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तब वे उनसे सवाल क्यों नहीं करते?

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:26 April 2019 11:10 PM IST
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पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के बालाकोट में स्थित आतंकवादी संग"न `जैश-ए-मोहम्मद' के अड्डे पर भारतीय वायुसेना के हमले में मारे गए आतंकवादियों की संख्या को लेकर कांगेस समेत दूसरे विपक्षी राजनीतिक दल जैसे सवाल उ"ा रहे हैं, वे बेहद शर्मनाक हैं। क्या इनमें इतनी भी समझ नहीं है कि इससे सबसे अधिक किस की भावना आहत हो रही हैं? इस कारण राष्ट्रहित और उसकी पतिष्ठा को कितनी क्षति पहुंच रही हैं? विश्व भर में देश की छवि धूमिल हो रही है। दुश्मन मुल्क पाकिस्तान उनके बयानों को किस तरह से पेश करेगा, इसकी भी इन्हें परवाह नहीं। अगर नहीं है, तो वे यह अच्छी तरह यह भी जाने लें, उनके इस अनुचित रवैये से पधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार का नहीं,उनका अपना ही अहित हो रहा है, क्योंकि उन्हें भारतीय सेना की शक्ति तथा क्षमता पर भरोसा भले ही न हों, पर देश की जनता को उस पर पूरा विश्वास है। सामान्यतः भारतीय सेना राजनीतिक विवादों से दूर ही रहती है, लेकिन इस अपिय विवाद को देखते हुए एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ को यह कहने को विवश होना पड़ा कि सेना का काम लक्ष्य को भेदना होता है, लाशें गिनना नहीं। वैसे भी उसका यह अभियान जारी है। उनका कथन सर्वथा उचित है, पर यहां प्रश्न यह है कि इसके बाद क्या इस गलत बहस पर विराम लग जाएगा? इसका जवाब है, हरगिज नहीं। अगर ऐसा होता तो क्या हमारे देश के राजनीतिक दल और उनके नेता अपनी राजनीतिक लाभ के लिए जानबूझकर राष्ट्रीय हित, उसकी सुरक्षा, सम्पभुता के साथ बार-बार खिलवाड़ करते? इनकी ओछी मानसिकता के कारण राष्ट्र विरोधी शक्तियों के हौसले बेहद बडे हुए हैं वे खुले आम भारत की सम्पभुता को चुनौती न दे रही होतीं। वैसे भारतीय वायुसेना की जिस स्ट्राइक के नतीजों को लेकर शक जाहिर किया जा रहा, उसी से व्यथित होकर पाकिस्तानी सांसद संसद में पधानमंत्री इमरान खान की सरकार के लिए न केवल शेम-शेम के नारे लगाए जा रहे थे, वरन उसका पतिकार करने को पाकिस्तान ने एफ-16 विमान जम्मू-कश्मीर के हवाई अड्डों को ध्वस्त करने को भेजे थे, यह अलग बात है कि भारतीय वायुसेना की सर्तकता-सावधानी के कारण मिग-21 से उनमें से एक विमान नष्ट करके बाकी पाक विमानों को वापस लौटने को मजबूर कर दिया। इसके अलावा विभिन्न माध्यमों से पाप्त सूचनाओं से अब पता चला है कि जैश-ए-मोहम्मद के बालाकोट स्थित अड्डे के तबाह होने से उसमें रह रहे इसके सरगना मसूद अजहर के कई निकट संबंधी भी मारे गए हैं। जहां तक कि वायुसेना के हमले में मारे गए आतंकवादियों की संख्या का प्रश्न है तो भारतीय गुप्तचर एजेन्सी `रॉ' तथा एनटीआरओ अनुसार इस अड्डे से 300 मोबाइल संचालित हो रहे थे।भारतीय विमानों के 1000किलोग्राम स्पाइस बम गिराने के बाद क्या ये आतंकवादी बचे रह गए होंगे? जो भारत को तबाह करने के मंसूबे लेकर पशिक्षण लेकर सरहद पार करने की फिराक में थे। इसके बाद भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल का कहना था कि इंटरनेशनल मीडिया के मुताबिक एयर स्ट्राइक में किसी भी तरह के नुकसान का सुबूत नहीं मिले हैं। इसी पार्टी के नेता तथा पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिधू का कहना है कि एयर स्ट्राइक का चुनाव के लिए इस्तेमाल गलत है। इसमें 300 आतंकवादी मारे गए हैं या 300 पेड गिराए हैं? वैसे यह सब पाकिस्तान सरकार और उसका मीडिया कह रहा था। कुछ ऐसे ही सवाल अरविन्द केजरीवाल उ"ा रहे हैं। वैसे भी तिरंगा लहराते हुए देश के किसी भी नेता की भारत माता की जय, वन्दे मातरम के नारे लगाने वाले अरविन्द केजरीवाल अब सत्ता भोगने के लिए भारत तेरे टुकड़े होंगे, महिषासुर दिवस मनाने वाले रोहित वेमुला ही नहीं, खालिस्तानियों के सबसे बडे पैरोकार बन गए हैं। उन्हें हर देशभक्त भाजपाई दिखाई देता है। उनका यह कायाकल्प अन्ना आंदोलन से जुडे लोगों के लिए कितना पीडादायक है,यह वे ही जानते हैं। इसी मुद्दे पर ममता बनर्जी, एनसीपी,मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी ने भी कांग्रेस का साथ देकर अपना पुराना रवैया दिखाया है।

