Home » स्वास्थ्य » बच्चों के रोगों का जल्द उपचार जरूरी

बच्चों के रोगों का जल्द उपचार जरूरी

👤 | Updated on:23 May 2010 1:36 AM GMT
Share Post

वर्षा `होनहार बिरवान के होत चीकने पात` यह कहावत जीवन में मानसिक स्वास्थ्य की उपयोगिता को ध्यान में रखकर ही बनाई गई है। बाल मनोविज्ञान के अनुसार शुरू के पांच सालों में यह तय हो जाता है कि बच्चा आगे चलकर मानसिक रूप से कितना स्वस्थ्य व्यक्ति बनेगा। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, बच्चे अपने मानसिक स्तर के आधार पर सोचते हैं, अनुभव तथा व्यवहार करते हैं, बच्चों की सोच उनका अनुभव तथा व्यवहार कैसा होगा यह उनकी उम्र, बुद्धि और सामाजिक माहौल पर निर्भर करता है। बहुत सी मानसिक बीमारियां किशोरावस्था या प्रौढ़ावस्था में उभरती हैं पर उनके आधार पर व्यक्तित्व निर्माण बचपन में ही अपराधी वृत्तियों और आदतों के रूप में हो चुका होता है। बच्चों द्वारा बिस्तर गीला करना एक बहुत ही आम समस्या है। प्राय: बच्चा तीन वर्ष की आयु तक अपने मूत्राशय पर काबू पा लेता है। अत: यदि तीन वर्ष से अधिक आयु का बच्चा बिस्तर गीला करता है तो ही इसे असामान्य मानना चाहिए। बिस्तर गीला करने के दो कारण हो सकते हैं। एक तो यह कि शुरू-शुरू में बच्चा पेशाब करने में काबू नहीं रख पाता और दूसरा यह कि मूत्राशय पर नियंत्रण होने के बावजूद किसी भावनात्मक परेशानी के कारण बिस्तर गीला करना। मूत्राशय पर नियंत्रण न होने के भिन्न-भिन्न कारण हो सकते हैं। कुछ बच्चों में नाड़ी तंत्र में खराबी होने के कारण वे मूत्राशय पर नियंत्रण नहीं रख पाते। कुछ बच्चे किसी मनोवैज्ञानिक बीमारी से पीड़ित होने के कारण मूत्राशय पर नियंत्रण नहीं रख पाते। ऐसा पांच से आ" वर्ष की आयु में बीच होता है। मनोवैज्ञानिक तनाव या भावनात्मक गड़बड़ी के भी कई कारण हो सकते हैं जैसे छोटे भाई या बहन का पैदा होना या किसी प्रियजन की हानि होना आदि। लड़कियों की तुलना में लड़कों में यह समस्या ज्यादा पाई जाती है। परिवार के एक से ज्यादा बच्चों में भी यह समस्या पाई जा सकती है। हां, प्रत्येक बच्चे की समस्या की गंभीरता में फर्क होता है। ऐसा हो सकता है कि कोई बच्चा हमेशा रात में बिस्तर गीला करता हो जबकि दूसरा बच्चा केवल सफ्ताह या महीने में दो-तीन बार ही ऐसा करता हो। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए अभिभावक प्राय: बच्चों को सजा देते या उनका दूसरे बच्चों के सामने मजाक बनाते हैं। ऐसा हरगिज नहीं करना चाहिए इससे समस्या और जटिल हो सकती है। आधुनिक मनोचिकित्सा में इस बीमारी पर काबू पाने का कारगर उपाय है। मनोचिकित्सक बच्चे की मानसिक समस्या को समझकर उसका निदान कर सकता है।  

Share it
Top