Home » उत्तराखंड » वर्षा आधारित क्षेत्र को सिंचाई क्षेत्र में बदलने वाला पहला राज्य बनेगा उत्तराखण्ड सुभाष

वर्षा आधारित क्षेत्र को सिंचाई क्षेत्र में बदलने वाला पहला राज्य बनेगा उत्तराखण्ड सुभाष

👤 | Updated on:20 Sep 2011 12:56 AM GMT
Share Post

  दिनेश भारद्वाज देहरादून। विष्व बैंक के सहयोग से चलाई जा रही उत्तराखण्ड विकेन्दीकृत जलागम विकास परियोजना के अगले चरण के लिए 170 मिलियन डॉलर की परियोजनाओं को भारत सरकार द्वारा सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई है। राज्य के 13 पतिषत वर्शा आधारित क्षेत्र को सिंचाई क्षेत्र में बदलने वाला उत्तराखण्ड देष का पहला राज्य बन गया है। यह सम्भव हो पाया सामुदायिक सहभागिता से चलाई जा रही जलागम विकास परियोजना के माध्यम से। इस बारे में सोमवार को सचिवालय में मुख्य सचिव सुभाश कुमार की अध्यक्षता में बै"क आयोजित की गई। बै"क में विष्व बैंक टीम ने उत्तराखण्ड सरकार को इस बात के लिए बधाई दी कि परियोजना के सफल ािढयान्वयन के लिए भारत सरकार ने राज्य को उच्च श्रेणी पदान की है। मुख्य सचिव ने बताया कि परियोजना के तहत दूर-दराज के पिछड़े हुए क्षेत्रांs में खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्राम पंचायतों को ही योजना बनाने, लागू करने और देखरेख की जिम्मेदारी दी गई है। इससे 10 पतिषत घरेलू आय और बायोमास में वृद्धि, 15 पतिषत पेयजल की उपलब्धता और 20 पतिषत ग्राम पंचायतों के संस्थागत क्षमता में वृद्धि हुई है। यह परियोजना पर्वतीय क्षेत्र के 11 जनपदों के 18 ब्लाकों में लगभग 2348 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में चलाई जा रही है। इसमें 50 पतिषत महिलाओं की भागीदारी है। इसके माध्यम से फल उत्पादन क्षेत्र बढ़ा है।  उन्होंने बताया कि 488 करोड़ रूपये की इस परियोजना में विष्व बैंक 77.9 पतिषत, राज्य 18.6 पतिषत और लाभार्थी की भागीदारी 3.5 पतिषत है।  कुमार ने बताया कि देहरादून में कालसी के 52 ग्राम पंचायत, टिहरी गढ़वाल के जौनपुर और थौलधार विकासखण्ड के 31 ग्राम पंचायत, उत्तरकाषी के चिन्यालीसौंड़ के 33 ग्राम पंचायत, पौड़ी गढ़वाल के जयहरीखाल और द्वारीखाल के 30 ग्राम पंचायत, रूदपयाग के अगस्तमुनि के 52 ग्राम पंचायत, चमोली के गैरसैंण  सहित कुल 468 ग्राम पंचायतों में परियोजना चलाई जा रही है।  

Share it
Top