Home » आपके पत्र » न्यायपालिका के अनुसार फर्जी मत कहिए

न्यायपालिका के अनुसार फर्जी मत कहिए

👤 | Updated on:24 May 2016 12:04 AM GMT
Share Post

 न्यायपालिका के निर्णय के अनुसार सभी वकीलों को इस बात की हिदायत दी गई है कि यदि उनका पंजीकरण सन् 2011 से पहले का है तो वे अपना वैरिफिकेशन कराएं। वैरिफिकेशन के लिए हर वकील को साल में पांच बार केस में अपीयर होने का प्रमाण यानि वकालतनामे की कॉपी या फिर कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी देनी होगी। बार काउंसिल या न्यायपालिका का यह मानना है कि बहुत सारे फर्जी वकील इस पेशे में आ गए हैं और उनकी छाबीन जरूरी है। यह इस लिहाज से तो ठीक है कि जो फर्जी वकील हैं उनकी छंटाई हो जाए लेकिन यह कहना कि जो वकील किसी कारण से इस पेशे में नियमित रूप से कोर्ट में केसों में अपीयर नहीं हो रहे हैं या फिर उनके पास काम न होने के कारण या फिर किसी अन्य कारण से वे इस पेशे में नियमित नहीं हो सके हैं उनको फर्जी होना अलग बात है। फर्जी वकील तो वे कहलाते हैं जिनके पास या तो वकालत की डिग्री फर्जी हो या फिर उनका रजिस्ट्रेशन फर्जी हो या सब कुछ वे फर्जी तरीके से निभा रहे हों जैसे अभी पिछले दिनों एक फर्जी जज साहब पकड़े गए जो नियमित रूप से अपराधियों को जमानत तक दे रहे थे। पेशे में नियमित रूप से सक्रिय न रहने वाले वकीलों को फर्जी कहना उनके साथ अन्याय है। -इन्द्र सिंह धिगान, किंग्जवे कैंप, दिल्ली।      

Share it
Top