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बेवजह का डर, यानी पैरानॉयड सिजोफ्रेनिया

👤 | Updated on:16 May 2010 1:04 AM GMT
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आमतौर पर यह माना जाता है कि यदि हमारा शरीर स्वस्थ है तो हम स्वस्थ हैं लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है क्योंकि हमारे शरीर के साथ-साथ मन का "ाrक रहना भी जरूरी है तभी हम "ाrक से जीवनयापन कर सकते हैं। मन यदि स्वस्थ नहीं है तो परेशानी होती है। इसी से जुड़ी एक बीमारी का नाम है पैरानॉयड सिजोफेनिया। इसका रोगी `कोई मेरा पीछा कर रहा है`, `वह मुझे मार डालेगा`, अक्सर ऐसा शक व्यक्त करता है। सिजोफेनिया दिमाग की वह अवस्था है जिसमें वह अपना काम "ाrक से नहीं करता। इस कारण रोगी के सोचने-समझने की क्षमता खत्म हो जाती है, वह निर्णय नहीं ले पाता। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति प्राय: अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाता। दूसरों के सामने अपनी भावनाओं को "ाrक से व्यक्त भी नहीं कर पाता। धीरे-धीरे रोगी के व्यवहार में परिवर्तन आने लगते हैं जैसे अंतर्मुखी तथा अकर्मण्य हो जाना, एकांत जीवन बिताने लगना तथा बात-बात में उत्तेजित हो जाना।  साथ ही उनमें अनिदा तथा रोजमर्रा के कार्यों के प्रति अरूचि उत्पन्न हो जाती है। मरीज नहाना तथा कपड़े बदलने में भी आनाकानी करने लगता है। उसके खाने का तरीका भी बदलने लगता है। सामाजिक ािढयाओं से वह पूरी तरह दूर हो जाता है। रोग के गंभीर होने पर रोगी में नए-नए लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इस स्थिति में वह गड़बड़ी महसूस करने लगता है और सभी पर शक करने लगता है। उसे अनजानी आवाजें सुनाई देती लगती हैं। उसे लगता है जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है, दूसरे लोग जो सोच रहे होते हैं वह भी उन्हें सुनाई देने लगता है। ऐसे में रोगी खुद ही बुदबुदाने और इशारे करने लगता है। मरीज का सच्चाई से नाता बिल्कुल टूट जाता है। उसे लगता है जैसे उसके विरुद्ध कोई षड्यंत्र रचा जा रहा है, लोग उसे मारना चाहते हैं इसलिए वह उनसे बचने की कोशिश करता है या फिर शंकित व्यक्ति पर धावा बोल देता है। ऐसे में या तो खुद को शारीरिक नुकसान पहुंचा लेता है या दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है। चरम स्थिति में मरीज अपना जीवन तक समाफ्त करने की कोशिश कर सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। आमतौर पर पुरुषों को 16-20 वर्ष की आयु में और महिलाओं को 20-30 वर्ष की आयु में यह रोग हो सकता है। सम्पूर्ण विश्व के संदर्भ में देखा जाए तो विश्व की जनसंख्या का छोटा-सा हिस्सा, लगभग 1 प्रतिशत लोग ही इस बीमारी से पीड़ित हैं।  

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