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मंगल के गोचर का लग्न पर प्रभाव

👤 | Updated on:31 May 2010 3:26 PM GMT
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अशोक पँवार 'मयंक' मंगल के बारे में दो प्रकार की अवधारणा है। एक, मंगल मंगलकारी होता है, दूसरा, मंगल काफी अनिष्टकारी भी होता है। मंगल शनि के साथ हो तो भावानुसार उसके परिणाम गंभीर होते हैं। वहीं शुभ ग्रहों के साथ हो तो अतिशुभ फलदायक होता है। मंगल ने दिनांक 26 से सिंह में प्रवेश किया है जो पिछले 7 माह 16 दिन से अपनी नीच राशि कर्प में था। इस मंगल ने अमंगल ही अधिक किया। हाल ही में मेंगलूर में इस वर्ष की सबसे बड़ी हवाई दुर्घटना व दंतेवाडा में नक्सलियों का हमला मंगल के ही परिणाम है। यूँ तो जगह-जगह जमीन घोटालों का सामने आना भी मंगल की ही देन है। मंगल साहस, ऊर्जा, विस्फोट, आगजनी, युद्ध आदि का कारक है। इन सब पर स्थितिनुसार प्रभाव डालता है। बहुत समय से चली आ रही निम्न स्थिति को तोड़ कर अपने मित्र सूर्य की राशि सिंह में आने से इसके क्या परिणाम होंगे, आइए जानते हैं। मंगल 20 जुलाई को कन्या राशि में प्रवेश कर शनि की युति में रहेगा। लग्नानुसार मंगल के प्रभाव इस प्रकार होंगे। मेष लग्न ः मंगल लग्नेश व अष्टमेश होकर पंचम भाव से भ्रमण करेगा जिसके फलस्वरूप लगभग एक माह बीस दिन में से 25 दिन मेष राशि लग्न वालों के लिए कष्टपूर्ण रहेंगे। इस समयावधि में मानसिक कष्ट, सन्तान बाधा, क्लेश जैसी स्थिति से रूबरू होना पड़ सकता है। इसके बाद 25 दिन कुछ राहत भरे रहेंगे। जिनकी पत्रिका में मंगल शनि से दृष्ट न होगा उन्हीं को लाभ रहेगा। अशुभ फल होने पर रोज प्रात? गुड़ की ढेली दाँत से काट कर फेंक दें। वृषभ- वृषभ लग्न वालों के लिए मंगल द्वादशेश व अष्टमेश होकर चतुर्थ भाव से गोचर भ्रमण करने से अपने जीवनसाथी से लाभ रहेगा व भरपूर सहयोग भी मिलेगा, बाहरी संबंधों से लाभ रहेगा। मिथुन- मिथुन लग्न वालों को मंगल षष्टेश व एकादशेश होकर तृतीय भाव से गोचर भ्रमण करने से शत्रु वर्ग प्रभावहीन होंगे। वहीं कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता भी मिलेगी। आय के साधनों में वृद्धि होगी। कर्प- कर्प लग्न वालों के लिए मंगल पंचमेश व दशमेश होकर गोचरीय भ्रमण द्वितीय भाव से भ्रमण करने से आर्थिक लाभ, वाणी का प्रभाव, कुटुम्ब का सहयोग, पिता से लाभ, नौकरी में सफलता व सहयोग, राजनीति से जुड़े व्यक्ति भी लाभान्वित होंगे। सिंह- सिंह लग्न वालों के लिए भाग्येश नवम व चतुर्थ का होकर लग्न से भ्रमण करने से प्रभाव में वृद्धि, भाग्य का सहयोग, सुख में वृद्धि, माता से लाभ, जमीन-जायजाद से लाभ रहेगा। जनता से संबंधित कार्य बनेंगे। कन्या- कन्या लग्न वालों के लिए तृतीयेश व अष्टमेश होकर द्वादश भाव से गोचरीय भ्रमण करने से बहुत परिश्रम करने पर ही सफलता के योग हैं। स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा, वाहनादि सावधानी से चलाएँ। बाहरी सम्पर्कों से सहयोग मिल सकता है।  

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