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गुर्जर आरक्षण : अब आंदोलन भाजपा का बैंसला से हुए समझौते के अलावा कोई अन्य बेहतर विकल्प नहीं था

👤 | Updated on:13 May 2010 12:49 AM GMT
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वीर अर्जुन संवाददाता जयपुर। गुर्जर आरक्षण आंदोलन समिति के अध्यक्ष कर्नल किरोडी सिंह बैंसला के साथ राज्य सरकार ने जो समझौता किया है, उससे बेहतर कोई और विकल्प नहीं था। इसीलिए राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में इस समझौते का स्वागत किया गया है। भाजपा अपनी हार को अभी तक पचा नहीं पा रही है और अब जो कुछ नाटक हो रहा है, वह भाजपा का आंदोलन है।    सरकारी सूत्रों ने आज यहां कहा कि एक माह से भी लबा गुर्जर आरक्षण आंदोलन जिस शांतिपूर्ण तरीके से सपन्न हुआ है, उसका देश और प्रदेश में सभी जगह स्वागत हुआ है, सिर्फ भाजपा उसे पचा नहीं पा रही है। सूत्रांs ने कहा कि जो समझौता हुआ है, उससे बेहतर कोई विकल्प नहीं था। अगर हो तो बताएं।  सूत्रांs ने कहा कि भाजपा के लोग आज किस मुंह से आंदोलन को भड़का रहे हैं। उनके द्वारा बनाए गए 5 प्रतिशत और 14 प्रतिशत के बिल को ही वर्तमान सरकार ने लागू किया है। उनके किये की सजा आज गुर्जर, रैबारी, बंजारा और गाडिया लुहार भुगत रहे हैं, क्योंकि उच्च न्यायालय ने उस पर रोक लगा दी है। सूत्रों ने कहा कि पिछली सरकार ने गुर्जरों के साथ धोखा किया था। गुर्जरों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने के कर्नल बैंसला के साथ किये समझौते के बाद आर्थिक आधार पर पिछड़ों को 14 प्रतिशत आरक्षण को जानबूझ कर बिल में जोड़ा गया था। भाजपा अच्छी तरह जानती थी कि सर्वोच्च न्यायालय 50 प्रतिशत से ज्यादा के आरक्षण की अनुमति नहीं देता, इसके बावजूद इन जातियों के लोगों को विश्वास में लिये बिना दोनो आरक्षणों को एक ही बिल में जोड़ दिया गया, जिसकी सजा आज गुर्जरों के साथ रैबारी, बंजारा और गाडिया लुहार भुगत रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल महोदय राज्य में शांति और सद्भाव कायम रखने की भावना के तहत ही उस बिल पर हस्ताक्षर करने पर मजबूर हुए थे।  

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