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शांत व समृद्ध कश्मीर

👤 Veer Arjun | Updated on:8 March 2024 5:36 AM GMT

शांत व समृद्ध कश्मीर

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जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए के निरसन के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘विकसित भारत विकसित जम्मू-कश्मीर’ कार्यंक्रम के तहत करोड़ों रुपए के विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद श्रीनगर के मशहूर बक्सी स्टेडियम में विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए दो बातें कहीं। पहली—जम्मूकश्मीर विकास की नईं ऊंचाइयां छू रहा है क्योंकि वह खुलकर सांसे ले रहा है। दूसरी—कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने इस अनुच्छेद के बारे में न सिर्प जम्मू-कश्मीर बल्कि समूचे भारत को भ्रमित किया।

प्रधानमंत्री के दोनों दावे सही हैं। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद देश-दुनिया के लोग वहां निवेश कर रहे हैं। ढांचागत विकास में अरब देशों का महत्वपूर्ण योगदान तो है ही लेकिन भारत सरकार ने जिस तरह 5 अगस्त, 2019 के बाद सड़कों, रेलवे लाइन, प्लेटफार्म और हवाईं अड्डे व टनल बनाने का काम शुरू किया है, वह अपने आप में अद्वितीय है। इसका परिणाम यह हुआ कि गुलाम कश्मीर के लोग अपनी सेना और केन्द्र सरकार के विरुद्ध आए दिन नारे बुलंद कर रहे हैं और खुलेआम भारत के साथ मिलने के लिए आवाज उठा रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया और जर्मनी में प्रवासी गुलाम कश्मीर के लोगों ने एक नया विमर्श गढ़ा है। उनका कहना है कि अक्टूबर 1947 में जब कबाइलियों को लेकर पाक सेना ने कश्मीर पर हमला किया तो तत्कालीन भारत की सरकार की उदासीनता के कारण ही उन्हें आज पाकिस्तान का गुलाम बनना पड़ा है। डिजिटल टीवी और विदेशी समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों के कारण ये प्रवासी कश्मीरी भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि वह अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर गुलाम कश्मीरियों की दुर्गति का मुद्दा उठाएं ताकि पाकिस्तान पर दबाव बनाया जा सके। विदेशों में रह रहे प्रवासी गुलाम कश्मीरी पीओके की तुलना बलूचिस्तान से कर रहे हैं।

दरअसल यह स्थिति तब उत्पन्न हुईं जब जम्मू-कश्मीर में सभी क्षेत्र में विकास होना शुरू हुआ है। सच तो यह है कि जम्मू-कश्मीर में 2019 के पहले जो लोग खुराफाती हिंसक षडांत्र करते थे, उनको राज्य और केन्द्र सरकार दोनों का कोईं डर नहीं था। कितु जब केन्द्र ने इसे वेंद्र शासित प्रदेश बनाया तो कानून व्यवस्था का पूरा अधिकार अपने पास रखा।

अलगाववादी तत्वों के खिलाफ केन्द्रीय गृह मंत्रालय की देख-रेख में कार्रवाईं शुरू हुईं। इससे वहां के शांति प्रिय लोग काफी संतुष्ट हुए और उन्हें अब इस बात की उम्मीद बंधी है कि अब वहां पर जिस तरह सामाजिक न्याय का वातावरण बना है, वह बाधित नहीं होगा।

रही बात प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे आरोप की कि कांग्रेस के सहयोगी विपक्षी दलों ने जम्मू-कश्मीर और समूचे देश को गुमराह किया, वह भी बिल्वुल सही है। विवादित अनुच्छेद निरसन के बाद वुछ दिनों तक अलगाववादी तत्वों को जरूर अंदर किया गया कितु केन्द्र शासित राज्य में आपातकाल जैसी स्थिति नहीं थी। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश की विपक्षी पार्टियों ने अलगाववादी तत्वों के सुर में सुर मिलाया और उन्हीं की भाषा में प्रचारित किया कि वहां पर मानवाधिकारों का हनन हो रहा है।

बहरहाल प्रधानमंत्री का यह विचार बिल्‍कुल सही साबित हुआ कि उन्हें पाकिस्तान की बकवास का जवाब देने के जरूरत नहीं है बल्कि जन कल्याण के लिए जम्मू कश्मीर में विकास कार्यं करना है। रही अपने देश के विपक्षियों के आरोपों की बात तो समयानुसार उनका भी विचार बदल जाएगा। ठीक उसी तरह जैसे कि शुरू-शुरू में जवाहरलाल नेहरू विश्वविदृालय की छात्र शेहला रशीद के विचार बदल गए। विवादित अनुच्छेद हटने के बाद उन्होंने मोदी सरकार की जमकर आलोचना की थी कितु अब कहती हैं कि इस सरकार की वजह से ही वहां पर शांति व समृद्धि आईं है। अब वह मोदी की तारीफ करती हैं। अकेले शेहला रशीद ऐसी नहीं हैं जिन्हें सत्य का भान हुआ बल्कि आईंएएस अधिकारी शाह पैसल से पत्थरबाजों के सरदार रहे कश्मीरी उपद्रवी भी महसूस करते हैं कि जम्मू-कश्मीर के लिए मोदी ने जो किया या कर रहे हैं, वही सही है।

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