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मोदी मुसलमानों का भरोसा कैसे जीतेंगे?

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:29 May 2019 6:44 PM GMT
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भाजपा की संसदीय दल की बैठक में नरेन्द्र मोदी को नेता चुना गया। संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद शनिवार को संसद के सेंट्रल हाल में दिए भाषण में पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने `सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' का महत्वपूर्ण नारा दिया। उन्होंने कहा कि हमें अल्पसंख्यकों का विश्वास हासिल करना है। हम पधानमंत्री की इस घोषणा का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनके इस कार्यकाल में मुसलमानों की असुरक्षित होने की भावना को दूर किया जाएगा। यह जो भय और दहशत का माहौल कुछ तथाकथित हिंदू संगठनों ने बनाया हुआ है उसे दूर किया जाएगा। इस्लामी तालीम के दूसरे बड़े केन्द्र दारुल उलूम वक्फ के मोहतमिम मौलाना सुफियान कासमी ने मोदी के अल्पसंख्यकों का भरोसा जीतने वाले बयान की सराहना करते हुए कहा, उनका बयान सकारात्मक है और इससे अल्पसंख्यकों में विश्वास और उम्मीद का नया चिराग रोशन हुआ है। कासमी ने कहा, इस बयान का असर सभी तबको में महसूस किया जा रहा है। सबका साथ, सबका विकास के नारे में सबका विश्वास शामिल करना मुल्क की तरक्की व खुशहाली में बुनियादी हैसियत रखता है। उनके ये इरादे पूरे हों और देश में अमन, भाईचारा, सुरक्षा और आपसी सद्भाव का माहौल रहे। इसके लिए हम दुआ करते हैं। जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैयद महमूद मदनी ने कहा कि मोदी ने भारत की सोच और दस्तूर के लिहाज से अल्पसंख्यकों को विश्वास में लेने और उनके लिए काम करने का जो इरादा लिया है हम उसका स्वागत करते हैं। राष्ट्र के निर्माण के लिए जो भी हमारी ताकत होगी वो हम लगाने को तैयार हैं। बरेलवी उलेमा ने उम्मीद जताई कि मोदी के कदम से मुल्क के हक में एक अच्छी कोशिश होगी। अगर मोदी ने अल्पसंख्यकों का विश्वास जीत लिया तो वे भाजपा का भरोसा टूटने नहीं देंगे। मोदी की ओर से यह कहा जाना एक तरह से समय की मांग को पूरा करना है कि उनकी सरकार अल्पसंख्यकों का भी भरोसा हासिल करेगी। ऐसा किया जाना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि भाजपा की पचंड जीत के बाद यह माहौल बनाने की कोशिश हो रही है कि अब अल्पसंख्यकों की समस्याएं बढ़ने वाली है। पचार यह भी किया जा रहा है कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है। यह माहौल केवल भारतीय मीडिया की ओर से नहीं बनाया जा रहा है, बल्कि विदेशी मीडिया की ओर से भी बनाया जा रहा है। अमेरीकन पत्रिका टाइम ने अपने मुख्य पृष्ठ पर मोदी को ग्रेट डिवाइडर कहा है यानी भारत का विभाजन करने वाला। यह सरासर गलत और भ्रमित, भय पैदा करने वाला, दहशत फैलाने का पयास है। जहां हम पधानमंत्री के बयान का स्वागत करते हैं वहीं आए दिन मजहब के नाम पर हो रही घटनाओं पर भी ध्यान देना जरूरी है। अभी हाल ही में गुरुग्राम के कुछ युवकों द्वारा सदर बाजार जामा मस्जिद में नमाज पढ़ कर आ रहे एक युवक को रोककर नशे में धुत असामाजिक तत्वों ने उनके टोपी पहने होने पर टिप्पणी की और कथित तौर पर भारत माता की जय और जय श्रीराम के नारे लगाने के लिए कहा। मना करने पर उससे मारपीट की और टोपी फेंक दी। ऐसे असामाजिक तत्वों पर अगर एक बार सख्त कार्रवाई हो जाए तो आइंदा ऐसी हरकत करने से ऐसे तत्व बचेंगे। हो क्या रहा है कि ऐसे तत्वों को ऊपरी सुरक्षा मिलती है और यह साफ बच जाते हैं। दिल्ली के नवनिर्वाचित सांसद गौतम गंभीर ने यह कहा कि आरोपियों के खिलाफ जरूरी कदम उठाने चाहिए, लोगों को परस्पर भाईचारे की भी याद दिलानी चाहिए। उन्होंने ट्वीट में लिखा, गुरुग्राम में मुस्लिम युवक को टोपी उतारने और जय श्रीराम बोलने को कहा गया यह काफी खेदजनक बात है। इसकी निंदा होनी चाहिए। हम लोग सेक्यूलर देश में हैं जहां जावेद अख्तर ने ओs पालन हारे निर्गुण और न्यारे... और राकेश महेरा की दिल्ली-6 में अर्जियां जैसे गाने लिखते हैं। गौतम गंभीर के इस ट्वीट पर सोशल मीडिया में उनके खिलाफ अभियान चल गया। मोदी को यह याद रखना चाहिए कि भारत में अल्पसंख्यकों की बहुत बड़ी आबादी है। इंडोनेशिया के बाद भारत में सबसे ज्यादा मुसलमान हैं। भारत सबका है जहां सभी को अपने धर्म, परम्पराओं का पालन करने का अधिकार है। श्री मोदी के लिए ऐसा वातावरण बनाना चुनौती है। हम पीएम के बयान का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह इसमें खरे उतरेंगे।

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