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हाई कोर्ट ने डीजेए के चेयरपर्सन की नियुक्ति से संबंधित याचिका पर नोटिस जारी किया

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:22 April 2019 6:27 PM GMT
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नई दिल्ली, (विसं)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने देल्ही ज्यूडिशियल एकेडमी (डीजेए) और उसके प्रमुख मृणाल सतीश से सोमवार को एक याचिका पर उत्तर मांगा जिसमें पद की पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करने के आधार पर सतीश को हटाने की मांग की गयी है।

न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट्ट और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने स्वयंसेवी संस्था अगम की याचिका पर एकेडमी, उसके चेयरपर्सन, उपराज्यपाल और दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया।सतीश प्रतिनियुक्ति के आधार पर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर हैं। एकेडमी के चेयरपर्सन पद पर उनकी नियुक्ति दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की मंजूरी से पिछले साल 15 दिसंबर को आधिकारिक गजट में अधिसूचित की गयी थी।याचिका में सतीश की नियुक्ति को रद्द करने तथा पद खाली करने का निर्देश देने की मांग की गयी है। याचिका में एकेडमी के प्रशासन की जांच का आदेश देने की भी मांग की गयी है।याचिका में दावा किया गया है कि सतीश की नियुक्ति एकेडमी में नियुक्ति से संबंधित नियमों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि यदि नियमों की अवहेलना कर तथा तय प्रक्रिया से परे जाकर नियुक्ति की मंजूरी दी गयी तो इससे पिछले दरवाजे से लोगों को पद पर नियुक्त करने का चलन शुरू हो जाएगा।एनजीओ ने कहा कि इस पद पर नियुक्ति के लिये उम्मीदवार के पास कानून का प्रोफेसर के रूप में 10 साल का अनुभव होने की शर्त थी जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय के एक रजिस्ट्रार ने एक परिपत्र में घटा कर सात साल कर दिया। उसने कहा कि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अनुसार सतीश 2017 से एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर हैं। अतः वह सात साल के अनुभव की शर्त को भी पूरा नहीं करते हैं।

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