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रिकॉर्डों के सरताज हिटमैन रोहित शर्मा

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:8 April 2019 5:55 PM GMT
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न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे

टी-20 मैच में गत 10 फरवरी को टीम इंडिया भले ही 210 रन बनाकर महज 4 रनों से सीरीज गंवा बैठी और कप्तान रोहित शर्मा भी तीन चौकों के साथ सिर्प 38 रनों की पारी खेलकर पैवेलियन लौट गए किन्तु रोहित शर्मा के नाम कई रिकॉर्ड ऐसे हैं, जिनकी बदौलत क्रिकेट के छोटे प्रारूपों में बड़ी पारियां खेलने के लिए विख्यात इस भारतीय ओपनर को टीम इंडिया का हिटमैन कहा जाता है। 8 फरवरी को टी-20 के दूसरे मैच में रोहित ने चार छक्के जड़कर 50 रनों की धुआंधार पारी खेलते हुए कुछ रिकॉर्ड अपने नाम किए थे और उनके फैंस को उम्मीद थी कि वो न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे टी-20 मैच में भी ऐसी ही धुआंधार पारी खेलकर टी-20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक छक्के जड़ने का एक और रिकॉर्ड अपने नाम करने में सफल होंगे किन्तु रोहित इससे चूक गए। इस रिकॉर्ड के लिए रोहित को सिर्प दो छक्पे जड़ने थे किन्तु इसमें वो असफल रहे। भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेली गई तीन मैचों की इस श्रृंखला में न्यूजीलैंड ने पहला मैच 80 रनों से जीता था लेकिन दूसरे मैच में भारतीय टीम ने 7 विकेट से शानदार जीत दर्ज की थी। ऐसे में भारत अगर तीसरा मैच जीतकर यह सीरीज अपने नाम करने में सफल हो जाता तो रोहित शर्मा पहले ऐसे भारतीय कप्तान भी बन जाते, जिसकी अगुवाई में भारत न्यूजीलैंड में टी-20 की कोई सीरीज जीतता लेकिन रोहित इस रिकॉर्ड से भी चूक गए। न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली गई सीरीज में हार के बाद अब 24 फरवरी से विजाग में विश्वकप से पहले भारत आस्ट्रेलिया के खिलाफ दो टी-20 और पांच एकदिवसीय मैच खेलेगा और इन मैचों में रोहित के प्रदर्शन पर सभी नजरें केंद्रित रहेंगी। उम्मीद है कि इन मैचों में वह टी-20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक छक्के जड़ने का रिकॉर्ड बनाने में अवश्य सफल होंगे। फिलहाल यह रिकॉर्ड वेस्टइंडीज के क्रिस गेल के नाम है, जिन्होंने 56 मैचों में 103 छक्के लगाए हैं। इसके अलावा न्यूजीलैंड के मार्टिन गुप्टिल 76 मैचों में 103 छक्कों के ही स्थान दूसरे स्थान पर हैं जबकि रोहित अब तक 92 मैचों में 102 छक्के लगा चुके हैं। रोहित के बाद न्यूजीलैंड के ब्रैंडन मैकुलम ने 71 मैचों में 91 और न्यूजीलैंड के कॉलिन मुनरो ने 51 मैचों में 90 छक्के लगाए हैं। न्यूजीलैंड के साथ टी-20 सीरीज के दूसरे मैच में रोहित ने 50 रन बनाने के साथ ही गुप्टिल का टी-20 में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। तब गुप्टिल के 76 मैचों में 2272 रन थे जबकि रोहित 2288 रन बनाकर टी-20 में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बन गए थे। रोहित के अब टी-20 में 2326 रन हो चुके हैं। वह टेस्ट, वनडे और टी-20 तीनों फॉर्मेट में 320 मैचों में 349 छक्के लगा चुके हैं। उन्होंने 27 टेस्ट में 32, 201 वनडे में 215 और 92 टी-20 में 102 छक्के लगाए हैं। महेन्द्र सिंह धोनी ने इन फॉर्मेट के कुल 523 मैचों में अब तक 348 छक्के जड़े हैं। धोनी ने 90 टेस्ट में 78 छक्के, 338 वनडे में 222 छक्के और 95 टी-20 में 48 छक्के मारे हैं। इनके अलावा पाकिस्तान के शाहिद आफरीदी के नाम 524 मैचों में 476 छक्के, गेल का 443 मैचों में 476 छक्के, न्यूजीलैंड के ब्रैंडन मैक्कुलम का 432 मैचों में 398 छक्के और श्रीलंका के सनथ जयसूर्या का 586 मैचों में 352 छक्के मारने का रिकॉर्ड है। रोहित शर्मा के बारे में अकसर कहा जाता है कि जब उनका बल्ला चलता है तो दुनिया के अच्छे से अच्छे गेंदबाज का पसीना छूटने लगता है। वनडे क्रिकेट में अभी तक तीन दोहरे शतक लगा चुके रोहित को आईपीएल के सफलतम खिलाड़ियों में से एक माना जाता है और कहा जाता है कि उनमें अंतिम गेंद पर छक्के से टीम को मैच जिताने की विलक्षण क्षमता है। धोनी और गौतम गंभीर के बाद अपनी टीम को आईपीएल खिताब दिलाने वाले रोहित तीसरे कप्तान हैं। वह टेस्ट क्रिकेट, वनडे और 20-20 के अलावा आईपीएल में भी खेल रहे हैं तथा मुंबई इंडियंस टीम के कप्तान और भारतीय वनडे टीम के उपकप्तान भी हैं।

