Home » आपके पत्र » बाज नहीं आ रहा पाक

बाज नहीं आ रहा पाक

👤 | Updated on:23 July 2010 2:15 AM GMT
Share Post

हमारे मंत्री गण भाग-भागकर पाकिस्तान जा रहे हैं वार्ता करने। शांति वार्ता करने।  पता नहीं वे दुनिया को दिखाना चाहते हैं या पाकिस्तान को कि हम शांति के इतने पक्षधर हैं कि हमारे चाहे सैंकड़ों नागरिक मारे जाएं या फिर हमारे देश का अहम हिस्सा पीओके कहलाता ही रहे, हम फिर भी शांति के लिए मरते रहेंगे। आखिर कौन है जिसे विश्व के शांति के नोबेल पुरस्कार जीतने की इतनी महंगी चाह है। हर आतंकी घटना के पीछे जांच के उपरांत पाक का ही हाथ सामने आता है।  हम उन्हें डोजियर थमाकर या फिर पत्र लिखकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं। हम वार्ता की बात करते हैं और वहां से गालियां-गोलियां और मोर्टार से जवाब आता है। पता नहीं कब तक हम यह सब सहते रहेंगे।  अभी हाल ही में हुई हिंसा में जिस प्रकार पत्थरबाजी हुई उसे देखकर तो पुलिस के भी पसीने छूट गए। सभी हैरान थे कि आखिर इतना पत्थर आ कहां से गया और सबसे ज्यादा अफसोस तो इस बात का है कि पत्थर मारने वालों की उम्र थी 12-14 साल। यानि जो उम्र और वक्त स्कूल में होने का है वही बच्चे पत्थरबाजी कर रहे थे।  अखबारों में छपी खबरों से पता चला है कि जब एक टीचर ने एक बच्चे की मां से बच्चे के स्कूल में नियमित रूप से न आने का कारण पूछा तो उसने बताया कि जिन दिनों में वह स्कूल नहीं आया उन दिनों वह पत्थरबाजी कर दो सौ रुपये रोज कमा रहा था।  यानि बच्चों को किराये पर लेकर पाकिस्तान में बैठे आका एक नई आतंकी फौज तैयार कर रहे हैं। पुलिस द्वारा पकड़े गए हुर्रियत के नेता वानी ने पूछताछ में खुलासा किया है कि पाक में बैठे आतंकियों के आकाओं ने पत्थर ढोने के लिए जहां ट्रक के मालिक एक हजार रुपये लेते हैं वहां उनको 5-5 हजार रुपये दिए हैं और हमारा चरित्र देखिए। दुश्मनों की चाल में किस कदर उलझ गए। पैसों को ही भगवान मानकर हम अपने ही देश के दुश्मन बन गए। हमारे कश्मीरी भाई इतनी-सी बात नहीं समझ रहे कि पाक में सुरक्षित बैठे आतंकियों के ये आका हमारे हाथों हमारे ही बच्चों व सगे-संबंधियों को मरवा रहे हैं। हम उनकी चाल नहीं समझ रहे हैं और अपना ही नुकसान करने पर उतारू है। आखिर हम कब पहचानेंगे अपने दुश्मनों को. बहुत हो चुका है। पाक से अब सख्ती से निपटा जाना चाहिए। -इन्द्र सिंह धिगान, किंग्जवे कैम्प, दिल्ली।  

Share it
Top