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राहत, रियायत और सियासत

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:3 Feb 2019 6:53 PM GMT

राहत, रियायत और सियासत

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मोदी सरकार ने अपने अंतरिम बजट में भारत के अधिकतर मतदाताओं का ध्यान रखते हुए सभी को कुछ न कुछ तोहफे देने का प्रयास किया है। जो लोग पीएम मोदी की प्रवृत्ति को जानते हैं उनके लिए यह बजट अनपेक्षित नहीं है। पीएम मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भी शासन के शुरुआती दौर में प्रशासन सख्त करके चीजों को सही रास्ते पर लाने का प्रयास करते थे। उनकी कठोर शासन प्रक्रिया से लोगों में नाराजगी भी होती थी किन्तु चुनाव के वर्ष यानि सही समय पर अधिकतर लोगों को तोहफे के तौर पर राहत और रियायत देते थे इसमें यदि विपक्ष या आलोचक सियासत देखते हैं तो गलत कुछ भी नहीं है।

नाम से तो यह `अंतरिम' बजट है किन्तु वर्ष 2018-19 के बजट से 3.42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का यह अंतरिम बजट 27.84 लाख करोड़ रुपए का है। इसलिए सरकार द्वारा प्रस्तुत इस अंतरिम बजट को जुमला कहना खिसियाहट के अलावा कुछ भी नहीं है।

इस अंतरिम बजट में सरकार ने विपक्ष खासकर कांग्रेस के आरोपों का जवाब देने की कोशिश की है। इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद को किसानों का हितैषी साबित करने के लिए और पीएम मोदी को किसानों का विरोधी साबित करने के लिए हर चुनावी रैली में अपने तर्प पेश करते रहे हैं। कभी-कभी अज्ञानतावश या फिर झूठे तथ्यों के आधार पर भी मोदी सरकार पर किसानों के खिलाफ सरकार के पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहते थे कि सरकार ने 10-12 उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर दिए हैं किन्तु किसानों के कर्जे माफ नहीं करती। यद्यपि सच राहुल को भी पता है कि कर्जों के `राइट ऑफ' का मतलब कर्जों की `माफी' कदापि नहीं होती। फिर राहुल अपने ही तरीके से अपने आरोपों को सही साबित करने के लिए झूठे आरोपों पर सहानुभूति का लेप लगाने से भी नहीं चूकते थे। सरकार ने किसानों की दशा सुधारने के लिए बजट में तमाम प्रस्ताव किए हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत हर वर्ष 6000 रुपए तीन किश्तों में सीधे किसानों के बैंक खातों में डाले जाएंगे। यह रकम सिर्प उन किसानों को दी जाएगी जिनके पास दो हेक्टेयर यानि पांच एकड़ जमीन है। इसके लिए सरकार द्वारा 75 हजार करोड़ की राशि का आवंटन किया गया है।

इसी तरह राहुल गांधी ने कोचिन की रैली में घोषणा की कि उनकी सरकार बनी तो गरीबों और बेरोजगारों के लिए न्यूनतम आय गारंटी योजना लागू की जाएगी। इसके साथ ही फिर वही टेप चालू कर दिया कि मोदी सरकार सिर्प 15 अमीर लोगों की अधिकतम आय गारंटी को सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार आएगी तो गरीबों को सीधे उसके खाते में राशि मुहैया कराई जाएगी। मोदी सरकार द्वारा अपने अंतरिम बजट में अब तक दुनिया की सबसे बड़ी पेंशन योजना का प्रस्ताव किया गया है। प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के तहत असंगठित क्षेत्र के कर्मियों को हर महीने तीन हजार रुपए पेंशन का प्रावधान किया गया है। इसके लिए उन्हें हर महीने मात्र सौ रुपए जमा करने होंगे। ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख से बढ़कर 30 लाख कर दी गई है।

राहुल गांधी और विपक्ष का प्रधानमंत्री पर रोजगार को लेकर हमला होता रहता है। राहुल गांधी अपनी हर चुनावी रैली में और विपक्ष के प्रवक्ता हर टीवी चैनल पर बैठकर सरकार पर निशाना साधते रहते हैं कि मोदी सरकार ने दो करोड़ हर साल रोजगार देने का जो वादा किया था उसे पूरा नहीं कर पाई। राहुल के आरोपों का सटीक जवाब देते हुए बजट प्रस्ताव में बताया गया है कि उच्च विकास और अर्थव्यवस्था सामान्यीकरण से ईपीएफओ सदस्यों की संख्या पिछले दो वर्षों में दो करोड़ बढ़ी है। असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे 42 करोड़ कामगारों के खून पसीने की मेहनत जीडीपी में 50 प्रतिशत की भागीदारी निभाती है। भारत का युवा आज रोजगार मांगने वाले से आगे बढ़कर रोजगार देने वाला बन गया है। पीएम मुद्रा योजना से 75 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश और प्रधानमंत्री मातृत्व योजना से सभी महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है। 59 मिनट में एक करोड़ का ऋण हासिल करने का प्रावधान किया गया है। नौ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है।

