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चंदा देने वालों के नामों पर राष्ट्रीय दल चुप

👤 Veer Arjun | Updated on:21 March 2024 5:20 AM GMT

चंदा देने वालों के नामों पर राष्ट्रीय दल चुप

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—अनिल नरेन्द्र

भारत के निर्वाचन आयोग ने इलेक्ट्रोरल बांड को लेकर राजनीतिक दलों की ओर से मिली जानकारी रविवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड की। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रोरल बांड की संवैधानिकता पर सुनवाईं के दौरान चुनाव आयोग से कहा था कि वह सभी राजनीतिक दलों से इलेक्ट्रोरल बांड को लेकर जानकारी जुटाएं। चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों से जानकारी लेनी थी कि उसे कितना बांड किसने दिया, बांड कितनी राशि का था, यह राशि किस खाते में और किस तारीख को डाली गईं? साल 2018 में इलेक्ट्रोरल बांड लाए जाने से सितंबर 2023 तक की यह जानकारी निर्वाचन आयोग ने सील बंद लिफापे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। अब इसे चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। वुछ दलांे ने तो पूरी जानकारी सौंपी है कि किसने उन्हें कितने रुपए के बांड दिए और उन्हें कब भुनाया गया।

जबकि कईं दलों ने सिर्प यह बताया है कि बांड से उन्हें कितने रुपए मिले। बड़ी राजनीतिक पार्टियों में एआईंएडीएमके, डीएमके और जनता दल (सेक्यूलर) ने यह जानकारी मुहैया करवाईं है कि उन्हें किसने इलेक्ट्रोरल के जरिए चंदा दिया। जबकि सिक्किम डेमोव्रेटिक प्रंट और महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी जैसी अपेक्षावृत छोटी पार्टियों ने ये बताया है कि उन्हें इलेक्ट्रोरल बांड के जरिए जो चंदा मिला वह कहां से मिला।

वहीं आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जम्मू-कश्मीर नेशनल कांपें्रस ने 2019 तक चंद देने वालों का ही ब्यौरा दिया है। जब नवम्बर 2023 में इन दलों ने अपडेटड जानकारी चुनाव आयोग को सौंपी तो उसमें चंदा देने वालों की जानकारी नहीं दी। इनके अलावा अधिकतर पार्टियों ने चंदा देने वालों के बारे में जानकारी नहीं दी। उन्होंने सिर्प यह बताया है कि कितनी राशि का बांड था और उसे कब भुनाया गया। पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने 2019 में अपने जवाब में कहा था कि ये बांड धारक वाले बांड है। यानी इसका कोईं पंजीवृत स्वामी नहीं है और उनके ऊपर खरीदने वालों की जानकारी भी नहीं छपी है।

टीएमसी का ये भी कहना था कि यह बांड उसके ऑफिस के पते पर भेजे गए थे या फिर वहां रखे बक्से में डाले गए थे या हमारी पार्टी का समर्थन करने वालों ने गोपनीय रहने की इच्छा से किसी और के माध्यम से भेजे थे। उधर नीतीश वुमार की पार्टी जेडीयू ने भी कहा कि उनका पटना ऑफिस में कौन चुनावी बांड रख गया, उन्हें पता नहीं है। हालांकि जेडीयू ने अप्रैल 2019 में मिले 13 करोड़ में से 3 करोड़ रुपए के दानदाताओं की पहचान का खुलासा किया लेकिन टीएमसी ने किसी दानदाताओं की पहचान का खुलासा नहीं किया। 2023 में दिए जवाब में भारतीय जनता पार्टी ने विभिन्न कानूनों में राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी बांड से संबंधित जानकारियां देने से जुड़े प्रावधानों का हवाला दिया था। भाजपा ने कहा था कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियिम के अनुसार राजनीतिक दलों को हर साल इलेक्ट्रोरल बांड से मिली रकम का ब्योरा भी सार्वजनिक करना होता है, न कि यह जानकारी देनी होती है कि उसे बांड कहां से मिले। भाजपा का यह भी कहना था कि इनकम टैक्स एक्ट के तहत भी पार्टी को इलेक्ट्रोरल बांड देने वालों के नाम व अन्य जानकारी रखना जरूरी नहीं थी इसलिए उसने अपने पास यह ब्यौरा नहीं रखा। कांग्रेस समेत कईं अन्य पार्टियों ने भी इलेक्ट्रोरल बांड की जानकारी न देते हुए ही ऐसा ही कारण बताए। इन दलों ने सिर्प यही बताया कि कब उन्होंने बांड को भुनाया और कितनी रकम उनके खाते में आईं।

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