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समाज के दुश्मन

👤 mukesh | Updated on:1 March 2024 5:40 AM GMT

समाज के दुश्मन

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पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं के नेतृत्व में हुए हिसक और कईं दिनों से चल रहे राजनीतिक लड़ाईं के बाद बृहस्पतिवार को सुबह 55 दिनों से फरार तृणमूल कांग्रेस के शेख शाहजहां की गिरफ्तारी तो हो गईं किन्तु कईं गंभीर सवाल अभी भी ऐसे हैं जिनके उत्तर से स्पष्ट हो जाएगा कि पश्चिम बंगाल में अपराधियों की जड़ें राजनीति में कितनी गहरी हैं।

दरअसल यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोपी शेख की उनकी पार्टी में ऐसी हैसियत है कि उन्हें छेड़ने के लिए कोईं पुलिस अधिकारी तैयार ही नहीं था। सच तो यह है कि शेख शाहजहां समाज का खलनायक जरूर है किन्तु वह टीएमसी का हीरो है। यही कारण है कि वह खुलेआम जो भी अनैतिक और गैरकानूनी काम करता था टीएमसी नेतृत्व उसे वुछ भी गलत नहीं मानता था। कोलकाता हाईंकोर्ट के तमाम आदेशों को अंगूठा दिखाते हुए शाहजहां शेख जैसे लोग अपनी आपराधिक प्रावृत्ति को किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए जरूरत वैसे बन जाते हैं, यह बात इस जघन्य अपराधी को पता थी। यही कारण है कि वह अपनी आपराधिक छवि के बोझ को अपना सदगुण मानता था। शेख पर इतने आरोप हैं फिर भी वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा तो इसका मतलब है कि उसे स्थानीय एवं राज्य स्तर पर टीएमसी कार्यंकर्ताओं और सरकार व पुलिस में उसके समर्थकों की संख्या पर्यांप्त है।

राज्य में टीएमसी सरकार से पहले वामपंथी सरकारें थीं किन्तु तब और आज में कोईं अंतर नहीं आया है। जो गुंडागदा वामपंथी वैडर करता था, ठीक वही आचरण टीएमसी के कार्यंकर्ता भी अपनाते हैं। ये लोग समाज के प्राति चाहे जितना अपराध करें किन्तु राजनीतिक पार्टियों के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। हाईंकोर्ट और राज्य के नागरिक लगातार शेख की गिरफ्तारी के लिए सरकार को निर्देश देते रहे किन्तु राज्य सरकार ने ऐसा रुख अपना लिया जिसकी वजह से कानून हाथ मलता रहा और शेख मजे करता रहा। इस तरह के एहसानों को उतारने का अवसर चुनावों में आता है। ये अपराधी तत्व चुनाव में अपने अहसानों को चुकाने के लिए सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में सभी तरह के आपराधिक हथवंडे अपनाते हैं। परिणाम यह होता है कि चुनाव के वक्त व्यापक हिसा होती है।

बहरहाल समाज के इन दुश्मनों का चेहरा आम जनता बहुत अच्छी तरह समझती है और अदालतें भी इनके प्राति सहानुभूति नहीं दिखातीं किन्तु दुखद तथ्य यह है कि अपने स्वार्थ के लिए राजनीतिक मस्तिष्क पर ताला जड़ दिया गया है। किन्तु समाज के लिए उन्हें भी इस तथ्य को महसूस करना होगा कि अपराधी तत्व किसी के हितैषी नहीं होते।

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