आखिर कहां जाता है गरीबों का राशन?
मण्डन मिश्र भिवानी। सरकार द्वारा गरीबों को राशन डिपो के माध्यम से सस्ते गेहूं, मिट्टी का तेल आदि उपलब्ध करवाया जाता है। परन्तु यह सामान पात्र व्यक्पियों के पास समुचित मात्रा में नहीं पहुंच पाता। जबकि कालाबाजारी के कारण बाजार में सामान्य भाव में बेचा जाता है। पाप्त सूत्रों के अनुसार सरकार पत्येक राशन कार्ड पर मिट्टी का तेल 9 रूपए 30 पैसे पति लीटर के हिसाब से दिया जाना चाहिए। जबकि यह मिट्टी का तेल कालाबाजारी के माध्यम से बाजार में 20 से 22 रूपए पति लीटर के भाव से समुचित मात्रा में उलब्ध है। यह भी सूचना है कि राशन डिपो पर उतरने वाला मिट्टी का तेल उतरते ही सीधे दलालों के माध्यम से गायब करवा दिया जाता है। जबकि पात्र लोग इंतजार में रह जाते हैं कि उन्हें कब उनके हिस्से का सामान पाप्त होगा। भिवानी जिले में अधिकांश राशन डिपो पूरे दिन ही बंद होते दिखाई देते है जोकि मात्र दिखावे के लिए कभी-कभार खोले जाते हैं। जब सरकारी राशन डिपो की दुकान ही बंद होगी तो सामान कहां से मिलेगा। इस मिट्टी के तेल की कालाबाजारी में बड़े-बड़े अधिकारी व दलाल लिप्त है। पुलिस द्वारा भी कई दफा मिट्टी तेल की कालाबाजारी करते हुए कई गाड़िया पकड़ी जा चुकी है। परन्तु यह कालाबाजारी बदस्तूर जारी है। गुलाबी कार्ड पर सरकार 2 रूपए 10 पैसे व पीले कार्ड पर 4 रूपए 84 पैसे रेट पति किलो के हिसाब से गेहूं उपलब्ध करवाती है। जबकि बाजार में सामान्य रेट 11 से 12 रूपए पति किलो है। यह भी पात्र व्यक्पि को समुचित मात्रा में न मिलकर बाजारों में बेच दिया जाता है। यह भी उल्लेखनीय है कि अधिकांश डिपो होल्डरों ने या तो स्वयं आटा चक्की लगा रखी है या आटा चक्की फैक्ट्रियों को बेच दिया जाता है। अधिकांश डिपो होल्डर स्वयं की किराणे की दुकान भी किए हुए हैं। जिस पर यह सामान बाजारी मूल्य पर बेचा जाता है।इसी पकार सरकार द्वारा सब्सिडी के माध्यम से घरेलू गैस सिलेंडर दिया जाता है। जिसका खुलेआम व्यवसायिक दुकानों व गाड़ियों में पयोग किया जाता है। आम आदमी तो सुबह उठते ही गैस के लिए लाईन में लग जाते हैं परन्तु कालाबाजारी के माध्यम से सिलेंडर 24 घण्टे उपलब्ध रहते हैं। विभाग द्वारा कभी-कभी दिखावे मात्र के लिए शहर के एक-दो दुकानों पर घरेलू सिलेंडर जब्त कर मात्र खानापूर्ति करने का पयास किया जाता है। जबकि यह सभी दुकानों पर खुलेआम पयोग किया जाता है। भिवानी में सैंकड़ों छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां लगी हुई है। जिनमें भी सरेआम घरेलू सिलेंडरों का पयोग किया जाता है।