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शिक्षा उपकर में करोड़ों खर्च फिर भी स्कूल भवन जर्जर

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:7 May 2019 3:08 PM GMT
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दुर्ग, (ब्यूरो छत्तीसगढ़)। सिकोलाभाठा स्कूल का निर्माण 1918 में हुआ था। जहां 600 छात्र-छात्राएं अध्यनरत् हैं 100 वर्ष बीत जाने के बाद भी संधारण के अभाव में दुर्दशा का शिकार है। कमोबेश यही हालत नगर निगम क्षेत्र में चलने वाले लगभग सभी शासकीय स्कूल भवनों का हैं जहां बच्चे अत्यंत जर्जर हो चुके भवनों में बच्चे दहशत के वातावरण में पढनक्वे मजबूर हैं। विधायक अरुण वोरा, पार्षद राजेश शर्मा, अंशुल पाण्डेय के साथ सिकोलाभाठा स्कूल वार्ड 14 में पहुंचे और छात्रों के पालक व वार्ड पार्षद शंकर सिंह ठाकुर ने शिकायत करते हुए कहा कि नगर निगम एवं शिक्षा विभाग की ढुलमुल कार्यप्रणाली का खामियाजा शहर के बच्चों को मूलभूत सुविधा नहीं मिलने से भुगतना पड़ रहा है एवं स्कूल के प्रायमरी भवन की हालत अत्यंत जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी है। प्रतिवर्ष बरसात में जहां बच्चों को छाता लेकर बैठने की नौबत आती है वहीं भवन 100 वर्ष पुराना हो जाने की वजह से पूरे भवन के पुर्ननिर्माण की आवश्यकता है। श्री वोरा ने सुभाष स्कूल, पोटियाकला स्कूल और गंजपारा के लालबहादुर प्राथमिक शाला, सरदार पटेल एवं नरेरा शाला गए और वहां की स्थितियों का अवलोकन किया। यहां सभी स्कूल संधारण के अभाव में पेयजल तथा छात्रों की बैठक की व्यवस्था, बिजली की पर्याप्त इतंजाम ना होने के कारण सरकारी स्कूलों में पढनक्वे वाले बच्चों की संख्या लगातार कम होते जा रही है। विधायक ने कहा नगर निगम दुर्ग जनता से टैक्स के रुप में करोड़ो रुपए की वसूली प्रतिवर्ष करता है। जिसमें 2 प्रतिशत शिक्षा उपकर भी लिया जाता है जिससे निगम के खजाने में करोड़ो रुपए की राशि जमा है किन्तु स्कूलों के प्रति निगम पू ड़ी कौड़ी भी खर्च नहीं करता एवं शासन से भी स्कूलों के भवन के नाम से पीडब्ल्यूडी एवं आरईएस विभाग में भी राशि जारी होती है किन्तु जांच का विषय है कि कार्य नजर नहीं आ रहे है जिसके कारण छात्रों एवं नागरिकों में रोष व्याप्त है। वर्तमान सरकार से स्कूलों में छात्रों को लिए स्वस्थ शिक्षा हेतु बजट में विशेष राशि की मांग की जाएगी।

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