Home » स्वास्थ्य » हेपेटाइटिस `बी' खतरनाक रोग

हेपेटाइटिस `बी' खतरनाक रोग

👤 | Updated on:16 May 2010 1:05 AM GMT
Share Post

हेपेटाइटिस 'बी' खतरनाक रोगहेपेटाइटिस 'बी' से पीलिया ना हो इस हेतु इस रोग के प्रति जनचेतना जगाना जरूरी है। इस रोग में रोगी को चारों ओर हर वस्तु पीली नजर आती है। रोगी भी पीले रंग से पोत दिया गया हो ऐसा लगता है। वह कमजोर हो जाता है। यह हेपेटाइटिस 'बी' का गहरा पीलिया है जिसे कई लोग जहरीला पीलिया भी कहते हैं। हेपेटाइटिस बी एक डीएनए वायरस का पांमक रोग है, जो एक-दूसरे के शारीरिक संपर्क और रक्त से फैलता है। विश्व में 40 करोड़ लोग इस रोग के अलाक्षणिक संवाहक हैं। भारत में 4.5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी के वायरस को अपने शरीर में लिए हुए हैं। पांमक रोगों में हेपेटाइटिस बी मौत का तीसरा प्रमुख कारण है। हेपेटाइटिस बी कोई दूषित जल और विष्ठा से नहीं फैलता है, वरन्? सघन शारीरिक संपर्क, रक्त से, शरीर के विभिन्ना स्रावों जैसे वीर्य, योनि स्राव, मूत्र, माताओं द्वारा बच्चों को स्तनपान कराने इत्यादि से फैलता है। साथ ही भूलवश इंजेक्शन लगाते वक्त सुई का चुभ जाना, एक ही हाइपोडर्मिक नीडल से विपांमित तौर पर कई लोगों को इंजेक्शन लगाते रहना, टैटू बनवाना, नाक-कान को छिदवाना, रेजर ब्लड का सामूहिक उपयोग, दूसरे का टूथब्रश इस्तेमाल करना, असुरक्षित रक्तदान करना आदि भी इसका कारण बनता है। करोड़ों लोग अलाक्षणिक रूप से इस रोग के संवाहक हैं, जो बाद में हेपेटाइटिस के दुष्परिणामों को भुगतते हैं। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को हेपेटाइटिस होने या न होने हेतु एचबीएसजी टेस्ट या ऑस्ट्रेलिया एन्टीजन टेस्ट की रक्त जाँच करा लेनी चाहिए। हेपेटाइटिस बी शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि लीवर को प्रभावित करती है। लीवर एक अनोखा जैविक कारखाना है। इसमें एक हजार से ज्यादा एन्जाइम होते हैं। यह शरीर की चयापचय प्रािढया को नियंत्रित करता है। अनगिनत लीवर कोशिकाओं से बनती है, जिन्हें हेपेटोसाइट कहते हैं।  

Share it
Top