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राजयोग मेडिटेशन से बढ़ती है मानसिक एकाग्रताः ब्रह्माकुमारी स्नेहा दीदी

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:9 May 2019 3:16 PM GMT
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रायपुर, (ब्यूरो छत्तीसगढ़)। राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी स्नेहा दीदी ने कहा कि राजयोग मेडिटेशन से एकाग्रता और स्मरण शक्पि बढ़ती है तथा तनाव खत्म हो जाता है। हम जिस समय और जो कार्य करते हैं, उस समय केवल उसी कार्य के विषय में ध्यान केन्दित होना चाहिए। मन को नियंत्रित करने के लिए अच्छा तरीका यह है कि मन को अपना दोस्त बना लें। अपने मन से बातें करें उसे खाली न रखें।ब्रह्माकुमारी स्नेहा दीदी पजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित समर कैम्प में एकाग्रता की शक्पि विषय पर बोल रही थीं। उन्होंने एकाग्रता के लाभ गिनाते हुए कहा कि इससे कार्यक्षमता का विकास होता है, कार्य में परिपूर्णता आती है। निर्णय क्षमता का विकास होता है। स्मरण शक्पि बढ़ती है और मन के संकल्प शान्त होते हैं। स्नेहा दीदी ने एकाग्रता की शक्पि बढ़ाने के उपायों की चर्चा करते हुए कहा कि हमें वही बातें याद रहती हैं जिसमें हमारी रूचि होती है। इसलिए सबसे पहले पढ़ाई के पति रूचि पैदा करना जरूरी है। कभी भी पढ़ाई को बोझ न समझें। स्वयं पर विश्वास रखें। जो कुछ भी याद रखना चाहते हैं उसका चित्र अपने मन में चित्रित करने का पयास करें। साथ ही अकेले में चार-पाँच बार उसको दोहराने का पयास करें। पढ़ते समय टेबल पर पीने का पानी जरूर रखें । ज्यादा से ज्यादा पानी पीएँ क्योंकि पानी पीने से सुस्ती नहीं आएगी, माइण्ड भी पेश रहेगा। लगातार न पढ़ें। बीच में कुछ विराम अवश्य दें। लगातार पढनक्वे से मस्तिष्क की ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है।उन्होने कहा कि एकदम से पढ़ाई शुरू नहीं करना चाहिए। पढ़ाई शुरू करने से पहले पाँच मिनट राजयोग मेडिटेशन अवश्य करें। इससे अपना ध्यान पढ़ाई में एकाग्र करने में मदद मिलेगी। पहले मानसिक रूप से तैयार होने के लिए मेडिटेशन बहुत पायदेमंद हो सकता है। अन्य सत्र में मोटिवेशनल स्पीकर बहन चांदनी दुबे ने बच्चों को स्वयं में विशेषताएं भरकर अपने लक्ष्य को पाप्त करने के लिए बहुत ही उपयोगी सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बहुत अधिक महत्व है। माता-पिता की आज्ञा का पालन करें। टेलीविजन देखने और मोबाईल पर एक घण्टे से ज्यादा समय व्यतीत करने से एकाग्रता कम होने लगती है। इन संचार माध्यमों पर ज्यादा समय देना ठीक नहीं है।

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