-हरनेक Eिसह,

पंजाबी बाग, दिल्ली।

सेना के पराक्रम पर सियासत "ाrक नहीं

भारत के जाबांज सैनिकों ने जब पहली बार पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की थी, तो उस वक्त विपक्ष के कई नेताओं ने इसके सबूत सरकार से मांगे थे। अब जब भारतीय वायुसेना ने पीओके में आतंक के गढ़ ध्वस्त करने के लिए एयर स्ट्राइक की है, तो फिर से विपक्ष पुरानी भाषा बोलने लगा है। एयर स्ट्राइक के बाद पूरा देश सेना के पीछे खड़ा है, तो वहीं चंद नेता ऐसा हैं जो सेना और सरकार से कार्रवाई के सबूत मांग रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहती हैं कि उन्होंने `न्यूयॉर्प टाइम्स' में खबर पढ़ी थी कि हवाई हमले में एक भी आतंकी नहीं मारा गया। सरकार स्पष्ट करे कि बालाकोट और पीओके में कितने बम, किन लोगों पर बरसाए गए? पधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के रवैये से नाखुश हैं। उनका कहना है कि मोदी का विरोध करते-करते पार्टियां देश का विरोध करने लगी हैं। अपनी अलग-अलग सभाओं में पाकिस्तान में वायुसेना के हमले के सबूत मांगने वाली पार्टियों से पूछ रहे हैं कि क्या उन्हें अपनी सेना पर भी भरोसा नहीं है। लेकिन स्ट्राइक के बाद विपक्ष ने कुछ समय तक तो राजनीतिक मोर्चे पर युद्धविराम रखा लेकिन अब सियासी लड़ाई जमकर शुरू हो गई है। आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो अपनी संवैधानिक सीमा ही लांघ दी, जब उन्होंने विधानसभा में ही चीख-चीख कर कहा कि भाजपा और मोदी 300 सीट जीतने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। वे पुलवामा भी करवा सकते हैं। राष्ट्र की सरकार और सेना के पक्ष में फ्रशंसा और सम्मान के फ्रस्ताव पारित करने के बजाय विपक्ष के 21 दलों ने `निंदा फ्रस्ताव' पारित किया है। संयुक्त बयान में यह भी कहा गया, `राष्ट्रीय सुरक्षा संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर होनी चाहिए।' बयान में यह भी आरोप लगाया गया कि फ्रधानमंत्री ने दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से सर्वदलीय बै"क को स्थापित परंपराओं के तहत नहीं बुलाया। पाकिस्तान सरकार ने तत्काल इस बयान को लपकते हुए आरोप लगाया कि सुरक्षा के मुद्दे पर भारत बंटा हुआ है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक टीवी इंटरव्यू में आरोप लगाया कि पहली बार भारत की विपक्षी पार्टियों ने सत्ताधारी पार्टी के मंसूबों को खुलकर बेनकाब किया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पुलवामा में आतंकवादी हमले और उसके बाद पाकिस्तान पर हमले के बाद देश की राजनीति का एजेंडा बदल गया है, सामने खडे चुनाव के मद्देनजर अब पक्ष हो या विपक्ष इसी पर बात कर रहा है। कहने को तो सभी कह रहे हैं कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए लेकिन राजनीति जमकर हो रही है। ऐसा लगता है मानो चुनाव जीतने के अलावा हमारे दलों का कोई और सरोकार और लक्ष्य नहीं है। टीवी चैनलों पर भी विपक्षी दलों के फ्रवक्ताओं के तर्प वही हैं, जो वे असंख्य बार उ"ा चुके हैं। चुनाव के पहले उनका सामाजिक, आर्थिक, किसानी, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि का एजेंडा नेपथ्य में कहीं दफन है, लेकिन एकमात्र एजेंडा सुनाई दे रहा है-मोदी को हटाना है। कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी, कपिल सिब्बल, नवजोत सिंह सिद्दू ने भी अलग-अलग बयान देकर सरकार को एयर स्ट्राइक पर घेरने की कोशिश की है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि बालाकोट में जैश के जिस आतंकी अजs को मटियामेट किया गया, वैसे तमाम अजs पाकिस्तानी सेना के संरक्षण और समर्थन से ही चलते हैं। अभी तक पाकिस्तान ऐसे अजाsं को खत्म करने का दिखावा करने के साथ यह बहाना भी बनाता रहा है कि हम तो खुद ही आतंक के शिकार हैं। यह झू" न जाने कितनी बार बेनकाब हो चुका है, किंतु पाकिस्तान बेशर्मी से बाज नहीं आता। बालाकोट में सफल हवाई हमले को अंजाम देने के बाद भारत दुनिया को यह संदेश देने में भी कामयाब रहा कि उसने पाकिस्तान को निशाना बनाने के बजाय उसके यहां कायम आतंकी "िकानों को निशाना बनाया। वायुसेना ने अपनी पराक्रम क्षमता और साहस का जो परिचय दिया, वह पाकिस्तान के साथ विश्व समुदाय को भी एक संदेश है। यह संदेश इसलिए दे सकी, क्योंकि फ्रधानमंत्री ने जरूरी राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया। लेकिन इन सबके बीच विपक्ष के नेताओं द्वारा एयर स्ट्राइक पर की जा रही टीका टिप्पणी अत्यंत दुखदायी और भावनाओं का तिरस्कार करने वाली पतीत हो रही है। एयर स्ट्राइक पर चारों ओर से उ" रही आवाजों के बीच वायुसेना पमुख ने पेस के सामने अपनी स्थिति साफ की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सीमा के अंदर बालाकोट में भारत के लड़ाकू विमानों ने जैश के "िकानों पर जो हमला किया वो कारगर था और ये गिनना उनका काम है नहीं की इस हमले में कितने आतंकी मारे गए। बेशक व्यवस्था में सरकार और सेना तो परस्पर पूरक हैं, तो विपक्ष किसकी निंदा कर रहा है?

-नीलम वर्मा,

विकासपुरी, दिल्ली।

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