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खाप और गोत्रों का मामला

👤 | Updated on:24 May 2010 4:49 PM GMT
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यह दोनों मसले ऐसे हैं जो दुनिया की तवज्जों का केंद्र बिन्दू बने हुए हैं। जितनी सख्ती से हमारे हरियाणा के गवार खाप की अहमियत को महसूस कर रहे हैं उससे यह सवाल पैदा हो रहा है कि क्या यह मामला वाकई इतना अहम है जैसे इसे पेश किया जा रहा है। ऐसे लोगों की कमी नहीं जिनका कहना है कि वह खाप की आड़ में अपनी चौधराहट कायम कर रहे हैं। इसलिए इस मामले की उतनी अहमियत है नहीं जितनी उसे अता कर दी गई है। कुदरती तौर पर पूछा जा रहा है कि एक ही खाप की शादियां उतनी नुकसानदेह हैं कि उन्हें रोकने के लिए लट्ठ और तलवारें म्यानों से निकल आईं। मैं इन मामलों का माहिर नहीं हूं, लेकिन आम डाक्टरों की राय का एहतराम करता हूं कि हर इंसान की जिन्दगी में कई ऐसी बातें जुड़ी हुई हैं जिनकी अहमियत उसी व्यक्ति तक सीमित हैं। जब गोत्र और खाप के बारे में पढ़ता हूं तो यह सवाल पैदा हो जाता है कि क्या एक ही वर्ग के पुरुष और महिला की शादी इन इंसानी वबाओं को पैदा करती है जो इंसान के लिए नुकसानदेह हैं। आज तक यह तो समझा गया है कि किसी एक वर्ग में कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जो दूसरे से मिल जाएं तो दोनों के लिए खतरनाक साबित होती हैं। यह सब विशेषज्ञों की राय है और मैं समझता हूं कि इसकी कद्र करनी चाहिए। लेकिन जिस बात का खतरा महसूस हो रहा है वह यह है कि हमारे देहात की खापों के लीडरों ने यह महसूस करना शुरू कर दिया है कि वह इससे अपना राजनीतिक सत्ता कायम कर सकते हैं। जब मैं यह कहता हूं कि तो मेरे सामने अनपढ़ या अर्द्धशिक्षित देहाती खड़ा है। जब उसे यह कहा जाए कि तेरे सामने एक माहिर या डाक्टर या वैध खड़ा है और तुझे कह रहा है कि तुम किसी अपनी जाति या गोत्र में शादी न करना। तो सवाल उठता है कि क्या वह व्यक्ति यह जानने के लिए उत्सुक भी है कि  पुरुष और महिला की साझा कमजोरी उनकी जिन्दगी के लिए नुकसानदेह हो सकती है। इसलिए उसके खिलाफ बावेला किया जाता है। इस बात का फैसला मामूली लोग नहीं कर सकते। लेकिन आज ऐसा होना शुरू हो गया है। खापों के लीडर लोगों की शादियां रोक रहे हैं और दो-एक हालतों में तो उनके हुक्म की अवहेलना करने वालों को मौत के घाट तक उतार दिया गया है जिससे यह साफ हो जाता है कि यह लोग मसले को अपनी अहमियत बढ़ाने की गरज से इस्तेमाल करना शुरू हो गए हैं। ऐसी हालत में अगर जाति, गोत्र और खाप के साझे इस्तेमाल पर जमानत कर दी जाए तो इसका फायदा देहाती लोगों को होगा। लेकिन जिस बात का डर लग रहा है कि वो यह कि आज तक गोत्र और खाप के लीडरों की कोई सुनता न था और वह आज इतने वजनदार हो गए हैं कि उनके इशारों को नजरंदाज करना भी एक गुनाह बन गया है। ऐसी हालत में मुनासिब यही है कि हरियाणा सरकार के विशेषज्ञों और डाक्टरों को इकट्ठा करके जनता को बताए कि क्यों खाप में शादी नुकसानदेह है। हक तो यह है कि हरियाणा का जाट अनपढ़ है और उसे यह मालूम नहीं कि एक ही खाप के या एक ही गोत्र के लोगों की शादी नुकसानदेह साबित हो सकती है। अगर विशेषज्ञ या मसले से वाकिफकार लोग इस सवाल पर रोशनी डालना शुरू करें तो सम्भव है कि जो खतरा एक ही खाप में शादी से पैदा हो सकता है उससे लोग बच जाएं। लेकिन मुश्किल यह हो रही है कि देहात की खाप के जो चौधरी बन गए हैं वह अपने आपको रहनुमां मानने लगते हैं और इसलिए अपनी बात अपने मशविरे और निर्देश को अपनी तौहीन मानने लग गए हैं। ऐसे लोगों के निर्देशों को कोई सुनें या न सुनें लेकिन जैसे मैंने अरज किया है कि मसले के विशेषज्ञ अगर जनता के सामने खड़े होकर रोशनी डालें तो सम्भव है कि आम लोग भी समझ जाएं कि क्यों खाप में शादी करना नुकसानदेह है।  

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