कैसे मिलेगा गुर्जर समुदाय को आरक्षण का लाभ?
राजस्थान सरकार द्वारा 13 फरवरी को विधानसभा में एक बिल पारित कराकर राज्य में गुर्जर सहित पांच जातियों को पांच फीसदी आरक्षण का प्रावधान करते हुए केंद्र से इस व्यवस्था को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की अपील की गई है। राजस्थान पिछड़ा वर्ग अधिनियम 2017 के संशोधन विधेयक के रूप में गुर्जर, बंजारा, बालदिया, लबाना, गाडिया लोहार, गाडोलिया, राईका, रैबारी, देवासी, गडरिया, गाडरी व गायरी जातियों के लिए इस आरक्षण का प्रावधान किया गया है। विधानसभा में पारित बिल में गुर्जर सहित पांच जातियों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पांच फीसदी आरक्षण के अलावा सवर्णों को भी दस फीसदी आरक्षण लागू किया गया है। वैसे गुर्जर समुदाय के हिंसक आंदोलन को देखते हुए यह पहली बार नहीं है, जब इस प्रकार उन्हें आरक्षण का लाभ देने की व्यवस्था कर संतुष्ट करने का प्रयास किया गया हो। गुर्जरों को अब पांचवी बार आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है। इससे पहले इसके लिए चार बार बिल लाया गया और एक बार नोटिफिकेशन जारी हुआ लेकिन हर बार यह कुल आरक्षण का 50 फीसदी से ज्यादा होने के कारण अदालत में अटक गया। इसी वजह से पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा दो बार पांच के बजाय एक फीसदी आरक्षण दिया गया क्योंकि एक फीसदी के बाद राज्य में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी के दायरे में ही रही। इन जातियों के लिए इसी एक फीसदी आरक्षण की व्यवस्था अभी भी बरकरार है। जहां तक आरक्षण के लिए गुर्जरों के आंदोलन की बात है तो पिछले 13 वर्षें में वर्ष 2006 से अब तक वो छह बार आंदोलन कर चुके हैं। सबसे पहले 2006 में गुर्जरों को अलग से आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर गुर्जर समुदाय ने आंदोलन किया था। गुर्जरों को एसटी में शामिल करने की मांग पर शुरू हुए उस आंदोलन के दौरान कुछ स्थानों पर रेल पटरियां उखाड़ डाली गई थी, जिसके बाद तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा गुर्जरों को आरक्षण देने के लिए एक कमेटी बनाई गई लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला। 2007-08 में गुर्जर आंदोलन हिंसक होने के कारण आंदोलनकारियों पर सख्ती के चलते 70 से भी ज्यादा लोग पुलिस व सुरक्षा बलों की गोलियों का निशाना बनकर मौत के मुंह में समा गए थे। तत्पश्चात भाजपा सरकार द्वारा गुर्जर समुदाय को विशेष पिछड़ा वर्ग (एसबीसी) कोटे के तहत 5 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया गया किन्तु सरकार का वह फैसला राजस्थान हाई कोर्ट में अटक गया। दरअसल सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण के लिए कुल 50 फीसदी की सीमा तय की गई है और गुर्जरों के लिए अलग से पांच फीसदी आरक्षण दिए जाने पर वह इस सीमा को पार कर गया था।
-मुकेश अग्रवाल,
गांधीनगर, दिल्ली।
उपलब्धियों पर भारी जवानों की मौत
कोई माने या न माने केंद्र की मोदी सरकार की अनेकानेक उपलब्धियों पर ऐन चुनाव से पहले आतंकी हमले की भेट चढ़े 44 जवानों की मौत भारी पड़ेगी। 2014 में नोटबंदी के बाद नियोक्ताओं द्वारा भारी संख्या में बेरोजगार किए गए अधेड़ आज भी परेशान है। इमानदारी का दंभ भरने वाली सरकार ने अपने कर्मचारी भविष्य निधि संग"न से अब तक यह नही पूछा कि नोटबंदी के बाद से लेकर अब तक कितने लोगों को नियोक्ताओं ने बेरोजगार किया? कितने लोगों की भविष्य निधि खाते में आने वाली किश्त रुक गई? नोटबंदी के बाद कर्मचारियों को बिना किसी मुआवजे के सड़क पर लाने वाले नियोक्ताओं पर क्या कार्रवाई की गई। इसके अलावा और भी कई ऐसी कमियां है जो उपलब्धि दर्ज कराने वाली इस मोदी सरकार पर 2019 के लिए महंगी साबित होगी। 14 फरवरी 2019 को केसर की क्यारी के नाम से विख्यात पांपोर का लितपोरा, जहां लाल-सुर्ख खुशबूदार केसर लेने वाले सैलानियों की भीड़ भी खूब रहती है। पीरपंजाल की पहाडियों से आती बर्फीली हवा के झोंकों में केसर की खुशबू तैर रही थी। अचानक एक जोरदार धमाका हुआ, फिर आस्मां में न हल्की धूप रही और न हवा में खुशबू। आग की लपटें और काले धुएं के गुब्बार के बीच मानव अंगों के जलने की दुर्गंध के साथ सब कुछ दहल गया। रोने-चिल्लाने की आवाजें और गोलियों की आवाज गूंजने लगी।लगभग पांच से सात मिनट तक किसी को समझ में नहीं आया कि क्या हो गया। केसर की क्यारी खून से लाल हो गई। सड़क पर जहां तहां इंसानी मांस के लोथड़े बिखरे थे। अली मोहम्मद नामक एक स्थानीय शहरी ने कहा कि मुझे नहीं पता कि क्या हुआ, बस मैंने एक जोरदार धमाका सुना, मुझे लगा कि आसमान फट गया है, मैं कुछ देर के लिए सुन्न-सा हो गया था। मैंने देखा वहां पार सड़क पर एक गाड़ी जल रही है। यहां चारों तरफ काला धुंआ हो गया और कुछ लोगों को चिथड़े उड़ते हए नजर आए। मैंने देखा कि फौजी गाड़ियों से नीचे उतर कर जमीन पर लेट अपनी पोजीशन ले रहे थे। मैं डर गया और दुकान का शटर गिराकर भीतर ही बै" गया। धमाके के समय वहां से गुजरने वाले एक वाहन चालक ने कहा कि मैं अनंतनाग की तरफ जा रहा था। मैं डिवाइडर के इस तरफ था। धमाके की आवाज से मैं पूरी तरह हिल गया। मेरी गाड़ी बेकाबू हो चली थी। कइयों के शरीर के कुछ हिस्से पेड़ व तार पर भी बिखर गए थे। मैंने बड़ी मुश्किल से गाड़ी निकाली। मैं बच गया। मुझे नहीं पता कि धमाका कैसे हुआ। हमले के फौरन बाद मौके पर पहुंचे राज्य पुलिस में उपाधीक्षक राकेश ने कहा कि जब हम मौके पर पहुंचे तो चारों तरफ लाशें ही नजर आ रही थी। कुछ लोग जख्मी थे। कई दुकानदार अपनी दुकानें खुली छोड़कर ही भाग निकले थे। हमने जवानों के साथ मिलकर पहले इलाके को घेरा और उसके बाद घायल जवानों को अस्पताल पहुंचाया। कई जगह जवानों के शरीर के कपड़े और शरीर के जलते हुए हिस्से पड़े थे। मैंने ऐसा सीन पहले कभी नहीं देखा। हमारे देश को गुलाम बनाने वाले ब्रिटेन में 53 देशों की मीटिंग में मोदी जी महाअध्यक्ष बने।
-सुरेश चौहान,
रोहिणी, दिल्ली।