राहुल गांधी का आरोप जीएसटी और नोटबंदी को लेकर भी है। जीएसटी को तो राहुल गब्बर सिंह टैक्स बताते हुए यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि सरकार लोगों से जबरदस्ती जीएसटी वसूलती है। लेकिन बजट प्रस्ताव में जीएसटी की दरें लगातार कम करने की बात कही गई हैं। इससे उपभोक्ताओं को 80 हजार करोड़ की राहत मिल रही है। गरीब और मध्यम वर्ग की रोजाना इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर वस्तुओं को शून्य से पांच प्रतिशत के दर में रखा गया है। इसके बावजूद जनवरी 2019 में जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ को पार कर गया। राहुल गांधी प्रधानमंत्री पर नोटबंदी करके लोगों का रोजगार छीनने का आरोप लगाते रहे हैं। इसके जवाब में वित्तमंत्री ने बजट प्रस्ताव में दावा किया कि नोटबंदी के बाद 2017-18 के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह में 18 प्रतिशत उछाल आया है। टैक्स बेस में 10.6 करोड़ लोग शामिल किए गए हैं और एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने पहली बार आयकर रिटर्न जारी किया है। हमारा देश अगले पांच साल के दौरान पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है और अगले आठ वर्षों में हमारा देश 10 लाख करोड़ डॉलर अर्थव्यवस्था वाला देश होगा।

यह सही है कि इन योजनाओं को पूरा करने के लिए राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण सरकार की चुनौती है। सरकार का लक्ष्य था कि वह राजकोषीय घाटे को जीडीपी का 3.3 प्रतिशत तक रोक देगी किन्तु यह राजकोषीय घाटा 3.4 प्रतिशत तक ही समेट पाई है। राजकोषीय घाटे के मामले में मनमोहन सिंह सरकार के 4.00 प्रतिशत से काफी नीचे लाने में सफल रही है मोदी सरकार और सरकारी कोष में ऐसे संतुलन से ही किसानों के लिए निश्चित आमदनी वाली यह योजना संभव हो पाई है। मुश्किलों से जूझते किसानों के लिए लंबे समय से किसी प्रभावी योजना की वकालत की जा रही थी। निश्चित आमदनी वाली यह योजना कर्जमाफी जैसी घटिया नीति की तुलना में काफी अच्छी पहल है। सरकार ने किसी भी वर्ग को मुफ्त माल नहीं परोसा है। यदि यह योजना सफल हुई तो देश के 12 करोड़ परिवार यानि देश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी तक यह योजना पहुंच जाएगी। इसी तरह पांच लाख रुपए तक की आमदनी कर-मुक्त होने से लोगों के पास खर्च योग्य आमदनी बढ़ेगी जिससे उपभोग बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था में मांग की स्थिति में सुधार होगा। ऐसे ही ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ाने से लेकर पेंशन की व्यवस्था करना भी नौकरीपेशा वर्ग के लिए सामाजिक सुरक्षा तय करेगा। आयुष्मान भारत भी सरकार की सफल योजना साबित हुई है और मनरेगा के लिए राशि आवंटन में भी सरकार ने कंजूसी नहीं की है। यही स्थिति अन्य वर्गों के सशक्तिकरण में बढ़ाए गए खर्च में भी झलकती है। इससे उम्मीद की जा सकती है ]िक देश में एक अच्छा माहौल बनेगा।

इस अंतरिम बजट में ढांचागत विकास एवं उद्योग जगत के लिए कुछ प्रावधान नहीं किया गया है। किन्तु शुरुआती दौर में सरकार ने इस दिशा में एक निश्चित कदम उठाया और उसी क्रम में निरंतरता बनाए रखने का संकल्प व्यक्त किया है उससे बेहतर परिणाम निकलने शुरू हो गए हैं और आगे भी इसी तरह सफलता मिल सकती है। सड़क निर्माण एवं उद्योगों के लिए पूंजी के संकट को दूर करने के संकल्प से ही रोजगार सृजन में प्रगति होगी। सरकार को बजट में मध्यम अवधि एवं दीर्घ अवधि के विजन पर की गई चर्चा को भी व्यापक अर्थों में देखने की जरूरत है। चुनाव सिर पर हैं, सरकार मतदाताओं को नाराज तो कर नहीं सकती किन्तु अर्थव्यवस्था में स्थायी सुदृढ़ीकरण के लिए यदि सरकार कुछ भी फैसले करे तो उसका स्थायी प्रभाव मतदाताओं पर भी पड़ेगा। इस दृष्टि से यह अंतरिम बजट सराहनीय है।

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