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कंगाल पाक की खुराफात

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:9 Dec 2018 5:32 PM GMT

कंगाल पाक की खुराफात

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पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने इन दिनों भारत में गड़बड़ करने की बड़ी योजना बना रखी है। पाकिस्तान ने इसके लिए पंजाब प्रांत को चुना है। कश्मीर में तो सेना ने ऑलआउट अभियान के तहत सारे आतंकी गिरोहों के सरगनाओं को जन्नत भेज दिया है। अब नौसिखिया आतंकी रह गए हैं और हाफिज सईद, सलाहुद्दीन के निर्देशानुसार कश्मीर के सारे आतंकियों को छूट दे दी गई है कि वह सब कमांडर हैं। मतलब यह कि जान बचाने के लिए किसी के निर्देश की जरूरत नहीं है। बहरहाल कश्मीर में जैसी तबाही आतंकी जमात की हुई है उससे पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फिरना स्वाभाविक है। इसलिए उसने खालिस्तान-2 शुरू करने के उद्देश्य से अपने देश के गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष गोपाल सिंह चावला को इस काम पर लगाया है। चावला को दुनियाभर में फैले खालिस्तान समर्थक भारत विरोधी सिख नेताओं के संयोजन का कार्य सौंपा है। आईएसआई ने चावला को स्वतंत्र रूप से इस कार्य में नहीं लगाया है बल्कि उसे हाफिज सईद के निर्देशन में के-2 का अभियान चलाने को कहा है। चावला ने ही दुनिया के कई देशों में भारत विरोधी गतिविधियां खालिस्तानी मुखौटे की आड़ में शुरू कर दी है। पिछले दिनों भारत में मोदी विरोधी कुछ लोगों को इस बात की खुशी हुई कि ब्रिटेन में प्रधानमंत्री का विरोध करने वाले कुछ लोगों ने मोदी विरोधी नारे भी लगाए। दरअसल नारे लगाने वालों का संयोजन गोपाल सिंह चावला ने ही किया था। उसने ब्रिटेन में रह रहे भारत विरोधी सिखों एवं कश्मीर के लिए आंदोलन कर रहे कुछ मुसलमानों को एकत्र करके प्रधानमंत्री मोदी के प्रवास के दौरान नारे लगवाए थे। पिछले दिनों भारत से अमेरिका प्रवास पर गए एक नेता पर भी चावला के खुराफाती साथियों ने ही हमला किया था।

पाकिस्तान इन दिनों भैंस और कार बेच कर अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने की मजबूरी झेल रहा है। अमेरिका ने खुद तो मदद देना बंद कर ही दिया साथ ही विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से भी दो टूक शब्दों में पाकिस्तान को कर्ज देने से पूर्व तमाम ऐसी शर्तों को मनवाने के लिए कहा है जो इमरान सरकार के लिए घातक साबित होंगी। इन शर्तों में दो शर्तें ऐसी हैं जिसे इमरान खान के लिए मानना मुश्किल है। पहली यह कि देश की सभी वस्तुओं की कीमत बढ़ाना और सब्सिडी खत्म करना। इससे देश के अंदर इमरान खान की सरकार का अलोकप्रिय होना तय है। दूसरी शर्त यह है कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से मिले कर्ज को पाक सरकार चीन से लिए कर्ज भुगतान हेतु खर्च नहीं करेगी। विदेशी मुद्रा के टोटे से राहत की तलाश में इमरान कई तरह के हाथ-पांव मार रहे हैं किन्तु देश के अंदर आक्रोश को रोकने के लिए उन्हें जरूरी लग रहा है कि भारत में खालिस्तान आंदोलन फिर से शुरू किया जाए। इमरान और पाक सेना को लगता है कि के-2 से दुनियाभर के खालिस्तान समर्थक सिख व्यवसायी, उद्योगपति और राजनेता आर्थिक मदद की बौछार कर देंगे।

यह सही है कि के-2 की रणनीति सालभर पहले तब बनी थी जब भारतीय सेना ने गुलाम कश्मीर के लांचिंग पैड पर जमे आतंकियों को सर्जिकल स्ट्राइक करके तबाह कर दिया था। पाकिस्तान में उस वक्त सारे आतंकी आका इस बात से डर गए थे कि भारत ने जिस तरह पाक सेना और सरकार की परवाह किए बगैर सीमा पार की है उससे भविष्य में उसके बड़े हमले से इंकार नहीं किया जा सकता। सर्जिकल स्ट्राइक के तत्काल बाद प्रधानमंत्री के आवास पर सेना प्रमुख, आईएसआई के डीजी तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने तय किया कि भारत में उसके धार्मिक बहुलता, जातीय विविधता एवं भाषाई विभिन्नताओं का लाभ उठाने की जरूरत है। आईएसआई के डीजी को इस दिशा में काम करने का निर्देश दिया गया। आईएसआई ने पूर्व सरकार को ही खालिस्तान में दोबारा आंदोलन शुरू करने तथा दलितों एवं मुस्लिम गठजोड़ करके सत्ता के खिलाफ अभियान की मंजूरी दी थी।

इमरान खान की सरकार आने के बाद के-2 को व्यवस्थित तरीके से शुरू किया गया। पाक सरकार ने जाकिर मूसा नाम के कश्मीरी आतंकी को पंजाब में सिख युवकों को भड़काने के लिए जिम्मेदारी दी। इन दिनों मूसा पंजाब में सिख वेश में तैनात है। आईएसआई और हाफिज सईद ने जाकिर मूसा को पंजाब में खालिस्तानी उग्रवाद शुरू करने का दायित्व इसलिए सौंपा है क्योंकि उसने चंडीगढ़ से ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वह पंजाब में काफी लोगों को जानता है और पंजाब के शहरों, कस्बों एवं सड़कों की भी उसे जानकारी है।

असल में कंगाल पाकिस्तान समझ गया है कि अब कश्मीर में उसके आतंकी टिक नहीं पाएंगे क्योंकि भारतीय सेना ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर ऐसा सफाया किया है कि अब इतनी जल्दी जड़ जमा पाना संभव नहीं है। लेकिन भारतीय सेना को पाकिस्तान की शरारतों की सारी जानकारी है। इसलिए राज्य सरकार के खुफिया संगठन, केंद्रीय खुफिया संगठन व सैन्य खुफिया संगठन मिलकर पाकिस्तान की हर खुराफात का जवाब तैयार कर रहे हैं।

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