कश्मीरी चूरन
नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कश्मीर को लेकर जहर उगलना शुरू कर दिया। डॉन अखबार की एक खबर के मुताबिक रविवार को प्राधानमंत्री बनते ही कश्मीर और फिलस्तीन पर प्रास्ताव पारित करने का संकल्प लेकर शहबाज ने साबित कर दिया कि अभी भी वह कश्मीरी चूरन के सहारे ही पाकिस्तान के नागरिकों को सम्मोहित करना चाहते हैं। देश आर्थिक तंगी के मामले में बेहद खराब स्थिति में हैं और कोईं भी उसके पास कार्यंयोजना नहीं है लेकिन बातें भारत से टकराव की करने में पीछे नहीं रहता।
ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान के राजनेताओं को वास्तविकता का पता नहीं है। वह अपनी और भारत की ही नहीं बल्कि गुलाम कश्मीर और जम्मू-कश्मीर की जनता की इच्छाओं को भी जानते हैं लेकिन उनकी मजबूरी यह है कि अपने आका सैन्य प्रातिष्ठान को खुश करने और उन्हें संतुष्ट रखने के लिए अपनी सरकार के एजेंडे का खुलासा करते हैं जो भारत के साथ टकराव का संदेश देता है। दरअसल पाकिस्तान के चुनाव में जीत—हार तक का निर्णय सैन्य तंत्र करता है और वह आज भी 1960 के दशक वाले भारत की छवि के साथ गलतफहमी में रहता है।
पाकिस्तान के बुद्धिजीवी, पत्रकार और तमाम राजनेता इस तथ्य को स्वीकार कर चुके हैं कि पाकिस्तान के हित में यही है कि वह भारतीय सीमा के पार से कश्मीर को हड़पने की उम्मीद छोड़कर अपनी आर्थिक, सुरक्षा संबंधी मुश्किलों का हल निकाले। देश के हर प्रांत में किसी न किसी कारण से आंतरिक कलह मचा है किन्तु इस अभागे देश को अपनी पूंछ में लगी आग बुझाने के लिए भारत को बदनाम करने से ही संतुष्टि मिलती है। वह जानता है कि अब जम्मू-कश्मीर मात्र उसके लिए नारे और प्रास्ताव का विषय ही बनकर रह गया है क्योंकि अब वह कभी नहीं बनेगा पाकिस्तान।