बेहद आसान है एक्स हसबैंड को बेस्ट पेंड बनाना
यह कहावत कि जोड़ियां तो उफपर वाला ही बनाता है, आज के दौर में कुछ कम ही जमती है। जितनी तेजी से तलाक के मामले बढ़ रहे हैं उससे तो यही लगता है कि रिश्ते तो इंसान ही बनाता होगाऋ क्योंकि ईश्वर की बनाई हुई चीज इतनी कमजोर कैसे हो सकती है कि थोड़े से मन-मुटाव में टूट जाए। शादी के बंध्न पर लोगों का विश्वास दिन-ब-दिन कमजोर पड़ता जा रहा है, इसी के चलते तलाक की अर्जी दाखिल करने वालों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। पति-पत्नी तलाक के बाद एक-दूसरे के बारे में क्या सोचते होंगे इस बारे में सभी की राय एक ही होगी, दोनों के मन में एक-दूसरे के लिए बेहद नपफरत के अलावा और क्या हो सकता है? बात सही भी हैऋ लेकिन आजकल तलाकशुदा लोगों के बीच एक अलग तरह का चलन देखने को मिल रहा है। पति-पत्नी के रूप में भले एक जोड़ा आपस में किसी पकार की समझदारी न दिखाता हो लेकिन रिश्तों में कड़वाहट आने और तलाक ले लेने के बाद अचानक ही दोनों को लगता है कि वह अच्छे दोस्त बनकर पूरी जिंदगी एक-दूसरे का साथ दे सकते हैं। सुनने में कुछ अजीब लग रहा है लेकिन है बिल्कुल सच। खुद को पढ़ा-लिखा और आध्gनिक मानने वाले यह लोग हर चीज को अपनी सहूलियत के अनुसार परिवर्तित कर लेने में माहिर हैं, भले ही वह रिश्ते ही क्यों न हों। शादी के बाद ज्यादातर जोड़े अपनी आगे की लाइपफ को खुशहाल बनाने की पूरी कोशिश करते हैंऋ लेकिन इस कोशिश के बावजूद अगर उन्हें लगता है कि वह एक-दूसरे के लिए नहीं बने हैं तो इस स्थिति में उन्हें अलग हो जाना ही सही लगता है। इस वायदे के साथ कि तलाक के बाद भी वह एक-दूसरे के दोस्त बने रह सकते हैं, अलग हो जाते हैं। इस नए चलन या पफैशन को हर तरपफ से वाहवाही मिल रही हैं। इसे सहूलियत कहें या समझदारी कि तलाक के बाद जिस व्यक्ति से सारे रिश्ते खत्म हो गए उससे दोस्ती का नया और मजबूत रिश्ता बना लिया जाए। पश्चिमी सभ्यता से भारत में पवेश कर चुका यह पफैशन आजकल उच्च वर्ग और उच्च मध्य वर्ग के बीच कापफी लोकपिय हो चुका है। अच्छी बात यह है कि इस चलन ने समाज को एक नई सोच दी है। जिसमें तलाकशुदा जोड़े एक-दूसरे के पक्के दोस्त बन रहे हैं। रिश्तों के इस बदले परिवेश में सामान्य लोगों के अलावा कई नामी हस्तियां भी शामिल हो गईं हैं। अब साध्ना और सुजीत को ही लें, दोनों मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हुए एक-दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए और थोड़े ही समय में उन्होंने शादी करने का भी पफैसला कर लिया। परिवार वालों की रजामंदी से साध्ना और सुजीत विवाह बंध्न में बंध् जाते हैं। कुछ महीनों तो सबकुछ "ाrक चलता है लेकिन पिफर दोनों के बीच काम और घर की छोटी-छोटी चीजों को लेकर खटपट शुरू हो गई। यह खटपट समय के साथ इतनी बढ़ती चली गई कि दोनों एक-दूसरे को एक मिनट भी बर्दाश्त नहीं कर पाने की स्थिति में पहुंच गए पिफर एक दिन उन्होंने तलाक लेने का पफैसला कर लिया। आज साध्ना और सुजीत का तलाक हुए तीन साल हो चुके हैंऋ लेकिन तलाक के बाद दोनों के बीच जिस तरह के रिश्ते हैं वह शादीशुदा जीवन की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर हैं। दोनों एक-दूसरे के पक्के दोस्त हैं और रोजाना दिन खत्म होने पर पूरे दिन का ब्योरा आपस में शेयर करते हैं। अब तो सुजीत की गर्लपफेंड भी है और वह उसकी हर बात साध्ना को बताता है। सुजीत की गर्लपफेंड भी साध्ना के बारे में सबकुछ जानती है। सुजीत और साध्ना आज भी एक-दूसरे के साथ लंच-डिनर पर जाते हैं, वह आज एक-दूसरे