कॉंग्रेस के दर्जन भर विधायक हो सकते हैं 'आप' के
दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए शुरू हुईं उलटी गिनती के बीच खबर है कि कांग्रोस के एक दर्जन पूर्व विधायक आम आदमी पार्टी में जल्द शामिल हो सकते हैं। भले ही यह अरविद केजरीवाल की चुनावी सुनामी में हार गए थे लेकिन इसके बावजूद उनका अपने-अपने क्षेत्रों में आधार बताया जाता है। आम आदमी पार्टी फिलहाल इस पर वुछ बोलने से बच रही है लेकिन उसके नेता इससे इंकार भी नहीं कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में वर्तमान में जो राजनैतिक हालात हैं उनमें कांग्रोस नेता मानकर चल रहे हैं कि उनके लिए चुनाव हालात पिछले विधानसभा जैसी ही है। लोकसभा चुनाव के समय जो शीला दीक्षित के नेतृत्व में एक उम्मीद बंधी थी वह उनके निधन के साथ ही लुप्त हो गईं है इसलिए अब कांग्रोस के टिकट पर चुनाव जीतने की सोचना अपने को धोखा देने के अलावा वुछ नहीं है।
पार्टी कार्यकर्ता इस बात से भी निराश हैं कि जिस कांग्रोस पाटा की दिल्ली में लगातार तीन बार सरकार रही आज वह अपना खाता खोलने को लेकर भी आश्वस्त नजर नहीं आ रही है। हालत यह है कि प्रादेश कांग्रोस अध्यक्ष के लिए पाटा को अपना कोईं चेहरा नजर नहीं आ रहा वहां भी वह भाजपा से आए नेताओं को दायित्व देने की सोच रही है। कभी नवजोत सिह सिद्धू तो कभी कीर्ति आजाद इसके उदाहरण हैं। जबकि पाटा के पास अच्छे अनुभवी स्थानीय नेताओं की कमी नहीं है।बताया जाता है कि कांग्रोस से आने वाले पूर्व विधायक आम आदमी पाटा से टिकट की गारंटी चाहते हैं इनमें कईं सीटें ऐसी हैं जहां आप को भी परेशानी नहीं बताईं जाती है हालांकि कुछ सीटों पर जरूर पेंच पँसा हुआ है। उसे लेकर भी तालमेल की कोशिशें बताईं जा रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रोस के एक यमुनापार के पूर्व विधायक जो 'धन बल' में बहुत भारी माने जाते हैं और किसी भी कीमत पर आम आदमी पाटा से टिकट चाहते हैं कि पाटा ने विनम्रता से यह कहकर मना कर दिया बताया जाता है कि टिकट की उम्मीद लेकर न आए।माना जा रहा है कि कांग्रोस पार्टी के नेता भी इन खबरों से परेशान हैं लेकिन दिल्ली की जिम्मेदारी किसी पर न होने के चलते वह भी वुछ करने में अपने को असहाय मान रहे हैं।
उनका तर्क है कि यदि पाटा ने प्रादेशाध्यक्ष को तय करने में और वह भी सही चेहरा चुनने में समय लगा दिया तो पाटा की लुटिया डूबना अपने में तय है।राजनैतिक हल्कों में माना जा रहा है कि आम आदमी पाटा प्रामुख अरविद केजरीवाल अच्छी तरह पता है कि कांग्रोस के इन पूर्व विधायकों को पाटा में शामिल करने से उन्हें नहीं कांग्रोस पूर्व विधायकों को ही लाभ होगा। लेकिन वह दिल्ली में यह माहौल बनाना फिर चाहते हैं कि कांग्रोस किसी भी सीट पर दूर-दूर तक मुकाबले में नहीं है। इन हालातों एक फिर वोट विभाजित होने की जगह एकतरफा पड़ जाएंगे और नतीजे फिर किसी से छिपे नहीं होंगे।