-हरनेक सिंह,

पंजाबी बाग, दिल्ली।

आरक्षण मांगने का यह तरीका "ाrक नहीं

राजस्थान में गुर्जर बिरादरी एक बार फिर आंदोलन के रास्ते पर हैं। आरक्षण को लेकर गुर्जर नेता किरौड़ी सिंह बैंसला अपने समर्थकों के साथ सवाईमाधोपुर जिले में ट्रेन की पटरी पर बै"s हैं। उनकी मांग है कि गुर्जर समेत पांच जातियों को पांच फीसदी आरक्षण सरकार पदान करे। आरक्षण के मसले पर गुर्जर समुदाय का आंदोलन कोई नयी बात नहीं है। इसके पहले भी इसी तरह का आंदोलन इस समुदाय की तरफ से किया जा चुका है। वर्तमान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के लिए उसके नेता तो जिम्मेदार हैं ही, राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी भी उतने ही कसूरवार हैं जो चुनाव जीतने के लिए हर हथकंडा अपनाने से चूकते नहीं है। गुर्जर समुदाय का कहना है कि कि कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में उनको 5 फ्रतिशत आरक्षण का जो वादा किया था उसे वह पूरा करे। और समय होता तब शायद ये समुदाय थोड़ा इंतजार कर भी लेता लेकिन उसके नेता समझ गए हैं कि जो भी करवाना है लोकसभा चुनाव के पहले करवा लो वरना फिर कोई पूछने वाला नहीं है। वर्तमान में गुर्जर को अति पिछड़ा श्रेणी के तहत एक फ्रतिशत आरक्षण अलग से मिल रहा है। वैसे गुर्जरों की यह मांग काफी पुरानी है। 2007 और 2008 के आंदोलनों में 70 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे। आंदोलन में रेल और सड़क रोकना सामान्य बात हो चुकी है। गुर्जरों का आंदोलन 2006 में शुरू हुआ था। तब से अब तक वसुंधरा सरकार में चार बार व गहलोत सरकार में अब दूसरी बार गुर्जर आंदोलन पर उतरे हैं। आंदोलन के चलते सैंकड़ों ट्रेनें कैंसिल हो चुकी हैं और कई के रूट बदले जा चुके हैं। ऐसे में अहम सवाल है कि आरक्षण मांगने का यह कौन-सा तरीका है? हर बार गुर्जर आंदोलन के दौरान काफी हिंसा और आगजनी होती है। असल में ये हमारे सरकारी तंत्र की घोर विफलता ही मानी जाएगी कि गुर्जर आरक्षण की समस्या अभी भी हमारे सामने मुंह बाएं खड़ी है। ये गुर्जर ओबीसी में शामिल होने की मांग नहीं करते। सच तो यह है कि पहले दिन से ही ये ओबीसी की सूची में शामिल हैं। उनकी समस्या यह है कि ओबीसी में होने के बावजूद उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। ओबीसी आरक्षण का लाभ तो अन्य अनेक जातियों को भी नहीं मिलता है, लेकिन गुर्जरों की खासियत यह है कि शैक्षिक रूप से पिछड़े होने के बावजूद वे आर्थिक रूप से कुछ सम्पन्न हैं और संग"ित भी हैं। उनकी संख्या भी "ाrक"ाक है। ओबीसी के रूप में आरक्षण पाने में अपने शैक्षिक पिछड़ेपन के कारण असमर्थ होने के कारण उन्होंने अपनी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने का आंदोलन किया था। उनके समाज सामाजिक हैसियत रखने वाले मीणा समुदाय के लोग अनुसूचित जनजाति में शामिल हैं और इसके कारण उनकी बहुत तरक्की हो गई है और गुर्जर अपने को उनकी पीछे पाने लगे। तब उन्होंने मांग शुरू की कि उन्हें भी मीणा समुदाय की तरह अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे दिया जाय। गुर्जरों को जम्मू और कश्मीर व हिमाचल फ्रदेश में अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला हुआ है। इसलिए उनका कहना था कि जब जम्मू और कश्मीर व हिमाचल फ्रदेश में उन्हें अनुसूचित जनजाति माना जा सकता है, तो राजस्थान में क्यों नहीं। इस बार गुर्जर आंदोलन पर हैं और सबसे दिलचस्प और विशेष बात यह है कि राजस्थान के डिप्टी चीफ मिनिस्टर सचिन पायलट खुद भी गुर्जर समुदाय से हैं। हाल ही में एक समारोह के अवसर पर इस बारे में पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गेंद पास ही खड़े सचिन पायलट की तरफ सरका दी लेकिन वे भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। दूसरी तरफ आंदोलन दिन-प्रतिदिन आक्रामक होता जा रहा है। आंदोलनकारी रेल की पटरियों पर बै" गए हैं जिससे दर्जनों रेल गाडियां या तो रद्द की गईं या उनका मार्ग बदला गया। अनेक स्थानों पर राजमार्ग जाम किए जाने से सड़क परिवहन भी अवरुद्ध हो गया है। ये सब कब तक चलेगा फिलहाल कोई नहीं बता सकता। एक गुर्जर नेता का कहना है कि किसानों के कर्ज माफ करने की तरह से ही कांग्रेस को गुर्जर आरक्षण के वायदे को भी पूरा करना चाहिए। भाजपा चुपचाप इस आंदोलन को देख रही है क्योंकि उसके पास फिलहाल कोई समाधान नहीं है। इस आंदोलन का राजनीतिक पक्ष छोड़ दें तो गुर्जरों को उपकृत किए जाते ही जाट और ऐसी ही अन्य जातियां भी आरक्षण की मांग पर आंदोलन शुरू कर देंगीं। चुनाव में गुर्जर समुदाय ने कांग्रेस को जो समर्थन दिया उसके पीछे श्री पायलट भी बड़ा कारण रहे।

-नीलम वर्मा,

विकासपुरी, दिल्ली।

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