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पतिष्ठा के नाम पर पूरता का खेल है

👤 | Updated on:24 May 2010 3:43 PM GMT
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ऑनर किलिंग, एक ऐसी हत्या है जिसमें मारने वाले अकसर अपने ही होते हैं ओर मरने वाले भी। ऑनर किलिंग के हत्यारों को किसी तरह का कोई पछतावा नहीं रहता। व्यापक रूप से समाज भी आलोचना नहीं करता उल्टे समाज का एक बड़ा तबका उसका समर्थन करता है। ऑनर किलिंग यानी वह हत्या जिसमें हत्या करने वाले को ग्लानि या गिल्टी नहीं अपितु गर्व का एहसास हो। देश के दुश्मन या तमाम लोगों के लिए मुसीबत बने व्यक्ति की हत्या कर देना तो गर्व का एहसास करा सकता है लेकिन किसी अपने को मार देना वह भी सिपर्फ इस बात पर कि उसने आपकी मर्जी के खिलापफ अपनी जिंदगी का एक कदम उ"ा लिया, इसमें किस तरह का गर्व होगा, यह तो ऑनर किलिंग का तमगा हासिल करने वाला ही बता सकता है। 22 वर्षीय निरुपमा पा"क की मौत क्रूरता के इस खेल का ताजा उदाहरण है। ऑनर किलिंग की ज्यादातर शिकार या तो महिलाएं हुईं हैं या कोई पेमी जोड़ा। ऑनर किलिंग के मामलों को लेकर किसी भी राज्य के पशासन के पास कुछ खास आध्कारिक आंकड़ा नहीं हैऋ क्योंकि इस तरह के ज्यादातर मामलों में रिपोर्ट दर्ज ही नहीं होती या यूं कहें कि घर का एक व्यक्ति घर के दूसरे सदस्य की हत्या कर दे तो भला रिपोर्ट कौन दर्ज कराएगा। ऑनर किलिंग के मामले में परिवार के एक व्यक्ति की हत्या उसी परिवार या जान-पहचान का व्यक्ति करता है। इसमें हत्या करने वाला यह समझता है कि वह जिसे मार रहा है उसने परिवार के सम्मान को चोट पहुचाई है। इसलिए उसे जान से मार देना चाहिए। ऑनर किलिंग के मामले अकेले भारत में ही नहीं होते बल्कि कई अन्य देशों में भी इस क्रूरता के मामले देखने के मिलते हैं। वर्ष 2002 में पाकिस्तान में 245 महिलाओं और 137 पुरुषों की इसलिए हत्या कर दी गईऋ क्योंकि इन्होंने  जाति से बाहर जाकर पेम संबंध् या विवाह संबंध् स्थापित करने की कोशिश की। ज्यादातर मामलों में इस पकार की हत्या का शिकार नव-युवक या नव-युवतियां ही होती हैं। अभी तक ऑनर किलिंग के जो भी मामले सामने आए हैं उसमें ऐसी छोटी-छोटी बातों पर घर के बच्चों को मौत के घाट उतार दिया जाता है, जिन्हें सुनकर अटपटा सा लगता है। माता-पिता के खिलापफ जाकर अर्न्तजातीय विवाह करना या पिफर पेम संबंध् स्थापित करने वाले युवक-युवतियों को उनके भाई या पिता द्वारा जान से मार देना ऑनर किलिंग की श्रेणी में रखा जाता है। कभी-कभी तो अपनी मर्जी से ऐसे कपड़े पहन लेने पर भी जो घर वालों को न पसंद हों, जान से मार दिया जाता है। घर पर वर्चस्व बनाए रखने के लिए घर के बड़े बच्चों की हत्या कर देने से भी नहीं चूकते। हैरानी की बात तो यह है कि इस तरह की हत्या में घर वालों को तनिक भी इस बात का अपफसोस तक नहीं होता कि उन्होंने अपने बच्चों की जान ले ली, वह भी सिपर्फ अपनी नाक के लिए। ज्यादातर समाजशास्त्रिायों का मानना है कि ऑनर किलिंग की घटनाएं उस तबके में ही होती हैं जो शिक्षा के स्तर में पिछड़ा हुआ है और जिसने विकास के नाम पर ध्न संपदा और क्षेत्रा विशेष में एक पहचान बना ली है। लेकिन महिलाओं के तुर्किश संग"न पापात्या की राय इससे बिल्कुल अलग है। इस संग"न का मानना है कि वर्ष 1996 से अब तक ऑनर किलिंग के 40 मामले जर्मनी जैसे समश्( देश में भी पाए गए। इसके अलावा ब्रिटेन में