जुबान संभाल कर
पाकिस्तान को गालियां देने वाले को 10 गालियां दूंगा। ऐसा बयान दिया है कि कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के नेता अकबर लोन ने। यह लोग भूल जाते हैं कि वह भारतीय हैं। भारतीय यानि उस देश के नागरिक जहां किसी भी दूसरे देश के मामलों में हस्तक्षेप करना उचित नहीं समझा जाता। यहां यह बताने की जरूरत नहीं है कि भारत में रहकर भारत का ही खा कर और भारत से ही करोड़ों रुपए कमाकर कुछ नेता पाकिस्तान का गुणगान करते हैं। भारत सरकार सब कुछ चुपचाप देखती रहती है लेकिन उन्हें कुछ कहती नहीं। वह यह भूल जाते हैं कि एक पाकिस्तान ने विराट क्रिकेट खिलाड़ी की तारीफ क्या कर दी थी उसकी हालत खराब कर दी थी। उस पर मुकदमा ठोक दिया गया था। आपको पाकिस्तान अच्छा लगता है तो आप वहां जाकर बस सकते हैं। आपको कौन रोकता है पर कम से कम जिस थाली में खा रहे हो उसमें तो छेद न करो। ऐसा ही एक अटपटा बयान एक नेता ने संभवत कर्नाटक में दिया है। उन नेता जी का कहना है कि जो व्यक्ति मोदी के लिए वोट मांगे उसे चांटा मारो। कमाल के आदमी हैं वह नेता जी भी। अरे भाई चुनाव है तो लोग किसी न किसी के लिए तो वोट मांगेंगे ही और उनमें मोदी जी भी एक हैं। पता नहीं ऐसे लोग जुबान संभाल कर क्यों नहीं बोलते। अच्छा हो कि सभी नेता अपनी-अपनी जुबानें संभाल कर बोलें।
-इंद्र सिंह धिगान,
किंग्जवे कैंप, दिल्ली।
देरी बर्दाश्त नहीं
आपको बैंक में रुपए जमा करने हैं, निकालने हैं। आपको यह काम जरूरी है तभी तो आप बैंक गए हैं। आपको राशन लेना है। यह भी जरूरी है। बाहर जाने के लिए रेल का टिकट लेना है। इधर आपको रेल में चढ़ने की जल्दी है। उधर टिकट वाला धीमी गति से टिकट दे रहा है। ऐसी स्थिति में आपका परेशान होना स्वाभाविक ही है। अपना पैसा लेने के लिए आप बैंक में हैं। राशन वाला भी बदले में पैसा ले रहा है। इसी तरह टिकट वाला भी। फिर भला आपको देरी क्यों बर्दाश्त होगी। आपका यह काम फटाफट होना चाहिए। लेकिन नेट कनेक्टीविटी काम नहीं कर रही है। अब तो जब कनेक्टीविटी आएगी तभी काम होगा। यह सुविधाएं तो ठीक हैं लेकिन व्यक्ति इंतजार क्यों पसंद करेगा। यहां यह सुविधा असुविधा का पर्याय बन गई है। इसका विकल्प जरूरी है।
-दिलीप गुप्ता,
बरेली।
जरा ध्यान दें
मैं एक इंच भूमि नहीं दूंगा। सच्चा मुसलमान हूं। श्री उमर अब्दुल्ला पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर अमरनाथ यात्रा के रास्ते पक्के अस्थाई शेल्टर्स के लिए जगह अलॉट करने पर, यह गंदगी फैलाते हैं। सैयद मोहम्मद मुफ्ती ने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री अमरनाथ यात्रियों के लिए। हमारे स्कूली बच्चे डिस्टर्ब होते हैं। अमरनाथ यात्रियों पर तंज कसते, कहा था मुफ्ती महबूबा, पूर्व मुख्यमंत्री ने, डॉ. फारुक अब्दुल्ला पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर, कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर अधूरा कहकर पल्ला झाड़ लिया वापस नहीं हुई। 1947 से राज्य जम्मू-कश्मीर में रह रहे हिन्दुओं को राज्य की नागरिकता नहीं मिली। 1950 के बाद (चीन) तिब्बत और सिंकियांग से आए मुस्लिम शरणार्थियों की स्टेट सब्जैक्ट का दर्जा एवं सारे हुकूक मुहैया, अस्थाई धारा 370 और अनुच्छेद 35ए को हटाने के विरोध में महबूबा-उमर अब्दुल्ला, फारुक अब्दुल्ला तरह-तरह की धमकियां दे रहे हैं, पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने धारा 370 को लागू करते कहा था कि यह अस्थाई है। धीरे-धीरे अपने आप खत्म हो जाएगी। कहीं भी दुनिया में इंसानियत के खिलाफ 35ए जैसा कानून लागू नहीं, फिर विरोध क्यों?
-बीएल सचदेवा,
263, आईएनए मार्पिट, नई दिल्ली।
भीड़तंत्र की तरह से निपटा जाए
भारत के उच्चतम न्यायालय ने अभी हाल ही में कश्मीरी छात्रों पर हुए तथाकथित हमलों का स्वत संज्ञान लेते हुए आदेश दिया है कि ऐसे छात्रों पर हो रहे हमलों को भीड़तंत्र द्वारा किया गया हमला माना जाए और उससे उसी तरह से निपटा जाए जैसे कि भीड़तंत्र के मामलों से निपटा जाता है यानि सख्ती से ऐसे मामलों को देखा जाए। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अहम है।
-मुकेश जैन,
गांधीनगर, दिल्ली।