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हाइड्रोपोनिक खेती शुरू कर किसानों के लिए प्रेरक बन गए हैं मझौली के राजेन्द्र दास

👤 Veer Arjun | Updated on:10 Sep 2019 2:43 PM GMT

हाइड्रोपोनिक खेती शुरू कर किसानों के लिए प्रेरक बन गए हैं मझौली के राजेन्द्र दास

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कोरिया । मोबाइल एवं इन्टरनेट के फायदे कई रूपों में उठाये जा सकते हैं। कोरिया जिले के खडगवां विकासखण्ड के ग्राम मझौली निवासी राजेन्द्र दास ने कृषि क्षेत्र में हाईटेक युग का लाभ लेकर ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जिससे क्षेत्र के किसान प्रेरणा ले रहे हैं। राजेंद्र दास ने यू ट्यूब पर सिर्फ पानी से बिना मिट्टी के कॉन्सेप्ट को देखने के बाद पीवीसी पाइप का सेट लगाकर सब्जियां उगानी शुरू कर दी, और साबित कर दिखाया कि सिर्फ पानी से बिना मिट्टी के उगाए गए सब्जी और फलों के पौधे जमीनी खेती से कहीं बेहतर हो सकते हैं।

राजेन्द्र अपने फार्म पर नेट हाउस लगाकर भूमिगत खेती भी करते हैं, जहां अब वह हाइड्रोपोनिक खेती शुरू कर चुके हैं, जिसकी ट्रेनिंग के लिए राजेंद्र ने हिसार हरियाणा जाकर इसकी बारीकी को समझा जिसके बाद उन्होंने अपने फार्म पर सेटअप को तैयार किया। यह तकनीक अभी बिल्कुल नयी है और इसकी शुरुआत इजराइल में हुई है। भारत में भी अभी इस तरह की खेती को देश के कुछ हिस्सों में शुरू किया गया है। उनका कहना है कि रोजगार की तलाश कर रहे हैं, भूमिहीन युवाओं के लिए अपने घरों की छत पर ही रोजगार पैदा करने का यह एक सुनहरा माध्यम हो सकता है। इस तकनीक से जुड़ी सभी जानकारियां वे अब लोगों को भी बांट रहे हैं। राजेंद्र दास ने अपना मोबाइल नंबर 7974271804 भी दिया है और बताया है कि जिसे अच्छा लगे वह संपर्क कर सकते हैं।

राजेंद्र ने बताया कि पानी में की जाने वाली खेती को हाइड्रोपोनिक कहते हैं, यह 3 इंच या 4 इंच पीवीसी पाइप का एक सेट बनाया जाता है, जिसमें प्रति पाइप 20 छेद किए जाते हैं, पाइपों को वर्टिकल स्टैंड में सेट करने के बाद हर छेद में कप लगाया जाता है जिससे बीज रोपण के लिए मिट्टी की जगह नारियल के बुरादे का इस्तेमाल किया जाता है। पाइपों को दोनों ओर से बंद कर इसमें पानी भरा जाता है। पत्तेदार सब्जियां धनियां, पालक, मेथी, लहसुन 1 माह में तैयार हो जाती है जबकि फलदार बेल वाली सब्जियों में पौधों पर 2 माह में फल आने शुरू हो जाते हैं। फल लगने के बाद वे इधर-उधर ना गिरे या टूट ना जाए, इसके लिए धागे का इस्तेमाल किया जाता है।

राजेंद्र ने बताया कि पाइप में उगाए जाने वाले पौधों पर वह किसी कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करते हैं, बल्कि बीमारी आने पर अदरक, नीम व लहसुन को पीसकर उसका काढ़ा बनाकर पौधों पर छिड़काव करते हैं । ज्ञात हो कि जमीन में उगाए जाने वाले पौधों को पोषक तत्व जमीन से मिलते हैं तो इसकी जड़ें पोषक तत्वों की खोज में काफी लंबी हो जाती हैं और पौधे में विकास कम होता है, लेकिन हाइड्रोपोनिक तकनीक में पोषक तत्व जड़ों को आसानी से मिलती है, जिसके कारण जड़े ज्यादा नहीं बढ़ती बल्कि पौधों की बढ़वार तेज हो जाती है। इसलिए पौधे जमीन की अपेक्षा इस विधि में ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं। राजेंद्र ने बताया कि किसी भी सब्जी फल और फूल के पौधों के विकास में 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिनमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, जिंक, कैल्शियम, कॉपर आयरन, बोरान, फेरस इत्यादि शामिल हैं । पानी में यह सभी तत्व मौजूद नहीं होते मगर इन सभी पोषक तत्वों को एक निश्चित मात्रा में पौधों की आवश्यकता अनुसार पानी में मिलाया जाता है, जिससे पौधों के विकास में जरूरी पोषक तत्व आसानी से प्राप्त हो सकें।

राजेंद्र ने बताया कि 1 एकड़ भूमिगत मिट्टी में खेती करने के लिए सबसे पहले भूमि में कल्टीवेशन, भूमि समतलीकरण, बिजाई, निराई, गुड़ाई, खाद, कीटनाशक स्प्रे में करीब 20 से 25 हजार का खर्च प्रति फसल होता है। मगर पीवीसी पाइप का सेट 10000 में तैयार हो जाता है, जो स्थाई है । एक एकड़ में अगर हम इस तरह का सेट तैयार करते हैं तो 3 एकड़ के बराबर पैदावार इसे प्राप्त किया जा सकता है । टमाटर के पौधों पर खेतों में जहां 3 से 4 किलो प्रति पौधे फल आता है वहीँ हाइड्रोपोनिक तकनीक से एक पौधे में 15 किलो तक पैदावार मिल सकता है। हिस/एजेंसी

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