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वायरल के चलते बच्चों में बढ़ रही है गले की समस्या

👤 | Updated on:9 Nov 2010 1:18 AM GMT
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हमारे संवाददाता नई दिल्ली। वायरल की वजह से बच्चों में होने वाली गले की समस्या जो ग्रुप ए वालों में कहीं ज्यादा होती है जिसे (जीएएस) गले का लाल होने की समस्या की वजह संक्रमित फैंरिजाइटिस की वजह से होता है। सर्दी के महीनों में 30 फीसदी से अधिक मामले फैरिंजाइटिस के एस. प्योजींस की वजह से होते हैं। अगर इनका समय पर पता न लगाया जाए और उपचार ने करवाया जाए तो इससे हार्ट के वाल्व में कटाव हो सकता है ठऔर जोड़ों पर भी असर (असामयिक जोड़ों का दर्द) होता है। सर्दियों में 15 से 30 फीसदी फैरिंजाइटिस के मामले होते हैं। ये मामले सर्दी के दिनों में होते हैं और इसकी शुरुआत में अपने शिखर पर होते हैं। जीएएस फैरिंजाइटिस को स्कूली उम्र के बच्चों में (5 से 15) अधिक देखा गया है और यह कम उम्र के बच्चों में भी हो सकता है खासकर उनमें जो स्कूली बच्चों को सम्पर्प में रहते हों। तीन साल से अधिक उम्र के बच्चों में (जीएएस) फैरिंजाइटिस को पहचानना मुश्किल होता है। इसमें बुखार, सिरदर्द, पेट में दर्द, नौजिया और उल्टी की समस्या गले में  लालपन के साथ हो सकती है जिसकी वजह से बच्चों को खाने को निगलने में दिक्कत हो सकती है। अक्सर ऐसे में खांसी की समस्या नहीं होती और नाक भी नहीं बहती और अगर ऐसा होता है तो इसकी वजह वायरल खांसी होती है। इसके अलावा बच्चों में एक्स्यूडेटिव फैरिंजाइटिस, टेंडर एंटीरियर सवराइकल लिंफ नोड्स का बढ़ जाना, पैलेटल पेटेकी और इनफ्लेम्ड युवूला जैसे लक्षण शामिल हो सकते हैं। आमतौर पर इसके लक्षण तीन से पांच दिन में खत्म हो जाते हैं। स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण के लक्षणों को आमतौर पर तीन साल से कम उम्र के बच्चों में जानना मुश्किल होता है। फैरिंजाइटिस की जगह इनके लक्षण प्रोट्रैक्टिड लक्षण जुकाम या नाक बहने की समस्या हो, हल्का बुखार टेंडर एंटीरियर सरवाइकल एडीनोपैथी हो सकते हैं। इस जीएएस सिस्टम्स कांप्लेक्स को स्ट्रेप्टोकोकोसिस कहते हैं। कम उम्र के बच्चों में जो एक साल से कम उम्र के होते हैं उनमें घबराहट, भूख में कमी और हल्का बुखार होता है। उनमें अक्सर भाई या बहन या फिर दिन में उनसे मिलने वालों की वजह से जीएएस इनफेक्शन की समस्या होती है।  

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