हर साल दर्जनों की संख्या में महिलाएं ऑनर किलिंग की भेंट चढ़ जाती हैं। मध्य व पूर्वी एशिया में तो कापफी संख्या में महिलाएं परिवार के ही सदस्यों द्वारा हत्या की शिकार हो जाती हैं। खाप पंचायत वैसे तो सिपर्फ एक व्यवस्थापक पणाली है जिसका काम है ग्रामीण इलाकों के विकास कार्य में ध्यान देना और छोटे-मोटे सामाजिक मामलों की सुनवाई करना न कि किसी के जीवन का पफैसला करना। देश का हर वह तबका जो लोकतंत्रा पर भरोसा करता है वह खाप पंचायत को पूरी तरह खत्म करने का पूरा समर्थन करता है। ऑनर किलिंग जैसे अपराध् को अभी तक हमारे दंड विधन के कानून के मुताबिक अपराध् घोषित नहीं किया जा सकता। इस समय सबसे पहली जरूरत यह है कि ऑनर किलिंग को अपराध् की श्रेणी में शामिल करने संबंध नियम बनाए जाएंऋ क्योंकि इसके ज्यादातर मामलों में व्यक्ति सापफ बच जाता है और अन्य लोग इससे पोत्साहित होते हैं। इसके अलावा जाति पंचायत पर भी रोक लगाई जानी चाहिएऋ क्योंकि अर्न्तजातीय विवाह के कई मामलों में जाति पंचायत ने पेमी युगलों को मौत की सजा सुनाई है। जिसमें बेहद क्रूरता से पेमी युगल की हत्या कर दी गई। भारत सरकार ने ऑनर किलिंग के इस जघन्य अपराध् पर शिकंजा कसने के लिए अगले सत्रा में बिल ड्राफ्रट करने की पेशकश की  है। ऑनर किलिंग पर रोक लगाने के लिए आजादी के बाद पहली बार कोई सख्त कानून बनने जा रहा है। उम्मीद है कि इससे उन जोड़ों को राहत मिलेगी जो अपनी मर्जी से जीवनसाथी का चुनाव करने की ख्वाहिश रखते हैं। ऑनर किलिंग के कारण पूरी दुनिया में हर साल सैकड़ों की संख्या में लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता है, इनमें से ज्यादा संख्या महिलाओं की ही है। वर्ष 2006 में बीबीसी द्वारा ऑनर किलिंग पर कराए गए सर्वे में यह पता चला कि एशिया में हर 500 में से एक युवा किसी ऐसे व्यक्ति से परिचित है जिसे ऑनर किलिंग के तहत मार दिया गया हो। इसके अलावा हर साल लेबनान में 40 से 50 महिलाओं को ऑनर किलिंग के चलते मार दिया जाता है। गाजा पट्टी में तो हर माह तीन से चार महिलाओं को ऑनर किलिंग की सजा दी जाती है और पत्थरों से मार-मार कर उनकी हत्या कर दी जाती है। भारत में ऑनर किलिंग के मामले कितनी तेजी से बढ़ रहे हैं इसका अंदाजा इसी माह हुई इन घटनाओं से लगाया जा सकता है- 1. लखनउफ के निकट स्थित खलीलाबाद गांव की 20 वर्षीय सोनी को उसके परिवार के ही सदस्यों ने इसलिए मार दिया क्योंकि उसने अपनी ही जाति के लड़के से पेम करने का अपराध् किया था। 2. उत्तर पदेश में ही एक पिता ने अपनी बेटी को छत से इसलिए पफेंक दिया क्योंकि उसने पिता की मर्जी के खिलापफ अपने क्लासमेट से शादी कर ली थी। लड़की का पिता उत्तर पदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त था। देश में बढ़ते इस क्रूर उन्माद से निपटने के लिए भारत सरकार ने ऑनर किलिंग के विरु( भारतीय दंड संहिता में तब्दीली करके कड़ी सजा का पावधन जोड़ने जा रही है। कानून मंत्रााr वीरप्पा मोइली के नेतश्त्व में एक समिति दंड संहिता में परिवर्तन के लिए बनाए जाने वाले विध्sयक का ढांचा तैयार कर लिया है। जिसे कुछ ही दिनों कें अंदर अंतिम रूप देकर संसद के मानसून सत्रा में पेश कर दिया जाएगा और इसके सदन में पास होते ही ऑनर किलिंग को लेकर कड़ा कानून बन जाएगा। शायद तब इस क्रूर उन्माद पर लगाम लगे। सपना बाजपेयी मिश्रा  

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