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ऐसे देश हैं जो वाकई में है ही नहीं!

👤 | Updated on:19 April 2016 12:23 AM GMT
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 आपने दुनिया के तमाम देशों के नाम सुने होंगे। इन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ से मान्यता मिली है। ये देश आपस में कारोबार करते हैं, समझौते करते हैं। मगर दुनिया में ऐसे भी देश हैं, जिनका नाम-पता आपको मालूम ही नहीं। जिनके बारे में आपने सुना ही नहीं। हो सकता है, जाने अनजाने आप इनमें से कोई देश घूम भी आए हों। आपको यकीन भले ही न हो, लेकिन दुनिया में ऐसे बहुत से इलाके हैं जहां रहने वाले अलग देश के नागरिक होने का दावा करते हैं। कइयों के अपने झंडे हैं, अपनी करेंसी है, अपना टैक्स का सिस्टम है। ऐसे देश अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक फैले हैं। ये बात और है कि इन्हें न संयुक्त राष्ट्र मान्यता देता है, न दूसरे देश। नाम सुनिएगा तो चौंक जाइएगा। कुछ ऐसे मुल्कों के नाम नोश फरमाइए... अल्टानियम, ]िक्रस्टियानिया, एल्गालैंड-वरगालैंड। तो चलिए, आपको ऐसे ही देशों की सैर पर ले चलते हैं, जिनके बारे में आपने कभी सुना न होगा। इसके लिए आपको सबसे पहले मिलवाते हैं, ब्रिटेन की आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भूगोल पढ़ाने वाले, निक मिडेलटन से। बड़ी दिलचस्प शख्सीयत हैं मिडेलटन। उन्होंने एक किताब लिखी है, जिसका नाम है, `ऐन एटलस ऑफ कंट्रीज दैट डोंट एक्जिस्ट।' इसमें तमाम ऐसे देशों का जिक्र है जो अपनी पहचान की जंग लड़ रहे हैं। अपने आपको आजाद घोषित कर दिया है। जिनके पास अपनी करेंसी है, सरकार है और झंडा भी है। हालांकि इन्हें कोई और मान्यता नहीं देता। इन देशों ने अपना अलग ही संयुक्त राष्ट्र संघ भी बना लिया है। मिडेलटन को ऐसे देशों के बारे में दिलचस्पी तब हुई, जब वो अपनी बेटी के साथ किस्से कहानियों के देश नार्निया के बारे में पढ़ रहे थे। इसका जिक्र मशहूर अंग्रेज लेखक सी एस लुइस की किताब `द लायन, द विच एंड द वार्डरोब' में हुआ है। भूगोल पढ़ने-पढ़ाने वाले निक को इसी कहानी से ऐसे देशों की खोज-खबर लेने की सूझी, जो दूसरों की नजर में हैं ही नहीं। और जैसे ही उन्होंने ऐसे देशों की तलाश शुरू की, मानो उनके हाथ एक बड़ा खजाना ही लग गया। ऐसे बेशुमार देश हैं जिनका अस्तित्व माना नहीं जाता। इसलिए मिडेलटन की किताब में भी जगह कम पड़ गई। असल में इसकी बड़ी वजह है देश की परिभाषा। मिडेलटन ने जब खोजा तो पाया कि एक मुल्क क्या होता है, इसकी ठीक-ठीक कोई परिभाषा, रूपरेखा ही तय नहीं। कुछ लोगों ने उन्हें 1933 में लैटिन अमेरिकी देश उरुग्वे के मोंटेवीडियो शहर में अमेरिकी देशों के एक सम्मेलन का हवाला दिया। इसके मुताबिक, किसी इलाके को तब एक देश माना जाता है, जब उसका नियत क्षेत्र हो, तय जनसंख्या हो, एक सरकार हो और दूसरे देशों के साथ समझौते करने की क्षमता हो। इस पैमाने पर कसें तो कई ऐसी जगहें हैं जो देश तो मानी जाएंगी, मगर संयुक्त राष्ट्र संघ उन्हें मान्यता नहीं देता। मसलन, ताइवान को ही लें। 1971 तक इसे देश की मान्यता मिली थी। लेकिन उस साल जब चीन संयुक्त राष्ट्र संघ का हिस्सा बना तो ताइवान से देश होने का दर्जा छिन गया। -सुभाष बुड़ावन वाला, 18, शांतिनाथ कार्नर, खाचरौद।    

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