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नहीं होगी सांसदों-विधायकों की निगरानी

👤 Veer Arjun | Updated on:5 March 2024 4:58 AM GMT

नहीं होगी सांसदों-विधायकों की निगरानी

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-अनिल नरेन्द्र

सुप्रीम कोर्ट ने बेहतर प्रशासन के लिए सांसदों और विधायकों की चौबीसों घंटे डिजिटल निगरानी करने के लिए केन्द्र को निर्देश देने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। पीठ ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या अदालत सांसदों की गतिविधियों पर चौबीसों घंटे नजर रखने के लिए उनके शरीर में कोईं चिप लगा सकती है।

सुनवाईं की शुरुआत में प्रधान न्यायाधीश ने दिल्ली निवासी याचिकाकर्ता सुरिंदर नाथ वुंद्रा को आग्रह किया कि उन्हें ऐसे मामले पर न्यायिक समय का दुरुपयोग करने के लिए पांच लाख रुपए का जुर्माना करना पड़ सकता है। पीठ ने कहा यदि आप बहस करते हैं और हम आपसे सहमत नहीं होते हैं तो आपसे पांच लाख रुपए भू-राजस्व के रूप में वसूल किए जाएंगे। यह जनता के समय की बात है। यह हमारा अहंकार नहीं है। पीठ ने कहा कि क्या आपको एहसास है कि आप क्या बहस कर रहे हैं? आप सांसदों और विधायकों की चौबीसों घंटे निगरानी चाहते हैं। ऐसा केवल उस सजायाफ्ता अपराधी के लिए किया जाता है जिसके न्याय से बचकर भागने की आशंका होती है। निजता का अधिकार नाम की कोईं चीज होती है और हम संसद के सभी निर्विचित सदस्यों की डिजिटल निगरानी नहीं कर सकते।

याचिकाकर्ता सुरिंदर वुंद्रा ने कहा कि सांसद और विधायक जो नागरिकों के वेतनभोगी सेवक होते हैं, वे शासकों की तरह व्यवहार करना शुरू कर देते हैं। इस पर पीठ ने कहा, आप सभी सांसदों पर एक समान आरोप नहीं लगा सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में व्यक्ति कानून नहीं बना सकते और उन्हें केवल निर्वाचित सांसदों के माध्यम से लागू किया जा सकता है। प्रधान-न्यायाधीश डीवाईं चंद्रचूड़ ने कहा, तब लोग कहेंगे कि ठीक है हम जजों की जरूरत नहीं है। हम सड़कों पर ही पैसला करेंगे और चोरी के अपराधी को मार डालेंगे। क्या हम चाहते हैं कि ऐसा हो? सांसदों और विधायकों की डिजिटल निगरानी का अनुरोध करने वाली याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता इस मामले को आगे बढ़ाता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। लेकिन हम जुर्माना लगाने से बचते हुए आगाह करते हैं कि भविष्य में ऐसी कोईं याचिका दायर नहीं की जानी चाहिए। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि चुने जाने के बाद सांसद व विधायक शासकों की तरह व्यवहार करते हैं। इस पर पीठ ने कहा, हर सांसद व विधायक के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। आपको व्यक्ति विशेष से शिकायत हो सकती है पर आप सभी सांसदों पर आरोप नहीं लगा सकते। प्रधान न्यायाधीश डीवाईं चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, निजता का अधिकार नाम की भी कोईं चीज होती है।

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