जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव
चुनाव आयोग ने लोकसभा 2024 की घोषणा के साथ ही इस बात की भी घोषणा कर दी कि 18वीं लोकसभा के चुनाव के तत्काल बाद ही वेंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर विधानसभा का भी चुनाव कराया जाएगा।
असल में राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद इस वेंद्र शासित प्रादेश के संसदीय और विधानसभा सीटों का परिसीमन हो भी गया किन्तु सुरक्षा कारणों से लोकसभा के साथ विधानसभा चुनावों को करा पाना चुनाव आयोग के लिए काफी गंभीर चुनौती थी। यह सच है कि सुरक्षा की दृष्टि से राज्य में उपराज्यपाल की भूमिका की सराहना होती है और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों की आलोचना होती है। किन्तु यह भी सही है कि लोकतंत्र में चुनाव से बनी लोकप्रिय सरकार का कोईं विकल्प नहीं हो सकता। एक लोकप्रिय सरकार जनता की भावनाओं को समझती है और उपराज्यपाल शासन को पटरी पर लाने के लिए प्रयास मात्र करते हैं।
यह एक कटु सत्य है कि जम्मू-कश्मीर में जो पार्टियां सत्ता में रह चुकी हैं, उन पर राज्य की जनता को विश्वास नहीं है। किन्तु सच यह भी है कि राज्य की जनता से उन्हीं चेहरों का चयन करना है, जो चुनाव मैदान में उतरते हैं। बहरहाल जम्मू-कश्मीर में परिस्थितियों में बदलाव आया है तो उनकी जरूरतें भी बदली हैं और आकांक्षाएं भी बदल गईं हैं। इसलिए जब कभी भी राज्य विधानसभा के चुनाव होंगे तो मुद्दों की दृष्टि से यह चुनाव पहले हुए चुनावों से बिल्कुल भिन्न होंगे।