Home » शिक्षा » संकल्प यदि मजबूत हो तो मिलती है सफलता

संकल्प यदि मजबूत हो तो मिलती है सफलता

👤 | Updated on:15 May 2010 1:28 AM GMT
Share Post

हम अपने आसपास नजर घुमाएं तो बड़ी आसानी से जान जाएंगे कि ऐसे अनेक लोग हैं जिन्होंने अपने दृढ़ संकल्प के बल पर मनचाही सफलता पाप्त की है। दुनिया का इतिहास दृढ़ निश्चय के बल पर सफलता पाने वालों के उदाहरणों से भरा हुआ है। बिना विचलित हुए दृढ़ संकल्प और कर्म कर अनगिनत लोगों ने आश्चर्यजनक सुपरिणाम हासिल किये हैं। किसी परेशानी, मुसीबत और बाधा से उनके कदम रुके नहीं। वे अपने संकल्प को ध्यान में रख जुटे रहे और सफल हुए। सफल होने वाले व्यक्ति किसी और ग्रह के वासी या हाड़-मांस के अलावा किसी और चीज के बने नहीं होते। वे सिर्फ यह जानते थे कि दृढ़ संकल्प के बल पर ही अपना लक्ष्य पाप्त किया जा सकता हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि केवल दृढ़ संकल्प से काम चलने वाला नहीं है। लक्ष्य पाप्ति के लिए निराशा से मुक्ति पाकर हर अनुकूल-पतिकूल स्थिति में अपना उत्साह बनाए रखना, समय का एक पल भी नष्ट न करना, परिश्रम से न घबराना, धैर्य बनाए रखना, समुचित कार्ययोजना बनाकर अमल में लाना आदि पर ध्यान केन्दित करना आवश्यक है। यदि आप किसी व्यक्ति की सफलता का रहस्य पूछें तो वह यही बताएगा कि उसने "ान लिया था कि वह ऐसा कर के या बन के रहेगा, चाहे कुछ भी हो जाए और इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े। दुनिया की कोई शक्ति उसे विचलित नहीं कर सकती। किसी व्यक्ति को हो सकता है सफलता आसानी से या संयोगवश मिल गयी हो। ऐसा अपवाद स्वरूप ही हो सकता है। इस पकार के किसी संयोग का इन्तजार में भाग्य के भरोसे बै" सफलता पाने की सोचना मूर्खता के सिवा कुछ और नहीं। हां, उपयुक्त अवसर को कभी छोड़ना नहीं चाहिए। इसकी पहचान अपने विवेक और दूरदृष्टि से की जा सकती है। इच्छाशक्ति संकल्प जैसे बहुमूल्य सिक्के का दूसरा पहलू है। यह हमारे संकल्प को दृढ़ता पदान करती है। इसलिए अपनी इच्छाशक्ति को कभी कमजोर नहीं होने देना चाहिए। इससे हमें निराशा जैसी नकारात्मक स्थिति से भी छुटकारा मिलता है। ईश्वर ने मनुष्य को बुद्धि और अनेकानेक संसाधनों के अलावा संकल्प करने की क्षमता भी पदान की है। संकल्प कर लेने के बाद अपने पिछले कार्यों, व्यवहार, अभ्यास, आदतों आदि पर स्वयं अपने आलोचक बनकर दृष्टि डालनी चाहिए। संकल्प कर्म के बिना व्यर्थ है। गलत ढंग से और बिना कार्य योजना के कर्म करते जाना भी व्यर्थ है। स्वयं अपने पति, अपने संकल्प के पति और अपने पयासों के पति ईमानदार रहना बेहद जरूरी है। शिक्षा और कॅरियर ही नहीं व्यवहार व आदतों के मामले में भी संकल्प महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संकल्प तथा कर्म से मिली सफलता किसी पैमाने से नापना व्यर्थ है। कोई सफलता छोटी या बड़ी नहीं।    

Share it
Top