राजनीतिक विरोध
देश में नागरिकता संशोधन कानून यानि सिटीजन अमेण्डमेण्ट एक्ट (सीएए) लागू हाने के बाद देश में एक बार फिर मुसलमानों को भड़काने की कोशिश शुरू हो गईं है। किन्तु केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को स्पष्टीकरण दिया कि नागरिकता कानून से देश के मुसलमानों की नागरिकता पर कोईं प्राभाव पड़ने वाला नहीं है। दरअसल गृह मंत्रालय की ऐसी सफाईं तो कईं बार आ चुकी है। संसद में पारित होने के पहले भी सरकार की तरफ से कईं बार स्पष्टीकरण दिया गया कि सीएए से किसी मुसलमान की नागरिकता पर कोईं असर नहीं पड़ेगा किन्तु वुछ लोग यह मानते ही नहीं।
असल में जानते तो मुस्लिम समाज के लोग भी हैं कि सीएए से उनकी नागरिकता पर कोईं असर पड़ने वाला नहीं है किन्तु राजनीतिक तिकड़म के जानकारों ने इसे बड़ी चालाकी से राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण यानि एनआरसी से जोड़ दिया। देखिए नागरिकता संशोधन कानून यानि सीएए जहां धर्म आधारित है, वहीं एनआरसी का धर्म से कोईं संबंध नहीं है। सच तो यह है कि इन बारीकियों को मुस्लिम समाज के वे लोग भी जानते हैं जो नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं और वे भी जानते हैं जो ऐसा करने के लिए उन्हें उकसा रहे हैं। किन्तु राजनीतिक मजबूरी के मारे इन लोगों के लिए विरोध की राजनीति जरूरी हो गईं है। अफगानिस्तान में तालिबान शासन की वापसी के बाद जो स्थिति उत्पन्न हुईं, उसके बाद सीएए के कटु आलोचक भी समर्थक बन गए थे और वहां से वापस आए सिखों और हिन्दुओं की हालत देखकर सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन कानून की तारीफ करते नहीं थकते थे। बहरहाल अब सीएए देश का कानून बन चुका है।