ़ इच्छाशक्ति

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:5 April 2019 6:41 PM GMT
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महात्मा गांधी ने करोड़ो भारतीयों को नंगे बदन देखकर अपने जीवन को भी बदल लिया। शरीर पर एक ही धोती,उसे वे आधी पहनते और आधी ओढ़ते थे। आजादी के आंदोलन के समय लंदन में गोलमेज सम्मेलन का आयोजन हुआ। गांधी जी को कांग्रेस ने अपना मुख्य प्रतिनिधि बनाकर भेजा तो ब्रिटिश सरकार ने आक्षेप किया कि गोलमेज सम्मेलन में भाग लेते समय गांधी को अपनी वेशभूषा बदलनी होगी। गांधी अपने विचारो पर दृढ़ थे। उन्होंने कहा कि मेरे कहने पर आपने सम्मेलन नहीं बुलाया है। आपने मुझे निमंत्रण देकर बुलाया है। सम्मेलन में भाग लेने के लिए मैं अपने सिद्धांतों की बलि नहीं दे सकता। मजबूरन ब्रिटिश सरकार को गांधी की बात माननी पड़ी। सादा जीवन और उच्च विचार की यह बहुत बड़ी जीत थी। आज मनुष्य के जीवन में सादगी के स्थान पर आडंबर आ रहा है वहा उसके विचार भी नैतिकता से दूर हटते जा रहे है। विचारो से ही आचार पुष्ट होता है। जब विचार अच्छे होंगे तो व्यक्ति सदैव अच्छे कार्य ही करेगा। बुरा सोचते हुए अच्छा कार्य नहीं किया जा सकता है। आज का मनुष्य जैसा दिख रहा है वैसा है नहीं है और जो वैसा है नहीं वह दिख रहा है। एक व्यंगय-एक लंगड़े भिखारी को भीख देते हुए, सज्जन बोलेöअच्छा है तुम लंगड़े हो अंधे होते,अधिक कष्ट पाते यह सुन लंगड़े ने कहाöमहाशय! सही आप फरमाते हैं, जिस किसी दिन अंधा बनकर मांगता हूं लोग, खोटे सिक्के अधिकांश दे जाते है। आज लोग दूसरो को धोखा देने के लिए नए-नए रास्ते निकाल लेते है, मगर इससे जीवन में शांति नहीं आ सकती।

-रोशन लाल,

नरेला, दिल्ली।

सारे जहां का दर्द हमारे दिल में है

ऐसा लगता है कि हमारे देश भारत ने सारे जहां के दुखियों का दर्द अपने दिल में बसा लिया है। कहीं के भी शरणार्थी हों यानि वे बंगलादेश के हों, पाकिस्तान के हों या म्यांमार या श्रीलंका के हों सब भारत की तरफ ही भागते हैं। और यहां के नेताओं का भी कमाल है। अपनी पार्टी की सरकार बनाने के लिए वे इन घुसपैठियों को भारतीय नागरिक बनाने और साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते। ताजा मामला रोहिंग्या मुसलमानों का है। काफी समय से इस पर विवाद चल रहा है। ये रोहिंग्या मुसलमान हैं तो असल में म्यांमार के निवासी पर खबरों के अनुसार वहां की सरकार और सेना के अत्याचारों से तंग आकर वे बंगलादेश और भारत की तरफ भाग रहे हैं। बंगलादेश में तो इन्हें कोई घुसने देता नहीं या फिर उनकी वहां कोई पूछ नहीं है इसलिए ये सबसे सरल तरीके से और आराम से जिन्दगी बिताने के लिए भारत में घुस आते हैं। रोहिंग्या मुसलमान हमारे बंगाल राज्य में घुस रहे हैं।

-मुकेश जैन,

गांधीनगर, दिल्ली।

आखिर प्यार पर पहरा कब तक रहेगा

नया भारत, विकसित भारत एवं नई सोच के भारत को निर्मित करने में जो सबसे बड़ी बाधों देखने में आ रही है, हमारी संकीर्ण सोच एवं विकृत मानसिकता प्रमुख हैं। संचार क्रांति हो या अंतरिक्ष में बढ़ती पहुंचöये अद्भुत एवं विलक्षण घटनाएं तब बेमानी लगती है या बौनी हो जाती है जब हमारे समाज की सोच में प्यार के लिए संकीर्णता एवं जड़ता की दीवारें देखने को मिलती है। फिर मन को झकझोरने वाला प्रश्न खड़ा होता है क्या वाकई जमाना बहुत आगे निकल आया है या अब भी अंधेरे की संकीर्ण एवं बदबूदार गलियों में ठहरा हुआ है? तंग मानसिकता एवं संकीर्णता से पैदा होने वाली कूरता की खबरें रोज आती रहती हैं। कभी किसी पारिवारिक मर्यादा के रूप में, सांप्रदायिक घटना के रूप में, कभी व्यक्तिगत आजादी पर हमले के रूप में। संकीर्ण मानसिकता एवं सोच का एक त्रासद, बेहूदा एवं अलोकतांत्रिक वाकया जम्मू-कश्मीर के पहलगाम जिले में हुआ है। जिसने एक प्रांत को ही नहीं, सम्पूर्ण राष्ट्रीयता को तार-तार किया है। आखिर प्यार पर सजा की मानसिकता एवं प्यार पर पहरा कब तक? यह विडंबनापूर्ण है कि एक निजी स्कूल में काम करने वाले तारीक भट एवं सुमाया बशीर को स्कूल प्रबंधन ने शादी के दिन बर्खास्त कर दिया। इस युगल का गुनाह यह था कि शादी के पहले से उनके बीच प्यार था। यानि उन्हें स्कूल प्रबंधन ने प्यार की सजा दी। वह भी तब, जब उन्होंने शादी कर ली।

-महेश कुमार,

कल्याणपुरी, दिल्ली।

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