माउस से एक क्लिक पर पसंदीदा किताब पढ़ने के लिए घर आ जाएगी
नई दिल्ली। पढ़ने में दिलचस्पी रखने वालों को अब किताबों की उढंची कीमत या जगह जगह ट्रैफिक जाम की समस्या के कारण होने वाली थकान के चलते अपना शौक दरकिनार करने की जरूरत नहीं है क्योंकि कंप्यूटर के माउस से एक क्लिक, उन्हें उनकी पसंदीदा किताब उनके घर पर मुहैया कराएगा। यह सुविधा एक ऑनलाइन लायब्रेरी ठहुक्डऑनबुक डॉट कॉम से मिलने वाली है। यह 14 साल की उस बच्ची के दिमाग की उपज है जो अक्षरों की दीवानी है। लायब्रेरी की वेबसाइट लॉन्च हो चुकी है और एक अगस्त से इसके लिए सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। यह लायब्रेरी शुरू करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर विक्रम खोसला ने बताया ठवर्ष 2002 से 2008 तक मैं अपने परिवार के साथ अमेरिका के लॉस एंजिलिस में था। वहां मेरा कारोबार चल रहा था। वहां हर जिले में लायब्रेरी है और नई किताबें आसानी से मिल जाती हैं। मेरी बेटी इशिता वहां लायब्रेरी से ला कर खूब किताबें पढ़ती थी। जब हम भारत लौटे तो वह हर माह पढ़ने के लिए तीन चार हजार रूपये की किताबें खरीदती थी। लेकिन एक बार पढ़ने के बाद किताबें धरी रह जाती थीं। उन्होंने कहा ठइसके अलावा, यहां लायब्रेरी भी बहुत दूर दूर हैं, जो हैं, उनमें नई किताबें नहीं बल्कि साल भर पुरानी किताबें हैं। एक दिन इशिता ने मुझसे कहा कि क्यों न हम अपनी लायब्रेरी बनाएं। विचार अच्छा था। हमने इस पर काम किया और ऑनलाइन लायब्रेरी के लिए मैंने वेबसाइट डिजाइन की जो लॉन्च हो चुकी है। इस तरह भारत की पहली ऑनलाइन लायब्रेरी हुक्डऑनबुक डॉट कॉम’ अस्तित्व में आ गई।विक्रम के अनुसार, सिर्फ मासिक सदस्यता दी जाएगी और वह भी 500 रूपये की फीस तथा 1000 रूपये सिक्योरिटी डिपॉजिट पर। प्रचार के लिए बाकायदा विज्ञापनों और एसएमएस से मार्केटिंग भी की जाएगी। सदस्यता खत्म करने पर सिक्योरिटी डिपॉजिट वापस कर दिया जाएगा। अगर किसी पाक ने कोई महंगी किताब ली और उसे नहीं लौटाया तब? इस पर विक्रम ने कहा ठतब उसका सिक्योरिटी डिपॉजिट हम जब्त कर लेंगे। अगर किताब अधिक महंगी हुई तो यह नुकसान हमारे घाटे में जाएगा। वैसे ऐसा बहुत ही कम लोग कर सकते हैं क्योंकि पढ़ने के शौकीन लोग किताबों का महत्व और मतलब दोनों समझते हैं। विक्रम कहते हैं ठअभी हमारे पास 10,000 से अधिक, बेस्ट सेलर किताबों का संग्रह है। वेबसाइट पर पंजीकरण कराने के बाद पाक किताबों के लिए ऑर्डर दे सकते हैं और वह किताब उनके घर भेज दी जाएगी। पढ़ने के बाद वह किताब उनके घर जा कर ली जाएगी। अगर ऑर्डर की गई किताब हमारे पास उपलब्ध नहीं है तो अनुरोध पत्र भरने के बाद पाक को वह किताब 48 घंटे के अंदर उपलब्ध करा दी जाएगी। उन्होंने बताया ठजल्द ही हम एक विशाल लायब्रेरी भी स्थापित करने जा रहे हैं जहां पाक जा कर अपनी पसंद की किताबें पढ़ सकते हैं। हमने डेढ़ साल में देश भर में 100 लायब्रेरी स्थापित करने की योजना बनाई है। यह काम फेंचाइजी के आधार पर होगा। उम्मीद है कि पाकों को इससे लाभ मिलेगा।पढ़ने में गहरी दिलचस्पी रखने वाले, इतिहास के सेवानिवृत्त प्राध्यापक यू सी शर्मा कहते हैं ठमुझको ऐसा लगता है कि लोगों की पढ़ने में दिलचस्पी कम हो रही है। लेकिन आज भी एक बड़ा पाक वर्ग है। पर महंगी किताबें ले पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। ऐसे में मासिक शुल्क के आधार पर ऑनलाइन लायब्रेरी से घर बे पढ़ने की सुविधा मिले, तो क्या बात है। विक्रम के अनुसार, इशिता के कहने पर उन्होंने वेबसाइट में एक बुकशेल्फ भी डाला है। उसमें पाक प्राथमिकता के आधार पर किताबों के नाम डाल सकते हैं। पहली किताब वापस लेने के लिए जब लायब्रेरी का कर्मचारी पाक के घर जाएगा तो वह अपने साथ पाक की प्राथमिकता सूची के अनुसार, दूसरी किताब साथ लेकर जाएगा। उन्होंने बताया कि अगर कोई पाक अपने निजी संग्रह के लिए कोई किताब खरीदना चाहते हैं तो वह इस ऑनलाइन लायब्रेरी को इसके लिए ऑर्डर दे सकते हैं। सदस्यों को किताब खरीदने पर 35 फीसदी डिस्काउंट दिया जाएगा। कुछ खास किताबों पर यह 50 फीसदी होगा।