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हरे कृष्णा, कुरैशी हाय-हाय

👤 | Updated on:2 Aug 2010 2:01 AM GMT
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भारत को पता नहीं क्या पड़ी है पाक से शांति वार्ता करने की जो हम भाग-भागकर पाकिस्तान जाते हैं शांति वार्ता करने। अभी हाल ही में हमारे विदेश मंत्री श्री एसएम कृष्णा शांति वार्ता करने पाक गए। वहां वार्ता में ही शांति नहीं थी तो शांति वार्ता कैसे होती? पाक विदेश मंत्री ने तो यहां तक तोहमत लगा दी कि हमारे विदेश मंत्री तो थोड़ी-थोड़ी देर बाद भारत सरकार से निर्देश ले रहे थे।  उन्होंने अपनी तरफ से वार्ता को विफल करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। राग कश्मीर छेड़ दिया और कुछ नहीं तो चलते चलते भारत के पल्ले में बलूचिस्तान की चिप और चस्पा कर दी। जब हमारे विदेश मंत्री लौट आए तो कुरैशी साहब ने फरमाया कि वे हिन्दुस्तान सैर सपाटे के लिए नहीं आना चाहेंगे। तो जनाब आपको सैर सपाटे के लिए दावत भी कौन दे रहा है। यह तो भारत की विशाल हृदयता है कि इतना सब कुछ होने के बाद भी आसे रिश्ते सुधारने के लिए वह पहल कर लेता है। वैसे तो भारत से जबरदस्त भूल हो गई। जब आपके एक लाख सैनिक हमारे यहां कैद थे और भारत की सेना लाहौर में दाखिल हो चुकी थी तभी आपसे कश्मीर खाली करा लेते तो अच्छा होता। आप उस समय कश्मीर खाली करते और भाग कर करते। पर चलो वह समय गुजर गया। अब अमेरिका की विदेश मंत्री ने भी दो टूक कह दिया है कि मुंबई हमले के आरोपी अब्दुल कसाब को पाक की नेवी ने प्रशिक्षण दिया था।  क्या अब भी कोई कसर है यह प्रमाणित करने में कि भारत में मुंबई में हुए हमले में पाकिस्तान का ही सीधा-सीधा हाथ था। एक बार समझ में नहीं आती कि अमेरिका ने इराक के प्रेजीडेंट सद्दाम हुसैन को सिर्प प्रकारान्तर से इसलिए फांसी दे दी क्योंकि उसने अपने पड़ोसी मुल्क पर कब्जा कर लिया था लेकिन अमेरिकन पाक को क्यों नहीं कहता कि वह भारत के कश्मीर को खाली करे? भारत सरकार को अब एक बात तो समझ ही लेना चाहिए कि लातों के भूत........। बहुत हो चुका। अब बस किया जाना चाहिए। -इन्द्र सिंह धिगान,  किंग्जवे कैम्प, दिल्ली।  

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