के साथ ज्यादा खुश हैं। अपने इस नए रिश्ते के बारे में साधना का कहना है, `आज हम दोनों एक-दूसरे को पहले की तुलना में ज्यादा समझते हैं और हमारे बीच किसी तरह की असहजता भी नहीं है। सारे आकर्षण और मनमुटाव खत्म हो जाने के बाद हम दोनों पहले ही की तरह दोस्त हैं बल्कि अब हमारी दोस्ती और भी ज्यादा मजबूत हो चुकी है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि इस तरह से तलाक की कड़वाहट को कम किया जा सकता है और दो लोग जिन्होंने आपस में कापफी वक्त गुजारा है एक-दूसरे के अच्छे दोस्त भी बन सकते हैं। तलाक की मानसिक पीड़ा से जूझते जोड़ों को इस नए रिश्ते में बंध्ने की सलाह मनोवैज्ञानिक भी दे रहे हैंऋ लेकिन पश्न यह भी उ"ता है कि शादी कें बंध्न में बंध्ने वाले दो लोग सबसे पहले अच्छे दोस्त ही होते हैं तो भला तलाक की नौबत कैसे आ जाती है? इसके जवाब में मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि शादी के बंध्न में दोस्ती से ज्यादा पति और पत्नी का रिश्ता हावी रहता है। मेल इगो हमेशा पत्नी को पत्नी के रूप में ही देखना चाहता है, पत्नी अगर गर्लपफेंड या पफेंड बनने की काशिश करती है तो पति को यह कतई रास नहीं आता। ऐसी स्थिति में ही कलह होती है और शादी टूट जाती है। इसके विपरीत तलाक होने के बाद एक समय तक पति पत्नी की भूमिका निभाने वाले हर पकार के सामाजिक बंध्न से मुक्त हो जाते हैं। एक-दूसरे की अच्छी-बुरी आदतों और बातों से परिचित यह लोग अच्छे दोस्त के रूप में कापफी सहज रहते हैं। दोस्ती के रिश्तें में एक-दूसरे से उम्मीदें लगाना छोड़ देते हैं और अगर इसके बावजूद थोड़ा-बहुत मिल जाता है तो इससे बेहद खुशी होती है। तलाक हो जाने के बाद अगर जोड़े के बीच दोस्ती बनी रहती है तो इससे आपस में लगाव भी बना रहता है, ऐसे में अगर कोई अन्य महिला या पुरुष आपके एक्स के साथ जुड़ती है तो इससे परेशानी होना स्वाभाविक है? इस बारे में लोगों की राय भिन्न-भिन्न है। 33 वर्षीय पियंका का तलाक हुए 4 साल हो चुके हैं। तलाक के 2 सालों तक तो पियंका और उसके पूर्व पति की अच्छी दोस्ती रही लेकिन जब उसके जीवन में शशांक आया तो पियंका ने अपने पूर्व पति से सारे रिश्ते खत्म कर दिए। शशांक को यह कतई पसंद नहीं था कि पियंका अपने पूर्व पति से किसी तरह का कोई रिश्ता रखे। इस बारे में मैरिज काउंसलर अनु गोयल कहती हैं कि यह बात सच है कि तलाक के बात भी थोड़ा-बहुत भावनात्मक लगाव तो बना ही रहता है, ऐसे में दोस्ती हो जाने और उसके सपफल होने के पीछे कहीं न कहीं भावनात्मक लगाव ही मुख्य होता है। आपके खास दोस्त के जीवन में किसी और के आ जाने पर आपका रिएक्शन आपकी मेच्योरिटी पर निर्भर करता है। इस स्थिति में नॉर्मल वही लोग रह पाते हैं जो अपने एक्स के साथ सचमुच दोस्ती तक ही सीमित रहते हैं, उनके मन में अपने एक्स के लिए दोस्ती से बढ़कर कोई और पफीलिंग नहीं होती। खैर, इस नए चलन से अगर दो तनावग्रस्त लोगों को दोस्ती का कीमती तोहपफा और साथ ही एक-दूसरे का सहारा मिल जाता हे तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है। यह तरीका उन लोगों के लिए तो कापफी लाभदायक सि( होता है जिनके बच्चे होते हैं और आपस में तालमेल न बि"ा पाने के कारण वह तलाक ले लेते हैं। तलाक का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर ही पड़ता है। इस असर को सामान्य करने के लिए अगर पूर्व पति-पत्नी आपस में दोस्ती कर लेते हैं तो बच्चों पर इसका सकारात्मक पभाव पड़ता है। वह तो यही सोचकर खुश हो जाते हैं उनके माता-पिता के बीच सबकुछ सामान्य है। नम्रता नदीम