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इंद्रावती के अस्तित्व पर संकट, मध्यप्रदेश सरकार की गलत नीतियों की देन: आचार्य

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:28 April 2019 3:08 PM GMT
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जगदलपुर, (ब्यूरो छत्तीसगढ़)। भाजपा बस्तर जिला आईटी सेल के अध्यक्ष पंकज आचार्य ने प्रेस को जारी बयान में कहा है कि विगत 44 वर्षों से लगातार बस्तर की सीमा क्षेत्र से लुप्त होती जा रही इन्द्रावती नदी को लेकर पूर्व की मध्यप्रदेश सरकार द्वारा अपनाई गयी गलत नीति व तकनीकि प्रक्रिया के कारण आज नदी के पाट में इन्द्रावती नहीं, बल्कि भसकेल का पानी बह रहा है। उन्होंने कहा कि 1979 से ही इन्द्रावती नदी के धीमा जल प्रवाह पर कहां, कैसे और किस तरह की नीति परिवर्तन हो यह एक गंभीर चिंता का विषय जल संसाधन विभाग के लिए प्रारंभ हुआ था, लेकिन बस्तर को हमेशा उपनिवेश बनाकर रखने वाली मध्य प्रदेश सरकार का समूचा नीति नियामक दल और उनके तकनीकि क्रियान्वयन दलों द्वारा जोरानाला की ओर नदी के मुड़ने को प्राकृतिक घटना बताकर अपने कर्तव्यों की इतिकरते रहे। आचार्य ने कहा कि जब 2003 में छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आयी तब जोरा नाला में स्ट्रक्कचर निर्माण करने ओड़िशा सरकार को राशि दी। अब स्ट्रक्पर तो बन गया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि समस्या का समाधान नहीं होने का प्रमुख कारण ओड़िशा के कालाहांडी जिले में हमेशा अवर्षा एवं अकाल की समस्या से निजात पाने इंद्रावती इंटर बेसिन डिवीजन वॉटर प्रोजेक्टर की योजना के तहत ओड़िशा सरकार ने जय पटना के मुखीगुड़ा में बांध का निर्माण शुरू किया था। मुखीगुड़ा में बांध बनाकर इंंद्रावती नदी को सर्वप्रथम एपआरएल 643 मीटर झील के सहस्य बफालीमाली पर्वत के बीच 120 स्च्ढायर किमी के घेरे में जमा किया गया। अब इंद्रावती को बचाने महानदी के सिहावा पर्वत श्रृंखला के एक छोर पर 100 किमी स्च्ढायर घेरे में जमा कर अपर महानदी प्रोजेक्टर के तहत उसमें से एक 80 मीटर चौड़ाई का मुख्य केनाल बनाकर 130 मील दूर स्थित जगदलपुर के धनपूंजी गांव में इंद्रावती के पाट तक केनाल को जोड़कर महानदी के पानी से इंद्रावती को पुनर्जीवित कर सकते हैं। इसके अलावा इंद्रावती को बचाने कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

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