गहराता संकट
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में दंडात्मक कार्रवाईं से कोईं संरक्षण देने से इंकार कर दिया। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने उनके घर पहुंच कर पूछताछ करना शुरू कर दी। इसका मतलब यह है कि या तो केजरीवाल अब संरक्षण आदेश सुप्रीम कोर्ट से हासिल करें अथवा प्रावर्तन निदेशालय की नौ नोटिस के बाद अब जेल जाने के लिए मन: स्थिति तैयार कर लें। केजरीवाल यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि ईंडी की सूची में जिन लोगों का पहले नाम आया उन्हें जमानत नहीं मिल रही है। बाद में जिन लोगों का नाम आया उनमें मुख्यमंत्री खुद हैं तो उन्हें ईंडी की जांच का सामना तो करना ही पड़ेगा, बचने के लिए वह चाहे जितना बहाना बनाएं।
ईंडी द्वारा पेश किए गए सबूतों का अध्ययन करने के बाद जैसे पहले के आरोपियों के खिलाफ अदालतें कड़ा रुख अपनाए हुए हैं, ठीक उसी तरह अब केजरीवाल के साथ भी व्यवहार करती दिख रही है। केजरीवाल ने ईंडी के नोटिस का खूब सियासी मजाक उड़ाया, किन्तु न तो इसका कोईं असर ईंडी की जांच अथवा अदालतों की कार्यंवाही पर पड़ा। इस वक्त केजरीवाल बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय से संरक्षण संबंधी विधिक संरक्षण न मिलने से केजरीवाल की गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गईं है। जाहिर सी बात है कि चुनाव काल में यदि ऐसा हुआ तो पाटा के लिए इससे बड़ा कोईं और संकट साबित नहीं हो सकता।