बुद्धीजीवियों ने कहा इंद्रावती जल संकट के लिए राज्य सरकार दोषी
जगदलपुर, (ब्यूरो छत्तीसगढ़)। इंद्रावती नदी में जल संकट को लेकर पड़ोसी राज्य उड़ीसा को यहां आयोजित हुई सभी समाजों की बैठक में जिम्मेदार ठहराया गया। इस बैठक में ओड़िशा को यह भी कहा गया कि जब तक इस समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकलता तब तक बस्तर के लोग शांत नहीं बैठेंगे।
यहां इंद्रावती के जल संकट के संबंध में स्थानीय चेंबर भवन में सर्व समाज के प्रतिनिधियों की बैठक हुई। इस बैठक में समाज प्रमुखों ने इंद्रावती नदी के किनारे शामिल लोगों को एक-एक फलदार पौधा देकर पौधारोपण के माध्यम से जल संरक्षण अभियान की शुरुआत भी करने का निश्चय किया। इस संबंध में बचेका के अध्यक्ष जल संकट पर तत्कालीन मध्यप्रदेश और ओडिशा के बीच हुए अनुबंध की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ओडिशा ने इंद्रावती नदी ने अपने सारे प्रोजेक्ट पूरे किए मगर छत्तीसगढ़ की एक योजना पूरी नहीं हुई है। छत्तीसगढ़ में योजनाओं को लागू करने सरकार भी गंभीर नहीं है। इस के लिए अब दबाव बनाना होगा। रोटरी क्लब के श्रीनिवास राव मद्दी ने लोगों से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अपने घर में लगाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत वे स्वयं अपने घर से ही कर रहे हैं। इसी प्रकार निषाद समाज के अध्यक्ष एमआर निषाद ने कहा नदी में पानी नहीं होने से इसका नुकसान सबसे ज्यादा मछुआरों को होता है। अन्य समाज के प्रमुखों ने इंद्रावती के अस्तित्व को बचाने अपने उदगार व्यक्प किये। बैठक में उर्मिला आचार्य सहित आंध्र समाज के राजेश नायडू भी उपस्थित थे। इस बैठक के बाद समाज प्रमुखों ने पर्यावरण और जल संरक्षण की शपथ ली इस अवसर पर सभी समाज प्रमुखों को एक फलदार पौधा प्रदान कर निश्चित किया कि अक्षय तृतीया के दिन 7 मई की शाम 5.30 बजे महादेव घाट में इंद्रावती नदी की आरती की जाएगी। जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को साथ लाने की अपील भी की गई।