परहित के लिए जहर का घूंट भरने वाला महादेवः राजेश्वरानंद
हमारे संवाददाता
नई दिल्ली । स्वयम के लिए तो हर व्यक्ति पीड़ाएँ झेलता हैं जीवन तो उस व्यक्ति का उत्तम माना जाता हैं जो परहित के लिए ज़हर का घूँट पीता है यह सन्देश दिया स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज ने श्रीराजमाता झंडेवाला मंदिर में आयोजित शिवपार्वती कथा के प्रथम दिवस पर भक्तजनों को। सावन के पावन अवसर पर आयोजित शिवपार्वती कथा के प्रथम सत्र में स्वामी राजेश्वरानंद जी ने कहा कि "सावन मास में शिव साधना का विशेष महत्व है क्योंकि इसी मास में देवताओं और दानवों द्वारा समुंद्रमन्थन में से जब विष निकला तो उसको स्वीकार करने वाला कोई सामने नहीं आया तो सबकी पीड़ा को समझते हुए देवाधिदेव भगवान शिव ने आगे आकर विष को भी सहर्ष ग्रहण किया तभी भोलेनाथ महादेव कहलाये यानी जो सांसारिक पदार्थो की इच्छा से कर्म करे वह देव दूसरी तरफ जो सबके कल्याण हेतु विष को भी हँसते हँसते पी लें वह महादेव।
इसी प्रकार हर साधारण व्यक्ति अपने जीवन में कूछ पाने की इच्छाओं से कार्यरत रहकर संघर्ष कर रहा है परन्तु दूसरी तरफ जो परहित की कामना से कार्य तो करे परन्तु दूसरे की पीड़ाओं का हरण करने के लिए स्वयम कष्ट सहकर भी किसी तरह की शिकायत न करे वही महामानव वही महादेव का साक्षात रूप ही होता हैं।
स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी ने भक्तसमुह को शेर बोलते हुए कहा कि आराम की जरूरत है तो एक काम कर, आ राम की शरण में तू राम राम कर" यानी हर व्यक्ति के जीवन में अलग अलग प्रकार की विष रूपी दिक्कतें आती हैं लेकिन जो ईशवर का सिमरण करता है उसे ही विश्राम मिलता बाकी तो दुःख रूपी विष से घुट घुट कर मर रहे है। कथा के आखिरी में शिवशंकर की नृत्यनाटिका प्रस्तुत की गई व भक्तजनों को प्रसाद वितरण किया गया।