दृढ़ संकल्प की जरूरत
रूस की राजधानी मास्को में एक बड़े समारोह स्थल पर आतंकी हमलावरों ने अंधाधुंध गोलीबारी करके 113 लोगों को मार डाला और बाद में तम्बू में आग लगाकर अपनी राक्षसी क्रूरता का परिचय दिया। रूस की पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसियों ने जिन 11 लोगों को पकड़ा है उनमें 4 लोग तो ऐसे हैं जो सीधे-सीधे इस हमले से जुड़े हैं। आईंएस ने भी इस हमले की जिम्मेदारी अपनी समाचार एजेंसी अमाक के माध्यम से दी है। इसलिए अब इस बात में तो कोईं संदेह नहीं रह गया है कि हमलावर कौन थे।
असल में रूस ने सीरिया में खुलकर वहां के राष्ट्रपति असद का साथ दिया था और आईंएस को तबाह करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं थी। आईंएस आतंकियों को रूस की इसी हरकत से शिकायत थी।
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को आईंएस के इस हमले की पूर्व जानकारी थी और उन्होंने शत्रुता को भूलकर रूसी खुफिया एजेंसी को इस हमले के बारे में सूचना भी दी थी। अमेरिकी खुफिया सूचना के आधार पर रूस की सुरक्षा एजेंसियां आईंएस के माडाूल को पकड़ नहीं सकी किन्तु हमले के बाद पुलिस की सक्रियता के कारण आतंकी पकड़े जा रहे हैं।
रूस में यह आतंकी हमला दशकों बाद हुआ है। पहले भी रूस आतंकियों का निशाना बना है। इसके पहले जिस वीभत्स हमले की चर्चा होती है, वह भी एक सिनेमा हाल में आतंकियों द्वारा दर्शकों को बंधक बनाने के बाद हुआ था। रूस सुरक्षा एजेंसियों में आतंकियों के प्राति शून्य प्रातिशत नरमी बरतने का संकेत हमेशा देता रहा है और सिनेमा हाल में भी रूसी एजेंसियों ने घेर कर आतंकियों को मारा। इस आपरेशन में वुछ दर्शक भी मारे गए और इसी को पुतिन कहते हैं कि जब आतंकियों से लड़कर जान बचानी है तो अपने वुछ नागरिकों की जान जानी भी स्वाभाविक है।
बहरहाल आईंएस की घटनाएं फिर एक बार सामने आईं है। इस तरह की घटनाएं प्रांस में भी होती रही हैं। इस्लामिक कट्टरता से लड़ना किसी एक देश का दायित्व नहीं है। इसके खिलाफ सभी को एकजुट होना पड़ेगा।
दुर्भाग्य से अपने गठन से लेकर अभी तक संयुक्त राष्ट्र संघ आतंकियों की परिभाषा तक नहीं तय कर पाया है। यही कारण है कि जो एक के लिए आतंकी होते हैं वही दूसरों के लिए स्वतंत्रता सेनानी। समय एक दिन उनका भी हिसाब करेगा जो आज इस घटना को मात्र रूस की मान रहे हैं। भारत के खिलाफ सक्रिय आतंकियों को जब भी अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा आतंकी घोषित किया जाता है तो चीन अपना वीटो लगाकर उन्हें बचा लेता है।
अंतर्राष्ट्रीय आतंकियों के प्राति संबंध रखने वालों को एक बार फिर इस बात को सोचना पड़ेगा कि चीन जैसा जिम्मेदार देश अपने संकीर्ण स्वार्थ के लिए अंतर्राष्ट्रीय विघटनकारी प्रावृत्ति का साथ क्यों दे रहे हैं। चीन सहित सभी देशों में इस बात के लिए चर्चा होनी चाहिए कि आतंकियों को वूटनीतिक, आर्थिक और उनकी सुरक्षा के लिए जो भी देश सामने आएं उनके खिलाफ भी कार्रवाईं होनी चाहिए। आईंएस तो रक्तबीज है। इसके खत्म होने पर दूसरे आतंकी भी सामने आ जाएंगे। इसलिए जरूरत है, विश्व समुदाय असय और जलील आतंकियों के खिलाफ दृढ़ संकल्प हों।