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अन्तिम यात्रा पर महामुनि

👤 | Updated on:11 May 2010 2:08 AM GMT
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वीर अर्जुन संवाददाता जयपुर। अहिंसा यात्रा के पवर्तक आचार्य महापज्ञ के महापयाण के बाद समूचे पदेश को उनकी कमी खलेगी। आचार्य का सोमवार शाम को सरदार शहर में अन्तिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान हजारों लोगों ने उनकी महापयाण यात्रा में भाग लिया। सरदारशहर में आचार्य महापज्ञ की अन्तिम यात्रा के अन्तिम दर्शनों के लिए देशभर से श्रद्धालु सरदारशहर पहुंचे थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी भी सरदार शहर पहुंचे और आचार्य के अन्तिम दर्शन किए। उनके अलावा सांसद रामसिंह कस्वां, विधायक राजेन्द राठौडक्व, अशोक पींचा भी मौजूद रहे।  आचार्य की महापयाण यात्रा दोपहर बाद करीब तीन बजे समवसरण भवन से रवाना हुई। उधर आज सुबह से ही देश-पदेश से आचार्य के अन्तिम दर्शनों के लिए लोग सरदार शहर के श्री समवसरण भवन पहुंचने शुरू हो गए। 90 वर्षीय महापज्ञ चतुर्मास के लिए 25 अपेल को ही सरदार शहर पहुंचे थे। वे वहां गोठियो की हवेली में ठहरे थे। आज सुबह से समसवरण भवन में महापज्ञ के जयकारों से आकाश गुंजायमान हो रहा है। वहां बढक्वती श्रद्धालुआंs की भीडक्व को देखकर पशासन को अतिरिक्त व्यवस्थाएं करनी पडक्व रही है।  आचार्य महापज्ञ का जन्म 16 जून 1920 को झुंझुनूं जिले के टमकोर गांव में चोरडिक्वया परिवार में हुआ था। शुरू में आचार्य नथमल के नाम से जाने जाते थे। आचार्य ने दस वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण की परम ज्ञान की खोज में जुट गए। आचार्य तुलसी के शिष्य महापज्ञ को 1995 में ही आचार्य तुलसी ने अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। उन्होंने देश में अहिंसा यात्रा निकालकर देश भर को अहिंसा का संदेश दिया।  

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