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दूध के पोषक तत्वों के फायदे

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:16 April 2019 6:53 PM GMT
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दूध के पोषक तत्व और इसके फायदे इतने है कि डॉक्टर इसे कंप्लीट फूट यानि संपूर्ण आहार कहते हैं लेकिन अगर इसका सेवन आवश्यकता से अधिक करें तो यह सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकता है। स्वीडन की उप्पसला यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में माना है कि दिन में तीन ग्लास यानि 0।709 लीटर से अधिक दूध का सेवन करने वाले लोगों को असमय मृत्यु का रिस्क अधिक रहता है। शोधकर्ता कार्ल माइकलसन के अनुसार दूध में मौजूद लैक्टोस और गैलेक्टोस शुगर की अधिकता सेहत पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकती है।शोध के दौरान 61 हजार महिलाओं और 45 हजार पुरुषों पर 20 साल तक अध्ययन किया गया और पाया गया कि रोज तीन ग्लास से अधिक दूध पीने वाले लोगों को असमय मुत्यु का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में दोगुना होता है। शोध के दौरान प्रतिभागियों को दूध समेत 96 प्रकार की डाइट का सेवन कराकर उनका परीक्षण किया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक दूध के सेवन से शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है जिससे असमय मृत्यु व हड्डियों में पैक्चर का रिस्क बढ़ जाता है।

-विकास यादव,

शादीपुर, दिल्ली।

लड़कियों को ही क्यों दिक्कतों

का सामना करना पड़ता है

लड़कियां भले ही आज लड़कों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। लेकिन इस दौर में भी लड़कियों को दफ्तरों में कुछ कॉमन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ये बातें न सिर्प लड़कियों के दफ्तर में ढंग से काम करने में रुकावटें पैदा करती हैं। बल्कि ये बातें लड़कियों के कॉन्फिडेंस को भी नीचे गिराती हैं। जानिए ऐसी 7 बातों के बारे में जिनसे लड़कियों को दफ्तर में होती है दिक्कत। बॉस से अच्छे रिलेशन मतलब लूज कैरेक्टरः ज्यादातर ऑफिस में अगर कोई महिला कर्मचारी अपने बॉस से अच्छे से बात करती है तो यह माना जाता है कि उसका कैरेक्टर ठीक नहीं है। लेकिन अगर यही रिश्ते पुरुष के बॉस के साथ रहें तो इसे पुरुषों का मिलनसार होना करार दिया जाता है। सावधान! लड़के आपको घूर रहे हैं, लड़के खुद तो पटि कमर से इतना नीचे पहनते हैं, जैसे पॉटी करने जा रहे हों। लेकिन अगर कोई लड़की जीन्स या टॉप थोड़ा सा नीचे या ऊपर की तरफ से पहन ले और अंतःवस्त्राsं की पतली सी पट्टी भी दिख जाए तो ऑफिस के लड़के ऐसे देखेंगे कि जैसे उन्हें अंग्रेजों द्वारा चुराकर ले गए कोहिनूर हीरे के मिलने की संभावना लड़कियों के कपड़ों में ही नजर आ रही है। जमाना ठीक नहीं हैः लड़कियां ऑफिस की तरफ से देर रात होने वाली पार्टियों या आउटिंग में नहीं जा सकतीं। क्योंकि समाज के सो कॉल्ड ज्ञानियों का मानना है कि जमाना ठीक नहीं है। अपने तर्प को मजबूती देने के लिए हाल ही में रेप और छेड़खानी की घटनाओं को गिनवा दिया जाता है। मन हो या न हो। तबीयत खराब हो चाहे अच्छी। ऑफिस में लड़कियों से हमेशा यही उम्मीद की जाती है कि वो दिखने में चौकस लगें। इसके चक्कर में आए दिन लड़कियों को अपर लिप्स, आईब्रो मेनटेन करना पड़ता है। हालांकि ज्यादातर लड़कियों को सुंदर दिखना ही अच्छा लगता है लेकिन कई बार ये उलझन की वजह भी बन जाती है। पुरुष बॉस अगर गाली दे या ड्यूड स्टाइल में चिल्लाए, तो उसको सात खून भी माफ। लेकिन अगर कोई फीमेल बॉस गाली या ड्यूड स्टाइल में कुछ कह दे तो उस फीमेल बॉस को ऐसे घूरा जाएगा जैसे उसने स्वच्छ भारत अभियान के पहले दिन ही कहीं से लाकर एक ट्रक कूड़ा मोदी जी के घर के बाहर डाल दिया हो। लड़कियां अगर ऑफिस में सिगरेट भी पी लें, तो उन्हें ऐसे देखा जाएगा जैसे फौरन उन्हें कैंसर होने का खतरा हो। समझा करो, तुम घर की मालकिन होः पति और पत्नी या भाई और बहन। महिलाएं नौकरी करती हैं लेकिन अगर घर में कोई मेहमान आ जाए या काम पड़ जाए, तो ऑफिस से छुट्टी लेने की जिम्मेदारी घर की फीमेल पर ही आ जाती है। तर्प दिया जाता है कि तुम घर की मालकिन हो। तुमसे रौनक रहती है। नाजुक लड़कियांः ऑफिसों में किसी भी कठिन काम को लड़कियों को नहीं दिया जाता। इसी के चलते लड़कियों की लंबी शिफ्ट नहीं लगाई जाती। भले ही बॉस या ऑफिस के सहकर्मी भरे दफ्तर में अपना गुस्सा उतार दें लेकिन आखिर में कहेंगे कि अरे लड़की है इसीलिए डांट नहीं रहा। हालांकि डांट सुनना किसी को भी नहीं पसंद होता है।

-नीलम वर्मा,

विकासपुरी, दिल्ली।

बिना चाभी वाली कारों

पर चोरों की नजर

अगर आप सोचें की आपकी महंगी, बिना चाभी वाली कार सुरक्षित है तो जान लें कि ऐसी कारें चोरों के निशाने पर ऊपर हैं। बिना चाभी वाली (की-लेस) महंगी कारों के बाजार पर नजर रखने वाली एक ब्रितानी संस्था के अनुसार आपराधी गिरोह तकनीकी उपकरणों की मदद से इन कारों के दरवाजे खोलने में काफी कामयाब हैं। सोसाइटी ऑफ मोटर्स मैन्यूफैक्चर्स एंड ट्रेडर्स (एसएमएमटी) ने कार निर्माताओं से अपील की है कि वो कारों में अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें। दरअसल रिमोट से चलने वाली कारों को निशाना बनाकर अपराधी खास उपकरणों से कारों के रिमोट की प्रोग्रामिंग बदल देते हैं। जगुआर लैंड रोवर की ओर से कहा गया है कि रिमोट से खुलने वाले दरवाजों की सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग को बदल कर कार चोरी के मामले दुनिया भर में बढ़े हैं। इंग्लैंड में ऐसी कई चोरियों के मामले सामने आए हैं। इन कार मालिकों को बीमा कंपनियों की ओर से कोई मुआवजा भी नहीं मिल रहा है। अखबार द टाइम्स की खबर के मुताबिक एआईजी बीमा कंपनी ने ऐसे ही एक मामले में कार मालिक को मुआवजा देने से इंकार कर दिया। हालांकि बीमा कंपनी ने कहा है कि वो हर मामले की अलग-अलग पड़ताल करती है।

-सुशील जैन,

शाहदरा, दिल्ली।

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