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सेमीफाइनल से पहले गिरा उर्जित पटेल का विकेट

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:12 Dec 2018 6:29 PM GMT

सेमीफाइनल से पहले गिरा उर्जित पटेल का विकेट

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2019 के फाइनल से ठीक पहले सेमीफाइनल में मोदी सरकार का पहला विकेट गिर गया। मैं बात कर रहा हूं रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के त्यागपत्र की। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने आखिरकार सोमवार को पद से इस्तीफा दे दिया। रिजर्व बैंक और सरकार की तनातनी की खबरों के बीच उर्जित पटेल के इस्तीफे के आसार कई दिनों से जताए जा रहे थे। पटेल का तीन साल का कार्यकाल सितम्बर 2019 तक का था। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण व्यक्तिगत बताया है। मोदी सरकार के शासनकाल में यह वित्तीय संस्थाओं से तीसरा बड़ा इस्तीफा है। इससे पहले नीति आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनगड़िया और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मणियम भी अपने सभी पदों से समय से पहले इस्तीफा दे चुके हैं। उर्जित पटेल को आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की जगह लाया गया था। राजन की आकमता को मोदी सरकार में बहुत पसंद नहीं किया गया था। इसके ठीक उलट उर्जित पटेल मोदी सरकार के करीबियों के तौर पर देखे गए। नोटबंदी के दौरान उनकी चुप्पी ने भी सरकार का काम आसान किया था। लेकिन बीते कुछ महीनों से ऐसा लगने लगा कि पटेल कई मामलों में राजन से ज्यादा अपनी बात कहने और रखने वाले गवर्नर हैं। उर्जित के इस्तीफे पर पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि आरबीआई में जो चल रहा है उस पर सभी भारतीयों को चिंता होनी चाहिए। बेशक उर्जित पटेल ने इस्तीफे के कारण निजी बताए हों पर यह किसी से छिपा नहीं कि उसका सरकार से टकराव बढ़ता जा रहा था। कुछ खबरों में कहा गया है कि सरकार आरबीआई के रिजर्व खजाने में पड़ी जमा राशि में से 3 लाख करोड़ रुपए से ऊपर की जमा राशि में बड़ा हिस्सा चाहती थी। कुछ दिन पहले ही उर्जित पटेल ने बैंकों में धोखाधड़ी पर गहरा दुख जताते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक नीलकंठ की तरह विषपान करेगा और अपने ऊपर फेंके जा रहे पत्थरों का सामना करेगा, लेकिन हर बार पहले से बेहतर होने की उम्मीद के साथ आगे बढ़ेगा। इसी महीने की शुरुआत में जब आरबीआई ने ब्याज दरों की समीक्षा की थी और इनमें किसी तरह का बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया था, तब मोदी सरकार के साथ चल रहे गतिरोध से संबंधित सवाल पूछे जाने पर पटेल ने इस पर कोई जवाब देने से मना कर दिया था। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आरोप लगाया था कि रिजर्व बैंक ने कर्ज बांटने के काम में लापरवाही बरती। साथ ही पीएनबी घोटाले में भी सरकार ने आरबीआई को कठघरे में खड़ा किया था। सरकार ने आरोप लगाया था कि आरबीआई की ढिलाई के कारण ही एनपीए की समस्या। सरकार के सामने बड़ी मुश्किल ये होगी कि भारत की ग्रोथ स्टोरी से विदेशी निवेशकों का विश्वास डिग सकता है। वैसे भी रेटिंग एजेंसियां भारत को लेकर बहुत सकारात्मक नहीं हैं और इस घटनाकम के बाद हालात और बदतर होंगे।

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