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दोस्ती की आड़ में हस्तक्षेप

👤 | Updated on:13 May 2010 1:19 AM GMT
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ऐसा अंदाजा किया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से चीन ने भारत के पति अपनी नीति में कुछ परिवर्तन कर लिया है। ये नहीं कहा जा सकता कि वो हालात को सुधारना चाहता है। या हिन्दुस्तान की समस्याओं और शिकायतों को दूर करना चाहता है बल्कि एक वक्त ऐसा ख्याल आ गया कि दुनिया के बदलते हुए हालात उसे मजबूर कर रहे हैं कि वो हिन्दुस्तान को आज तक जो कागजी आश्वासन देता रहा है उसका कोई अमली सुबूत भी दे। लेकिन हमें चीन की नीयत का सुबूत हासिल करने में ज्यादा दिन न इंतजार करना पड़ा। क्योंकि जो खबरें मिल रही हैं वो यह बताती हैं कि पिछले एक हफ्ते में चीनी फौजें हमारी सरहदों को पर करती रही हैं। नई दिल्ली के सरकारी हल्कों में और यह ख्याल किया जाता है कि चीनी फौजें ऐसा करते हुए कोई झिझक महसूस नहीं करती। 4,5700 किलोमीटर लम्बी लाईन के अंदर वो जब भी घुसना चाहते हैं आ जाते हैं। और जब वापस जाना चाहते हैं चले जाते हैं। इसके अलावा हिन्दुस्तान की 4 हजार किलोमीटर की असली लाइन आफ कंट्रोल को भी वो पार करते रहे हैं। सरकारी सूत्रों ने बताया कि पिछले हफ्ते चीनी फौजें अपनी गाड़ियों में बैठी हुई फौजी तौर पर अहम ठिकानों में घुस आईं। बयान किया जाता है कि यह इलाका टर्ग की पहाड़ियों ओर पेंनगांगसो झील के नजदीक है। इस तरह इस साल चीनी फौजों के जबरदस्त दाखिले में बढ़ोतरी हो रही है। इसी तरह उत्तर और दक्षिण पेनगांगसो के दो तिहाई इलाका चीनियों के कंट्रोल में है। वहां चीनी पैदल फौजे घुस आई थीं। उनके साथ उनकी किशतियां आदि सब कुछ ठीक थीं। इस तरह चूहे बिल्ली का खेल बदस्तूर चल रहा है। और एक विवादित क्षेत्र में इस तरह की कोशिश यह बताती है कि यह इलाका खाली करने का चीनियों का कोई इरादा नहीं है। बेशक हिन्दुस्तानी फौजे भी चीनियों की तरह उनके इलाके में घुस जाती हैं। लेकिन वो इतनी गंभीर नजरिये की नहीं जितनी चीनी फौजें हमारे इलाके में घुसकर हो जाती हैं। वस्तु स्थिति यह है कि चीनी फौजें जो मामूली हालातों में शांतिपूर्व बैठी हैं हमारे इलाके में घुसकर आम लोगों पर दोस्ताना रवैया ही अपनाती हैं लेकिन कभी-कभी वो भी गंभीर रूप धारण कर लेती हैं। लेकिन दो लाख मील की सरहद जहां चीनी कई बार हस्ताक्षेप कर चुकी हैं हिन्दुस्तानियों को वो काफी परेशान कर रही है। ये भी कहा जाता है कि चीनी जवान जब हमारे इलाके में घुसते हैं तो अपने साथ भारी संख्या में साजो सामान लेकर घुसते हैं। इस तरह पूर्वी लद्दाख के  इलाके में चीनी अपने पांव जमा रहे हैं। जहां के 3 सेक्टर हैं पश्चिमी मध्य उत्तराखंड, हिमाचल और पूर्वी सिक्कम, अरुणाचल जो लाइन आफ कंट्रोल पर हैं चीनी हथियारबंद फौजें मिसाल के तौर पर इस साल भी अरुणाचल के असफेला इलाके में हथियार लेकर घूमती फिरती नजर आती हैं और तो और सिक्किम जिसे हिन्दुस्तानी अपना कहते हैं अब एक तरह से चीनियों का शहर बन गया है। सिक्कम का 2.1 किलोमीटर अंगुली नुमा इलाका अभी भी चीनी राडार के निशाने पर हैं इसी तरह 2.1 किलोमीटर फिंगर इलाका सिक्कम के उत्तरपूर्वी इलाके के अंत में है। जो अभी भी चीनी हथियारों के निशाने पर हैं। हमारी सरकार इन तमाम बातों को कोई अहमियत नहीं देती लेकिन जिस बात का डर है वो यह है कि कोई नहीं कह सकता कि किसी दिन चीनी इन दिखावे के हस्ताक्षेप का पूरी तरह फौजी फायदा उठाकर हमारे इलाके पर नया कब्जा न कर ले।  

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