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बढ़ते सैन्य घोटाले

👤 | Updated on:7 Jun 2016 12:26 AM GMT
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  रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए देश के सामने कोई समाधान नहीं है दुनिया में मात्र दो देश ऐसे हैं जिनके पास रक्षा नीति पर कठोर संसदीय नियंत्रण जैसे मजबूत भ्रष्टाचार रोधी तंत्र मौजूद है ये देश हैं जर्मन और आस्ट्रेलिया। भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों रक्षा सामग्री का आयातक है इसके बाद भी उसमें जिम्मेदारी तय करने और भ्रष्टाचार रोधी तंत्र की स्थापना करने जैसे बुनियादी मापदंडों का अभाव है। इसमें यह भी पाया गया है कि राजनीतिक ठीक ढंग से निगरानी नहीं करते। सैन्य बल अपने भीतर फैल रहे भ्रष्टाचार को सामने लाने से डरते हैं। आम जनता को हमेशा अंधेरे में रखा जाता है उसे रक्षा क्षेत्र के बारे में जानकारी देने से अमूमन इंकार किया जाता है। आज देश के कुल सैन्य आयात का 80 फीसदी हिस्सा रूस से आता है। शेष अमेरिका, इजरायल, फ्रांस आदि देशों से आता है। यह खरीद वैश्विक वाणिज्यिक टेंडर के जरिये नहीं, सरकारी ठेकों की शक्ल में होता है। कोशिश यह होनी चाहिए कि आयातित रक्षा उपकरणों के बजाय देशीकरण को बढ़ावा दिया जाए। आयात बंद करना तो संभव नहीं है पर यह तो संभव ही है कि आयातित सामग्री की तकनीकी और अन्य देशों के मूल्यों को भी ध्यान में रखा जाए। -आनंद मोहन भटनागर, लखनऊ। राजनीति के खलनायक भाजपा और कांग्रेसöइन दोनों ही पार्टियों के बड़े-बड़े नामचीन और प्रभावशाली राजनेता गण (मसलन शरद पवार, अरुण जेटली, अमित शाह, अनुराग ठाकुर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजीव शुक्ला आदि) वर्षों से बीसीसीआई, आईपीएल, आईसीसी अथवा राज्यीय क्रिकेट संघों के अध्यक्ष/पदाधिकारी बने हुए हैं जबकि क्रिकेट के खेल से इन सबका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है। क्या स्वार्थ है इन बड़े-बड़े राजनेताओं का क्रिकेट संघों से? इसका सीधा-सा मतलब है कि इन संस्थाओं से ये राजनेता गण बैठे-बिछाए करोड़ों रुपए के काले धन से लाभान्वित हो रहे हैं। बीसीसीआई वैसे भी क्रिकेट की एक अत्यंत अमीर (किन्तु बदनाम) संस्था बन चुकी है जिसमें सभी बड़े-बड़े राजनेता गण, अभिनेता-नेत्रियों, उद्योगपति, अफसर आदि सब मिलकर इस अकूत सम्पदा की शहद चाट रहे हैं। यह हमारा दुर्भाग्य है कि ये सभी काली चमड़ी वाले नेता गण आज हमारे सम्मानीय बने हुए हैं जबकि इनकी असली जगह जेल है। आईपीएल जैसे अश्लील तमाशों से अनाप-शनाप काले धन का निर्माण हो रहा है और पाकिस्तान में स्थापित सटोरिये इनसे अंधाधुंध कमाई करके उसी पैसे से भारत में आतंकवाद को पोषित कर रहे हैं। इस प्रकार ये राजनेता और अभिनेता देश में आतंकवाद को फूलने में अप्रत्यक्ष रूप से जबरदस्त सहयोग कर रहे हैं। समय की व जनता की मांग है कि इन राजनेताओं को तुरन्त क्रिकेट संघों के पदों से इस्तीफे दे देने चाहिए या इन्हें अविलंब इन पदों से हटा दिया जाना चाहिए। यही श्रेयस्कर होगा। -पदम बोहरा, मुंबई। कम सोने वाले होते हैं शराब और ड्रग के शिकार शोधकर्ताओं का कहना है कि किशोर अवस्था के बच्चों में कम सोने से शराब, ड्रग और सेक्स संबंधी गलत व्यवहार के होने का खतरा रहता है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि कम सोने वाले किशोर अच्छी नींद लेने वालों की तुलना में भविष्य में गलत आचरण के शिकार होते हैं। उनका कहना है कि माता-पिता को किशोरावस्था वाले बच्चों का खास ख्याल रखना चाहिए। शोधकर्ताओं ने क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल रिसर्च जर्नल में लिखते हुए अमेरिका के 6,500 से ज्यादा किशोरों का विश्लेषण किया है। उन्होंने 1994 से लेकर 2002 तक के बीच सोने की आदतें, शराब और ड्रग के सेवन पर सर्वे कर यह नतीजा निकाला। खराब नींद लेने वाले लोग इस सर्वे में शराब और ड्रग की लत से जूझते पाए गए। ऐसे किशोर जो हफ्ते में एक बार ही सोते थे वे शराब,ड्रग और सेक्स जैसी आदतों में संलिप्त पाए गए। बाद के दिनों में उन्हें इसका पछतावा करते हुए भी देखा गया। वहीं पर्याप्त नींद लेने वालों में इसकी संभावना कम देखी गई। एक अन्य शोध में पता चला है कि रात में अच्छी नींद लेने वालों में सही निर्णय लेने की क्षमता होती है। -हरनेक सिंह, पंजाबी बाग, दिल्ली। गंगा व यमुना जितनी पवित्र उतनी ही दूषित भारत की गंगा और यमुना जितनी पवित्र मानी जाती हैं, उतनी ही प्रदूषित भी हैं। लेकिन दुनिया में कई और नदियां हैं, जो काफी प्रदूषित हैं। इनमें अमेरिकी नदियां भी शामिल हैं। देखते हैं कुछ अहम प्रदूषित नदियों को। कुयाहोगा (अमेरिका) ओहायो प्रांत में 1950 के दशक में अचानक यह नदी उस वक्त सुर्खियों में आई, जब इसमें आग लग गई। बाद में पता चला कि उद्योगों की वजह से प्रदूषित नदी के तट पर तेल की धार फैली थी, जिसमें आग लगी। इसके बाद पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे साफ करने की योजनाएं शुरू कीं। मातांजा (अर्जेंटीना) राजधानी ब्यूनस आयर्स के पास बहती यह नदी करीब 35 लाख लोगों की सेवा करती है। लेकिन हाल के दिनों में यह बुरी तरह गंदगी का शिकार हुई है। इसके लिए करोड़ों डॉलर की राशि 1993 में निर्धारित की गई लेकिन सालों बाद पता चला कि इसका कुछ हिस्सा ही सही जगह खर्च हो पाया। सीटारम (इंडोनेशिया) इसे दुनिया की सबसे गंदी नदियों में गिना जाता है। पिछले 20 साल में इसके आस पास 50 लाख की आबादी बसी है। इसके साथ ही प्रदूषण और गंदगी भी बढ़ी, जिससे निपटने के उपाय नहीं किए गए। इसके संपर्प में आने वाले हर व्यक्ति की सेहत खतरे में बताई जाती है। बूढ़ी गंगा (बंगलादेश) बंगलादेश की राजधानी में करीब 40 लाख लोग रहते हैं। -सौरभ भार्गव, कंझावला, दिल्ली।    

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