इनलैंड लैटर पर विज्ञापन
डाक विभाग ने पोस्ट कार्ड पर पता लिखने वाले स्थान के पास आधे हिस्से में विज्ञापन छापकर पोस्ट कार्ड की कीमत घटाकर आधी यानि 25 पैसे कर दी जिसका स्वागत किया ही जाना चाहिए। हालांकि यह पोस्ट कार्ड मिलता बड़ी मुश्किल से है। अब ध्यान से देखने पर पता चला है कि इनलैंड लैटर पर भी भेजने वाले के नाम लिखने वाले स्थान के पास डाक विभाग ने विज्ञापन छापना आरम्भ कर रखा है। इससे विभाग को अतिरिक्त आय हो रही है इसमें कोई शक नहीं। लेकिन अफसोस इस बात का है कि इसका लाभ ग्राहकों को नहीं मिल रहा। सरकारी विभाग होने के कारण यह जरूरी नहीं कि यह विभाग लाभ कमा कर ही दे। कोई भी विभाग लाभ न भी कमाए परन्तु उसे घाटे में नहीं जाना चाहिए। यहां यदि डाक विभाग इस प्रकार आय होने से यदि इनलैंड लैटर के दाम घटा दें तो यह ग्राहकों के लिए एक तोहफा होगा और चूंकि इससे विभाग को कोई हानि भी नहीं होगी। अत किसी तरह की हिचक भी नहीं होनी चाहिए। अच्छा तो बल्कि यह होगा कि पांच रुपये वाले लिफाफे पर भी आधे हिस्से में, पता लिखने वाले स्थान पर तथा पिछले पूरे हिस्से पर विज्ञापन दिया जाए। इससे भी विभाग को अच्छी आय हो सकती है। ऐसा होने पर उसका लाभ ग्राहकों को भी दिया जाना चाहिए तथा इनलैंड व पांच रुपये वाले लिफाफे के मूल्यों में कम से कम 50 प्रतिशत की कटौती कर दी जानी चाहिए। -इन्द्र सिंह धिगान, दिल्ली मीडिया पर हमला कट्टर हिंदूवाद के समर्थक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं ने `आज तक' के दिल्ली स्थित कार्यालय पर हमला कर भारी तोड़फोड़ की। आज तक के सहयोगी चैनल हेडलाइंस टुडे ने एक स्टिंग आपरेशन के तहत कुछ वीडियो चैनल पर प्रसारित किए थे। इस वीडियो में कथित तौर पर किसी स्थान पर बम विस्फोट करने की योजना बनाते हुए आरएसएस के कार्यकर्ताओं को दिखाया गया था। क्षुब्ध कार्यकर्ताओं ने अपना रोष प्रकट करने के लिए तोड़फोड़ का जो तरीका अपनाया, वह आरएसएस के लिए दागनुमा साबित हुआ। तोड़फोड़ की इस घटना की सभी ने भरसक निन्दा की। वास्तव में यह हमला किसी चैनल विशेष पर नहीं बल्कि मीडिया की आजादी पर हमला था। अभिव्यक्ति की आजादी देश के हर नागरिक को है। फिर मीडिया तो लोकतंत्र का चौथा सम्तभ है। मीडिया पर इस तरह का हमला काफी चिन्ता का विषय है। इससे पहले भी मीडिया दफ्तरों पर हमले होते रहे हैं। लेकिन देश में हिंदुत्व का अलख जगाने वाले आरएसएस द्वारा ऐसी घटना को अंजाम देना, संघ के मूल से भटकाव की ओर इशारा है। हैरानी की बात तो यह है कि एक दिन की तीव्र आलोचना के अलावा मीडिया तंत्र ने इस पर कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया है। इससे भी आगे सरकार की बेरुखी और भी चौंकाने वाली है। जरूरी तो यह है कि हमला करने वालों के खिलाफ उपयुक्त कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि राष्ट्र में फैले भ्रष्टाचार और आतंक फैलाकर अपने स्वार्थ सिद्ध करने वालों के खिलाफ मीडिया की आवाज बुलंद रह सके। -अनूप सिंह, पीतमपुरा, दिल्ली। भारत का विजय रथ आगे बढ़ा भारत मानता है और जानता है कि गरम लोहे पर चोट करना सही रहता है, साथ ही स्वयं को ठंडा रखना जरूरी है। कल तक जो पाकिस्तानी विदेश मंत्री भारत के खिलाफ विषवमन कर रहे थे और भारत यह कहकर कि हम बहस में नहीं पड़ना चाहते चंदन की तरह शीतल बना हुआ था। उसका सुफल उसे मिला है और पाकिस्तानी घमंड का सिर नीचा हुआ है। अब सामान भारतीय ट्रकों या अन्य वाहनों से वाघा चौकी तक लाएगा। -कुसुम कंवर सिसौदिया, (उप्र)